काथलिक धर्मशिक्षा

माता मरियम के बारे में कलीसिया की चार आधिकारिक शिक्षा

जोआकीम और अन्ना माता मरियम के माता-पिता थे। परम्परा के अनुसार जोआकीम और अन्ना बथलेहेम के मूलनिवासी थे, बाद में वे नाज़रेथ में रहने लगे। हम माता मरियम के बारे में कलीसिया की चार आधिकारिक शिक्षाओं पर ध्यान दें।

ईश्वरीय मातृत्व

यह माता मरियम का सबसे बडा सौभाग्य था कि ईश्वर ने उन्हें अपनी माँ बनने के लिए चुना। सन 431 में एफेसुस की महासभा में माता मरियम को ’ईश्वर की माता’ नाम से पुकारा गया। लूकस 1:43 में पवित्र आत्मा से प्रेरणा पाकर एलिज़बेथ माता मरियम को “मेरे प्रभु की माँ” कहती हैं। ईश्वर ने इस संसार की सृष्टि की और सब मनुष्यों की भी। परन्तु जब ईश्वर के मनुष्य बनने के लिए एक माँ से जन्म लेना अनिवार्य था, तब इस के लिए उन्होंने अपनी ही एक सृष्टि, नाज़रेथ की मरियम नामक बालिका को चुन लिया। उन्हें ईश्वर ने येसु की माता बनाया। माता मरियम ने येसु को अपने गर्भ में स्वीकार किया, उन्हें जन्म दिया, उन्हें दूध पिलाया, पालन-पोषण किया तथा आवश्यक शिक्षा प्रदान की। लूकस 2:51 हमें बताता है कि बालक येसु माता मरियम और संत यूसुफ के “साथ नाज़रेत गये और उनके अधीन रहे।” येसु ईश्वर हैं। परन्तु उन्होंने माता मरियम से जन्म लिया। फिलिप्पियों 2:7-8 में हम पढ़ते हैं, “उन्होंने दास का रूप धारण कर तथा मनुष्यों के समान बन कर अपने को दीन-हीन बना लिया और उन्होंने मनुष्य का रूप धारण करने के बाद मरण तक, हाँ क्रूस पर मरण तक, आज्ञाकारी बन कर अपने को और भी दीन बना लिया।“ इब्रानियों 2:17 में बताया गया है कि “यह आवश्यक था कि वह सभी बातों में अपने भाइयों के सदृश बन जायें”। इब्रानियों 4:15 के अनुसार “पाप के अतिरिक्त अन्य सभी बातों में उनकी परीक्षा हमारी ही तरह ली गयी है”। इस का अर्थ यह भी निकलता है कि अन्य बच्चों की तरह माता-पिता का आदर करना और उनकी आज्ञाओं का पालन करना उन के लिए भी लागू था। माता मरियम को ईश्वर की माँ कह कर हम माता मरियम को ईश्वर से ज़्यादा महत्व नहीं देते हैं। ईश्वर ने ही उन्हें अपनी माँ बनने की कृपा प्रदान की थी। परन्तु ईश्वर ने जिन को अपनी माता कहना चाहा, उन से ईशमाता का गौरव कौन छीन सकता है? संत पापा पीयुस ग्यारहवें ने अक्वीनो के संत थॉमस की शिक्षा को सही ठहराते हुए कहा कि ईश्वर की माता होने के नाते माता मरियम को ईश्वर की असीम भलाई से एक प्रकार की असीम गरिमा प्राप्त है।

नित्य कुँवारापन

माता मरियम को कलीसिया नित्य कुँवारी मानती है। इस का अर्थ यह है कि मरियम माता होने के बावजूद भी कुँवारी हैं। काथलिक कलीसिया का यह मानना है कि वे येसु को जन्म देने से पहले, येसु को जन्म देने के समय और येसु को जन्म देने के बाद भी कुँवारी थी। उनका किसी भी पुरुष से कभी भी संसर्ग नहीं हुआ था। उन्होंने अपने कुँवारेपन को ईश्वर के लिए समर्पित किया था। उन्होंने अपने कुँवारेपन को अखण्ड रखते हुए येसु को जन्म दिया। यह एक ईश्वरीय रहस्य है। इस का प्रमाण भी पवित्र ग्रन्थ हमें देता है। येसु के जन्म के पहले संत यूसुफ को दर्शन दे कर गब्रिएल दूत कहते हैं, “यह सब इसलिए हुआ कि नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाये - देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र प्रसव करेगी, और उसका नाम एम्मानुएल रखा जायेगा, जिसका अर्थ हैः ईश्वर हमारे साथ है।“ (मत्ती 1:22-23) इसायाह 7:14 में हम यह भविष्यवाणी पाते हैं।

कलीसिया यह मानती है कि माता मरियम की कोई दूसरी संतान नहीं थी। यानि येसु के कोई भाई-बहन नहीं थे। पवित्र ग्रन्थ में जहाँ-कहीं भी येसु के भाई-बहनों की बात होती है, उन सब का अर्थ उनके अन्य रिश्तेदारों का है माता मरियम की दूसरी संतानों का नहीं है।

निष्कलंक गर्भागमन

काथलिक कलीसिया माता मरियम के निष्कलंक गर्भागमन पर भी विश्वास करती है। सन्‍ 1854 में संत पापा पीयुस नौवें ने सिखाया कि माता मरियम के ईश्वरीय मातृत्व के फलस्वरूप उन्हें निष्कलंक गर्भागमन की कृपा भी प्राप्त हुई। लूकस 1:28 में स्वर्गदूत गब्रिएल माता मरियम को कृपापूर्ण कहते हैं।

स्वर्गारोपण

काथलिक कलीसिया सिखाती है कि माता मरियम के इस धरती पर अपना जीवन समाप्त करने पर उन्हें ईश्वर ने स्वर्ग में उठा लिया। पवित्र ग्रन्थ के अनुसार हानोक और एलियाह स्वर्ग में उठा लिये गये हैं। एलियाह और एलीशा “बातें करते हुए आगे बढ़ ही रहे थे कि अचानक अग्निमय अश्वों-सहित एक अग्निमय रथ ने आ कर दोनों को अलग कर दिया और एलियाह एक बवण्डर द्वारा स्वर्ग में आरोहित कर लिया गया।” (2 राजाओं 2:11) उत्पत्ति 5:24 कहता है, “हनोक ईश्वर के मार्ग पर चलता था। वह अन्तर्धान हो गया, क्योंकि ईश्वर उसे उठा ले गया।” कलीसिया यह नहीं बताती है कि मरियम की मृत्यु हुई थी या नहीं। परन्तु वह यह सिखाती है कि मरियम को शरीर और आत्मा के साथ स्वर्ग में उठा लिया गया है। सन 1950 में संत पिता पीयुस बारहवें मुनिफिचेन्तीस्सीमुस देउस (Munificentissimus Deus) नामक दस्तावेज़ में सिखाते हैं कि “धरती पर अपना जीवन पूरा करने के बाद मरियम को शरीर और आत्मा के साथ स्वर्ग की महिमा में उठा लिया गया”।


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