अगस्त 15

धन्य कुँवारी मरियम के उदग्रहण का समारोह

आज कलीसिया धन्य कुँवारी मरियम के उदग्रहण का समारोह मनाती है। काथलिक कलीसिया का यह विश्वास है कि ईश्वर ने माता मरियम के शरीर को उनकी मृत्यु के बाद मिट्टी में मिलने नहीं दिया, बल्कि स्वर्ग में उठा लिया। पूर्वी देशों में इस त्यौहार को ईशमाता की निंद्रा का त्यौहार (The Feast of the Dormition of the Mother of God) भी कहा जाता है।

यह एक साधारण अनुभव है कि मनुष्य की मृत्यु के बाद उसका शरीर दफ़नाया जाता और वह गलने लगता है। उपदेशक ग्रन्थ 3:20 बताता है, “सभी एक ही स्थान जाते हैं: सब मिट्टी से बनें हैं और मिट्टी में मिल जायेंगे”। स्तोत्र 104:29 में लिखा है, “तू उनके प्राण वापस लेता है, तो वे मर कर फिर मिट्टी में मिल जाते हैं”। लेकिन पवित्र ग्रन्थ में ऐसे कुछ असाधारण लोग भी हैं जिनके बारे में यह सच नहीं हैं। प्रभु ईश्वर उनके शरीर को मिट्टी में गलने नहीं देते हैं।

उत्पत्ति 5:24 हमें बताता है, “हनोक ईश्वर के मार्ग पर चलता था। वह अन्तर्धान हो गया, क्योंकि ईश्वर उसे उठा ले गया”। इसका जिक्र करते हुए इब्रानियों का ग्रन्थ 11:5 कहता हैं – “विश्वास के कारण मृत्यु का अनुभव किये बिना हेनोख आरोहित कर लिये गये। वह फिर नहीं दिखाई पड़े, क्योंकि ईश्वर ने उन्हें आरोहित किया था। धर्मग्रन्थ उसके विषय में कहता है कि आरोहित किये जाने के पहले वह ईश्वर के कृपापात्र बन गये थे”।

2राजाओं 2:11 में हम पढ़ते हैं कि नबी एलियाह और नबी एलीशा “बातें करते हुए आगे बढ़ ही रहे थे कि अचानक अग्निमय अश्वों-सहित एक अग्निमय रथ ने आ कर दोनों को अलग कर दिया और एलियाह एक बवण्डर द्वारा स्वर्ग में आरोहित कर लिया गया”। एलियाह की मृत्यु नहीं हुयी क्योंकि उन्हें एक अग्निमय रथ में स्वर्ग में उठा लिया गया।

मूसा के विषय में पवित्र ग्रन्थ कहता है – “प्रभु के सेवक मूसा की वहाँ मोआब में मृत्यु हो गयी, जैसा कि प्रभु ने कहा था। लोगों ने उसे बेत-पओर के सामने मोआब की घाटी में दफनाया, किन्तु अब कोई नहीं जानता कि उसकी कब्र कहाँ है।“ (विधिविवरण 34:5-6) इन वचनों के आधार पर यहूदियों का यह विश्वास था कि प्रभु ईश्वर ने मूसा के शरीर को भी मिट्टी में गलने नहीं दिया।

प्रभु येसु की मृत्यु के बाद निकोदेमुस और अरिमथिया के यूसुफ़ ने दूसरे लोगों के साथ मिल कर उनके शरीर को कब्र में रख दिया। कुछ स्त्रियाँ “सप्ताह के प्रथम दिन, पौ फटते ही, वे तैयार किये हुए सुगन्धित द्रव्य ले कर क़ब्र के पास गयीं। उन्होंने पत्थर को क़ब्र से अलग लुढ़काया हुआ पाया, किन्तु भीतर जाने पर उन्हें प्रभु ईसा का शव नहीं मिला” (लूकस 24:1-3) चारों सुसमाचारों में इसका उल्लेख है कि प्रभु येसु का शव उन्हें नहीं मिला। स्वर्गदूतों ने बताया कि प्रभु येसु जीवित है। कई विद्वानों का यह मानना है कि इस विषय में स्तोत्रग्रन्थ में भविष्यवाणी की गयी थी। स्तोत्रकार कहता है, “तू मेरी आत्मा को अधोलोक में नहीं छोड़ेगा, तू अपने भक्त को कब्र में गलने नहीं देगा” (स्तोत्र 16:10)।

माता मरियम के उदग्रहण के विषय में हम पवित्र बाइबिल में कुछ भी स्पष्ट उल्लेख नहीं पाते हैं। धर्मग्रन्थ के कई विद्वानों का यह मानना है कि प्रकाशना ग्रन्थ 12:1-10 में जिस महिला का उल्लेख है, वह माता मरियम है। वहाँ वाक्य 6 में लिखा हुआ है – “महिला मरुभूमि की ओर भाग गयी, जहाँ ईश्वर ने उसके लिए आश्रय तैयार करवाया था”।

पाँचवी सदी से माता मरियम के स्वर्ग में उदग्रहण की कई कहानियाँ लिखित रूप में प्रचलित थीं। सदियों से बहुत-से विश्वासियों का यह मानना था माता मरियम को उनके शरीर के साथ इस धरती पर उनके जीवन की समाप्ति पर प्रभु ईश्वर ने स्वर्ग में उठा लिया। 1 नवंबर १९५० को संत पिता पीयुस बारहवें ने आधिकारिक रीति से यह शिक्षा दी कि माता मरियम को प्रभु ईश्वर ने उनके शरीर के साथ स्वर्ग में उठा लिया। कलीसिया यह स्पष्ट नहीं करती है कि माता मरियम की मृत्यु हुयी थी या नहीं।

संत पौलुस कुरिन्थियों को लिखते हुए अपने पहले पत्र के अध्याय 15 में विश्वासियों के पुनरुत्थान की शिक्षा देते हैं। वे सभी विश्वासियों को याद दिलाते हैं कि इस धरती पर हमारा जीवन कब्रिस्तान की मिट्टी में खतम नहीं होता, बल्कि हमारा पुनरुत्थान होगा और हम ईश्वर के दर्शन करेंगे। वे कहते हैं, “मृतकों के पुनरुत्थान के विषय में भी यही बात है। जो बोया जाता है, वह नश्वर है। जो जी उठता है, वह अनश्वर है। जो बोया जाता है, वह दीन-हीन है। जो जी उठता है, वह महिमान्वित है। जो बोया जाता है, वह दुर्बल है। जो जी उठता है, वह शक्तिशाली है। एक प्राकृत शरीर बोया जाता है और एक आध्यात्मिक शरीर जी उठता है।“ (1कुरिन्थियों 15:42-44) वे आगे कहते हैं – “यह आवश्यक है कि यह नश्वर शरीर अनश्वरता को और यह मरणशील शरीर अमरता को धारण करे। जब यह नश्वर शरीर अनश्वरता को धारण करेगा, जब यह मरणशील शरीर अमरता को धारण करेगा, तब धर्मग्रन्थ का यह कथन पूरा हो जायेगा: मृत्यु का विनाश हुआ। विजय प्राप्त हुई।“ (1कुरिन्थियों 15:53-54)।

माता मरियम के उदग्रहण का त्यौहार हमें आशा दिलाता है कि इस धरती पर हमारे जीवन के अन्त में विश्वासियों को एक गरिमामय जीवन प्राप्त होगा।


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