जून 04

संत फ्रांसिस कैरासिओलो

13 अक्टूबर, 1563 को इटली के विला सांता मारिया में जन्मे, फ्रांसिस कैरासिओलो को उनके बपतिस्मा के समय असकैनियो नाम दिया गया था। उनकी मां संत थॉमस एक्विनास की रिश्तेदार थीं। उन्होंने एक युवा के रूप में एक सदाचारी जीवन जिया और एक धार्मिक बुलाहट की ओर उनका झुकाव सा दिखा। जब वह 22 वर्ष के थे, तब उन्हें एक प्रकार का कोढ़ हो गया था, जिसे ठीक करने के लिए उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की थी। उन्होंने ठीक होने के तुरंत बाद पुरोहिताई की बुलाहट का पालन करने का वादा किया। वादा करने पर वे तुरंत ठीक हो गया, और पुरोहिताई के अध्ययन के लिए तुरंत नेपल्स के लिए रवाना हो गये। अपने पुरोहिताभिषेक पर वे ‘द व्हाइट रॉब्स ऑफ जस्टिस’ के भाईचारे में शामिल हो गए, जो निंदक अपराधियों को ईश्वर के साथ मेल-मिलाप कराके एक पवित्र मौत मरने में मदद करने के लिए समर्पित थे।

नेपल्स जाने के पांच साल बाद, उन्हें एक पत्र दिया गया था, जो वास्तव में एक अन्य दूर के रिश्तेदार असकैनियो कारासिओलो को संबोधित किया गया था। यह पत्र जेनोआ के पुरोहित जियोवानी एगोस्टिनो एडोर्नो की ओर से इस अन्य असकैनियो से एक धार्मिक संघ की स्थापना में शामिल होने की अपील थी। पत्र पढ़कर उन्हें एहसास हुआ कि एक धार्मिक संस्थान के लिए फादर एडोर्नो का दृष्टिकोण उनके अपने स्वयं के विचारों के पूर्ण अनुपालन में था और उन्होंने इसे ईश्वर की योजना के संकेत के रूप में व्याख्यायित किया।

उन्होंने पत्र का जवाब दिया और दोनों व्यक्तियों ने संस्थानों और नियमों को तैयार करने के लिए कुछ सप्ताह आध्यात्मिक साधना में एक साथ बिताए। 1 जुलाई, 1588 को संत पापा सिक्स्तुस पांचवें द्वारा मण्डली को मंजूरी दी गई थी।

संघ में अपनी ईच्छा घोषणा के उपरांत, कैरासिओलो ने असीसी के संत के सम्मान में फ्रांसिस नाम ग्रहण किया। वे परम प्रसाद संस्कार के प्रति उनकी उत्साही भक्ति के लिए जाने जाते थे। वे कई बार परमानंद में पाए जाते थे और अक्सर स्तोत्रगीत के शब्दों को दोहराते थे, ‘‘तेरे घर का उत्साह मुझे खा जोयेगा।‘‘ 4 जून 1608 को एग्नोन में ख्रीस्त देह पर्व संध्या पर एक गंभीर बुखार से उनकी मृत्यु हो गई, उनके होंठों पर उनके बार-बार दोहराए गए शब्द थे। जब उसकी मृत्यु के बाद उसका शरीर खोला गया तो वही शब्द उसके हृदय के मांस में ज्वलित पाए गए। उन्हें 24 मई, 1807 को संत पापा पायस सातवें द्वारा संत घोषित किया गया।


Copyright © www.jayesu.com
Praise the Lord!