नवंबर 22

संत सिसलिया

संत सिसलिया के जन्मतिथि के बारे कोई निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है किन्तु अन्य तथ्यों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म संभवतः दूसरी सदी में हुआ। उनका परिवार रोम शहर के धनी परिवारों में से एक था। वे खूबसूरत युवती थी और उनका विवाह वेलेरियन से हुआ। किन्तु सिसलिया का हृदय सदैव ईश्वर में लगा रहता था तथा वे टाट के वस्त्र धारणकर, उपवास करके संतों एवं स्वर्गदूतों से विनती करती थी उनका कुंवारीपन अखण्ड रहे। विवाह की रात उन्होंने अपने पति वेलेरियन से कहा कि उसने कुंवारेपन का व्रत लिया है तथा एक स्वर्गदूत उनकी रखवाली कर रहा है। जब उनके पति ने साक्ष्य के तौर पर उस स्वर्गदूत को देखने का आग्रह किया तो सिसलिया ने उससे कहा यदि वह ’एप्पियन मार्ग’’ जाकर आयेगा तो उसे वह दृष्टि प्रदान होगी जिससे वह सिसलिया के स्वर्गदूत को देख सके। जब उसका पति एप्पियन मार्ग पहुंच तो उसने वह वहॉ संत पापा उर्बानुस द्वारा बपतिस्मा ग्रहण करता है।

जब वह लौट कर आता है तो सचमुच में वह सिसलिया के पास स्वर्गदूत को खडा पाता है जो सिसलियो को गुलाब तथा लिलि का हार देता है। इस घटना के बाद वेलेरियन का विश्वास बहुत दृढ़ हो गया । जब वेलेरियन के भाई तिबेरतियुस को मालूम होता है कि उसके भाई ने बपतिस्मा ग्रहण किया है तो वह भी ख्राीस्तीय बन कर बपतिस्मा ग्रहण करता है। ये दोंनो भाई उन सभी ख्राीस्त विश्वासियों को दफनाते थे जिन्हें धर्म-अत्याचार के कारण शहीद किया जाता था।

दोनों भाईयों को भी उनके ख्राीस्त विश्वास के कारण मारा डाला गया। संत सिसलिया अपना सारा समय उपदेश देने तथा लोगों का हृदय येसु की ओर मोडने में लगाती थी। उसने लगभग चार सौ लोगों को ख्राीस्त की ओर अभिमुख किया।

सिसलिया को बाद में गिरफ्तार किया गया तथा घोर यातना की गयी। जब उनका सिर काटने को कहा गया तो जल्लाद सिसलिया का सिर धड़ से अलग नहीं कर सका। तीन दिनों तक सिसलिया के शरीर से खून बहता रहा। लोगों के लिये यह एक चमत्कार था। कईयों ने उसके रक्त को एकत्र भी किया। तीसरे दिन सिसलिया की मृत्यु हो गयी।

सिसलिया संगीत की संरक्षक संत है क्योंकि उन्होंने स्वर्गिक संगीत को सुना था।


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