अगस्त 05

संत मरियम के महामंदिर का प्रतिष्ठान

हम आज रोम के चार सबसे प्रसिद्ध गिरजाघरों में से एक के समर्पण का जश्न मनाते हैं। जबकि प्रत्येक धर्मप्रांत और पल्ली अपनी समर्पण वर्षगांठ रखता है, सार्वभौमिक कलीसिया चार महान रोमन बेसिलिकाओं के अभिषेक का स्मरण करती है, हम उन्हें ख्रीस्तीयजगत के मुख्य गिरजाघर कह सकते हैं। वे हैं – संत योहन लातरन महामंदिर, संत पेत्रुस महामंदिर, दीवाल के बाहर के संत पौलुस महामंदिर और संत मरियम मजोरे महामंदिर। इन पर्वों के माध्यम से कलीसिया सभी ख्रीस्तीयों को परमधर्मपीठ से जोड़ना चाहती है।

संत मरियम महामंदिर की शुरुआत कॉन्स्टेंटिनियन काल की है। यह पर्व वर्ष 358 में 4-5 अगस्त की रात के दौरान उस स्थान पर हुई बर्फबारी के चमत्कार की याद दिलाता है जहां अब बेसिलिका खड़ी है। परंपरा के अनुसार, कुँवारी मरियम दो वफादार रोमन ख्रीस्तीय, पेट्रीशियन योहन और उनकी पत्नी के साथ-साथ संत पिता लाइबेरियस (352-366) को एक सपने में यह आग्रह करते दिखाई दिए, कि उनके सम्मान में उस स्थान पर एक गिरजाघर बनाया जाए जहां 4-5 अगस्त की रात को बर्फ पड़ेंगी। संत पिता लाइबेरियस ने बर्फ में गिरजाघर का नक़्शा खींच कर रूपरेखा तैयार की और उस निर्माण -स्थान पर पहला बेसिलिका बनाया गया। यह लगभग एक सदी बाद संत पिता सिक्सतुस तीसरे (432-440) द्वारा पूरा किया गया था, जो 431 में एफेसुस की परिषद के बाद हुआ जिसके दौरान मरियम को ईश्वर की माँ घोषित किया गया था।

आज भी संत मरियम मजोरे बेसिलिका की चैथी शताब्दी की मूल बरकरार है। इसे सदियों से अलंकृत, जोड़ा और पुनर्सज्जित किया गया है। संत मरियम मजोरे और कई अन्य रोमन गिरजाघरों में कलात्मक खजाने का घनत्व, उन सभी लोगों को आकर्षित करता है जो ईश्वर और उनकी सुंदरता से सनातन शहर के पवित्र केंद्र की ओर आकर्षित होते हैं। रोम में संत मरियम मजोरे बेसिलिका 1 से 3 अगस्त तक अपना पारंपरिक त्रिदिवसीय प्रार्थना रखती है और 4 और 5 अगस्त को दो दिनों का उत्सव मनाती है। संत पिता के मिस्सा के दौरान, फूलों की पंखुड़ियों की पारंपरिक बौछार अगस्त 358 में हिमपात की यादगारी में बेसिलिका की छत से नीचे की ओर की जाती है।


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