फरवरी 2

बालक येसु का मन्दिर में समर्पण

आज एक ऐसा दिन है जब हम पारंपरिक रूप से मोमबत्तियों की आशीष करते हैं। यह प्रकाश का पर्व है। येसु में हम ईश्वर की ज्योति का दर्शन करते हैं। सुसमाचार में हम पढ़ते हैं धर्मी सिमयोन ने येसु को राष्ट्रों के लिए ज्योति और इस्राएल की महिमा घोषित किया। आज का पर्व एक ख़ुशी का पर्व है पर हम देखते हैं कि यरूसालेम में येसु के समर्पण की खुशी में गम का सन्देश सुनाया जाता है।

बालक येसु को गैर यहूदियों के लिए ज्योति और इस्राएल के लिए महिमा घोषित करने के बाद सिमयोन ने घोषणा की कि यह बच्चा एक चिन्ह है जिसे अस्वीकार कर दिया जायेगा। हर कोई उस प्रकाश का स्वागत नहीं करेगा, सिमयोन के अनुसार यही कारण है कि इस बच्चे की वजह से इस्राएल में कई लोगों के पतन और उत्थान होगा। इस्राएल में कुछ लोग येसु के कारण ठोकर खाएंगे; और कुछ लोगों का उत्थान भी होगा। संत योहन के अनुसार प्रकाश संसार में आया और लोगों ने प्रकाश के जगह अंधकार को पसंद किया क्योंकि उनके कर्म बुरे थे।

प्रभु येसु में झलकती ईश्वरीय प्रेम रूपी ज्योति से विमुख होना हमारे मानवीय दुर्बल स्वाभाव के कारण संभव है। कम रोशनी अथवा प्रकाश में हम खुद को अधिक सहज या आरामदायक पा सकते हैं पर ईश्वर का प्रकाश उनकी ज्योति प्रभु येसु के माध्यम से लगातार चमक रही है। और उस ज्योति को कोई भी कम नहीं कर सकता। हम सिमयोन और अन्ना के समान, हर दिन ईश्वर की दिव्य ज्योति की ओर मुड़ें और ईश्वर के प्रकाश में जीवन बिताएं।


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Praise the Lord!