मई 10

संत योसेफ डेमिएन

योसेफ का जन्म 3 जनवरी, 1840 को बेल्जियम के त्रेमेलो में हुआ। सन 1860 में उन्होंने येसु और मरियम के पवित्र हृदयों के पुरोहितों के धर्मसमाज में प्रवेश किया और ’डेमिएन’ नाम ग्रहण किया। वे रोज मिशन के संरक्षक संत फ्रांसिस जेवियर की तस्वीर के सामने किसी मिशन में भेजे जाने की कृपा के लिए प्रार्थना करते रहे। सन् 1863 में उनका भाई जिसे हवाई द्वीप के मिशन में भेजा जा रहा था, अचानक बीमार हो गया। उसकी यात्रा की तैयारियाँ पूरी हो चुकी थी। डेमिएन ने उनकी जगह पर मिशन पर जाने की अपनी इच्छा को प्रकट किया। 19 मार्च, 1864 को वे होनोलुलु पहुँच गये। वहाँ पर कुछ ही दिन बाद 21 मई को उनका पुरोहिताभिषेक हुआ। उन्होंने नौ साल तक वहाँ के मिशन में सेवा की।

उस समय हवाई सरकार ने कुष्ठ रोग से पीडित सभी लोगों को अन्य लोगों को उस बीमारी से बचाने के लिए अलग कर मोलोकोई द्वीप में भेजने का निर्णय लिया। उस समय से लोग मोलोकोई द्वीप को शापित मानने लगे। धर्माध्यक्ष लूईस मायग्रेट को लगा कि उन कुष्ठ रोगियों को पुरोहितों की सेवा की जरूरत है, परन्तु उन्होंने यह नहीं चाहा कि किसी पुरोहित पर वहाँ जाने के लिए दबाव डाला जाये क्योंकि उन्हें मालूम था कुष्ठ रोग का उस समय कोई इलाज नहीं हो सकता था और वहाँ जाकर कुष्ठ रोगियों के साथ रहने पर पुरोहित भी कुष्ठ के शिकार हो कर मरेंगे। चार पुरोहितों ने स्वेच्छा से इस कार्य के लिए अपने जीवन को समर्पित किया। उनमें फादर डेमिएन सर्वप्रथम थे। वे मई 10, 1873 को वे मोलोकोइ के लिए रवाना हो गये। उन्होंने अपना जीवन उन तिरस्कृत कुष्ठ रोगियों, विशेषतः बच्चों की सेवा में बिताया। उन्होंने कुष्ठ रोगियों के लिए अस्पतालों तथा गिरजाघरों का निर्माण भी किया।

सन 1884 वे स्वयं उस भयानक बीमारी के शिकार बन गये। अप्रैल 15, 1889 को 49 साल की आयु में उनकी मृत्यु हुई। उनके पार्थिक शरीर को उसी द्वीप में दफनाया गया। सन 1936 में बेल्जियम की सरकार के अनुरोध पर उसे लुवेइन के पवित्र हृदयों के गिरजाघर में स्थानान्तरित किया गया। जून 4, 1995 को संत पिता योहन पौलुस द्वितीय ने उन्हें धन्य घोषित किया। 11 अक्टूबर 2009 को संत पिता बेनेडिक्ट सोलहवे ने उन्हें संत घोषित किया। संत डेमिएन भयानक बीमारियों से पीडित लोगों के संरक्षक माने जाते हैं।


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