फरवरी 22

प्रेरित संत पेत्रुस का धर्मासन

रोम में संत पेत्रुस की बेसिलिका में कुर्सी के भव्य आकार की एक मूर्ति है। संत पेत्रुस के धर्मासन कलीसिया की एकता का प्रतीक है। कुर्सी संत पेत्रुस के अधिकार का प्रतीक है, और यह अधिकार सैन्य शक्ति की तरह विजय के लिए नहीं है। कलीसियाई अधिकार एकता की ओर निर्देशित है। येसु मसीह शिष्यों के एक असंगठित समूह को केवल उनके प्रति प्रेम से ही एकजुट कर सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे स्वयं बाइबल लिख सकते थे, उसे अपने अनुयायियों को सौंप सकते थे, और कह सकते थे, "इस पाठ का पालन करो।" उन्होंने ऐसा भी नहीं किया। येसु ने बारह व्यक्तियों को बुलाया। उन्होंने उन्हें उन्हीं शक्तियों से संपन्न किया जो उनके पास थीं और भाइयों के इस संगठित समूह को एक पहचान योग्य, पुरोहिती बिरादरी के रूप में छोड़ दिया, जिसे विशेष रूप से बपतिस्मा देने तथा सुसमाचार सुनाने के लिए नियुक्त किया गया था।

येसु ख्रीस्त द्वारा एक व्यवस्थित कलीसिया की स्थापना के बारे में और भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इसका दोहरा आयोजन सिद्धांत है। सभी विश्वासियों पर बारहों के समूह का अधिकार है। लेकिन बारहों का समुदाय भी स्वयं संत पेत्रुस - आंतरिक मुखिया - के अधीन है। स्वर्गराज्य की कुँजियाँ उनके पास है। वे ही वह चट्टान है जिस पर प्रभु ने अपनी कलीसिया बनायी। यह सब स्वाभाविक भी है। संविधान की वाख्या पर विवादों का फैसला करने के लिए क्या एक सर्वोच्च न्यायालय की ज़रूरत नहीं है? किसी भी आधिकारिक पाठ की सभी गलत व्याख्याओं, भ्रमों, या ईमानदार विवादों के समय अधिकार के साथ मध्यस्थता, व्याख्या और परिभाषित करने के लिए उसके बाहर और ऊपर खड़े होने के लिए एक जीवित अंग की आवश्यकता होती है। जिस तरह एक संविधान को एक अदालत की जरूरत होती है, उसी तरह बाइबिल को एक प्रामाणिक शिक्षा-अधिकारी (मजिस्ट्रियम) की जरूरत होती है। और उस प्रामाणिक शिक्षा अधिकारी को भी एक शीर्ष की जरूरत है।

संत पापा का अधिकार, सैद्धांतिक रूप से, एक नकारात्मक करिश्मा है जो कलीसिया को शिक्षण त्रुटि से बचाता है। यह कोई गारंटी नहीं है कि पोप पूरी तरह से विश्वास को सिखाएगा, समझाएगा या जीएगा। ख्रीस्त ने स्वयं गारंटी दी थी कि कलीसिया के खिलाफ नरक के द्वार प्रबल नहीं होंगे। यह एक प्रकार से एक नकारात्मक वादा है। लेकिन क्या यह वादा भी एक भविष्यवाणी नहीं है कि कलीसिया और संत पेत्रुस का अधिकार, बिजली की छड़ी होगी जो बुराई की ताकतों से हर हमले को अवशोषित कर लेगी? यह कलीसिया, और कोई नहीं, सबसे अंधेरी शक्तियों का निशाना होगा? एक असली कलीसिया के असली दुश्मन होते हैं।

लेकिन सभी प्रेरितों के अधिकार के साथ, उनकी मृत्यु के बावजूद, पेत्रुस का अधिकार जारी है। दूसरे शब्दों में, कलीसिया की न केवल नींव है, बल्कि उस नींव पर बनी एक संरचना है। और उस संरचना में अधिकार व्यक्तिगत रूप से, पिता से पुत्र को या एक परिवार से दूसरे परिवार को प्रेषित नहीं होता है। यह अधिकार पेत्रुस के पद से जुडे हुए करिश्मे के साथ संपन्न होता है। और यह करिश्मा आखिरी बार सूरज डूबने तक संत पेत्रुस की उत्त्तराधिकारियों में बना रहेगा। जब तक कलीसिया रहेगी, यह वस्तुनिष्ठ सत्य की शिक्षा देगी। वस्तुनिष्ठ सत्य के लिए वस्तुनिष्ठ नेतृत्व की आवश्यकता होती है। संत पेत्रुस का धर्मासन उस नेतृत्व का प्रतीक है और वह एकता की ओर निर्देशित है। एक प्रभु। एक विश्वास। एक चरवाहा। एक झुंड। प्रामाणिक शिक्षा तथा एकता का यह प्रतीक कलीसिया की पूजन-पद्धति में सम्मान के योग्य है।


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