जून 07

न्यूमिंस्टर के संत रॉबर्ट

न्यूमिंस्टर के संत रॉबर्ट, एबॉट, (बेनिदिक्तिन) सिस्टरशियन का जन्म सन 1100 में हुआ। उत्तरी यॉर्कशायर के एक पुरोहित जिन्होंने सन 1132 में व्हिटबी में बेनिदिक्तिन मठ में प्रवेश किया और यॉर्क के कुछ मठवासीओं में शामिल होने की अनुमति प्राप्त की, जो फाउंटेन एब्बे में बेनिदिक्तिन नियम की एक नई व्याख्या के अनुसार जीने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने पेरिस विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। स्तोत्रगीत पर एक टिप्पणी लिखी, लेकिन वह खो गई है। वे गारग्रेव में पल्ली पुरोहित रहे तथ फिंचेल के संत गोड्रिक के गहरे मित्र थे।

फाउंटेन एब्बे जल्द ही सिस्टरियन बन गए और उत्तरी इंग्लैंड में व्हाइट मठवासीयों के केंद्रों में से एक बन गया। नॉर्थम्बरलैंड में न्यूमिंस्टर एब्बे की स्थापना 1137 में हुई थी, और रॉबर्ट इसके पहले मठाधीश बने।

रॉबर्ट को एक धर्मनिष्ठ, प्रार्थनापूर्ण और सज्जन व्यक्ति के रूप में वर्णित किया गया था। वे दूसरों के प्रति अपने निर्णय में दयालु होने और एक मिलनसार और ख्याल रखने वाले साथी के लिए जाने जाते हैं। वे निर्धनता की अपनी प्रतिज्ञा के प्रति उत्साही थे। अलौकिक उपहार प्राप्त करने, दर्शन प्राप्त करने और अशुध्दात्माओं के साथ सामना करने के लिए प्रतिष्ठित थे। कहा जाता है कि एबॉट रॉबर्ट भविष्यवाणी और चमत्कारों के उपहार के पक्षधर थे।

उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि एक बार उन्होंने व्रत के दौरान इतना कठोर उपवास किया कि एक भाई मठवासी ने उनसे खाने के लिए अनेक विनती की। रॉबर्ट सहमत हो गये, और उन्हें कुछ मक्खनयुक्त ओटकेक दिया गया। लेकिन वह अचानक पेटूपन का पाप करने से डर गया, और उन्होंने कहा कि इसे गरीबों को दिया जाए। फाटक पर एक खूबसूरत अजनबी ने केक और पकवान लिया। जब एक भाई घटना की व्याख्या कर रहा था, तब अचानक मठाधीश के सामने मेज पर पकवान दिखाई दिया, भाइयों ने फैसला किया कि अजनबी एक स्वर्गदूत था।

रॉबर्ट की मृत्यु 7 जून 1159 को प्राकृतिक कारणों से न्यूमिंस्टर इंग्लैंड में हुई एंव उन्हें न्यूमिंस्टर में दफनाया गया, लेकिन बाद में स्थानीय चर्च में दफनाया गया। फिंचेल के संत गोड्रिक ने कहा कि उन्होंने रॉबर्ट की आत्मा को आग के गोले के रूप में स्वर्ग में चढ़ते देखा। उनके कब्र पर चमत्कार की सूचनाएं प्राप्त हुई एंव न्यूमिंस्टर के कलीसिया में रॉबर्ट का मकबरा तीर्थ यात्रा का विषय बन गया।


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