सितंबर 16

संत सिप्रियानुस

कार्थेज में जन्में थासियूस सेसिलियूस सिप्रियानुस, गैर-ख्रीस्तीय विषयों पर वक्रपटुता के लिए प्रसिद्ध, ने वर्ष 246 में सच्चे विश्वास को अपनाया और इसके तुरंत बाद उन्हें उस शहर के पुरोहित और धर्माध्यक्ष (248) के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। वे आत्माओं के एक ऊर्जावान चरवाहे और एक विपुल लेखक थे। उन्होंने अफ्रीका और इटली में विच्छेदक आंदोलनों के खिलाफ कलीसिया की एकता का बचाव किया, और धर्मत्याग करने वाले ख्रीस्तीयों को बहाल करने के सापेक्ष कलीसिया अनुशासन के आकार को बहुत प्रभावित किया। वे डेसीयन के उत्पीड़न के दौरान भाग गए लेकिन अपने पत्रों के माध्यम से कलीसिया का मार्गदर्शन किया। सम्राट वेलेरियन के उत्पीड़न (258) के दौरान उनका सिर काट दिया गया था। उन्होंने अपने झुंड की उपस्थिति में शहादत का सामना किया तथा जल्लाद को सोने के पच्चीस सिक्के भी दिए। संत जेरोम उनके बारे में कहते हैं : ‘‘उनकी महानता के बारे में बात करना निरर्थक है, क्योंकि उनके कार्य सूर्य से अधिक चमकदार हैं।‘‘ संत सिप्रियन एक महत्वपूर्ण आदि कलीसियाई आचार्य के रूप में गैरव प्राप्त करते हैं, जिनके लेखन को सार्वभौमिक रूप से सम्मानित किया जाता है और अक्सर दैनिक प्रार्थनाचर्या में पढ़ा जाता है। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं : कलीसिया की एकता पर; धर्मत्यागी पर; प्रभु की प्रार्थना पर; धैर्य के मूल्य पर।


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