सोमवार, 08 जनवरी, 2024

प्रभु येसु का बपतिस्मा

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📒 पहला पाठ : इसायाह 42:1-4, 6-7

1) “यह मेरा सेवक है। मैं इसे सँभालता हूँ। मैंने इसे चुना है। मैं इस पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ। मैंने इसे अपना आत्मा प्रदान किया है, जिससे यह राष्ट्रों में धार्मिकता का प्रचार करे।

2) यह न तो चिल्लायेगा और न शोर मचायेगा, बाजारों में कोई भी इसकी आवाज नहीं सुनेगा।

3) यह न तो कुचला हुआ सरकण्डा ही तोड़ेगा और न धुआँती हुई बत्ती ही बुझायेगा। यह ईमानदारी से धार्मिकता का प्रचार करेगा।

4) यह न तो थकेगा और न हिम्मत हारेगा, जब तक यह पृथ्वी पर धार्मिकता की स्थापना न करे; क्योंकि समस्त द्वीप इसी शिक्षा की प्रतीक्षा करेंगे।“

6) “मैं प्रभु, ने तुम को न्याय के लिए बुलाया और तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम को सँभाला है। मैंने तुम्हारे द्वारा अपनी प्रजा को एक विधान दिया और तुम्हें राष्ट्रों की ज्योति बनाया है,

7) जिससे तुम अन्धों की दृष्टि दो, बन्दियों को मुक्त करो। और अन्धकार में रहने वालों को ज्योति प्रदान करो।


📕 अथवा - पहला पाठ : प्रेरित-चरित 10:34-38

34) पेत्रुस ने कहा, "मैं अब अच्छी तरह समझ गया हूँ कि ईश्वर किसी के साथ पक्ष-पात नहीं करता।

35) मनुष्य किसी भी राष्ट्र का क्यों न हो, यदि वह ईश्वर पर श्रद्धा रख कर धर्माचरण करता है, तो वह ईश्वर का कृपापात्र बन जाता हैं।

36) ईश्वर ने इस्राएलियों को अपना संदेश भेजा और हमें ईसा मसीह द्वारा, जो सबों के प्रभु हैं, शांति का सुसमाचार सुनाया।

37) नाज़रेत के ईसा के विषय में यहूदिया भर में जो हुआ हैं, उसे आप लोग जानते हैं। वह सब गलीलिया में प्रारंभ हुआ-उस बपतिस्मा के बाद, जिसका प्रचार योहन किया था।

38) ईश्वर ने ईसा को पवित्र आत्मा और सामर्थ्य से विभूषित किया और वह चारों ओर घूम-घूम कर भलाई करते रहें और शैतान के वश में आये हुए लोगों को चंगा करते रहें, क्योंकि ईश्वर उनके साथ था



📕 सुसमाचार : मारकुस 1:7-11

7) वह अपने उपदेश में कहा करता था, "जो मेरे बाद आने वाले हैं, वह मुझ से अधिक शक्तिशाली हैं। मैं तो झुक कर उनके जूते का फ़ीता खोलने योग्य भी नहीं हूँ।

8) मैंने तुम लोगों को जल से बपतिस्मा दिया है। वह तुम्हें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देंगे।"

9) उन दिनों ईसा गलीलिया के नाज़रेत से आये। उन्होंने यर्दन नदी में योहन से बपतिस्मा ग्रहण किया।

10) वे पानी से निकल ही रहे थे कि उन्होंने स्वर्ग को खुलते और आत्मा को कपोत के रूप में अपने ऊपर आते देखा।

11) और स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी, "तू मेरा प्रिय पुत्र है। मैं तुझ पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ।"


📚 मनन-चिंतन

प्रभु के बपतिस्मा का पर्व मानवता के दायरे में प्रभु येसु के परिचय का जश्न मनाता है। योहन बपतिस्ता, निर्जन प्रदेश में एक साहसी आवाज, ने पश्चाताप का एक शक्तिशाली संदेश सुनाया। उन्होंने किसी महान व्यक्ति के बारे में बात की, कोई इतना शक्तिशाली कि योहन बपतिस्ता खुद को नीचे झुककर उसके जूते के फीते खोलने के लिए भी अयोग्य समझा। वही येसु हैं, लंबे समय से प्रतीक्षित मसीहा।

योहन बपतिस्ता पानी से बपतिस्मा देता था, जो पश्चाताप के लिए शुद्धिकरण का एक प्रतीकात्मक कार्य था। लेकिन उन्होंने घोषणा की कि येसु पवित्र आत्मा का बपतिस्मा देंगे। येसु, पापरहित और परिपूर्ण, ने विनम्रतापूर्वक यर्दन नदी में योहन द्वारा बपतिस्मा लेने का फैसला किया, जो कि हमारी मुक्ति की आवश्यकता को दर्शाता है। जैसे ही येसु पानी से बाहर निकले, एक उल्लेखनीय घटना सामने आई। स्वर्ग खुल गया, और पवित्र आत्मा कबूतर के रूप में उस पर उतरा। ये शब्द येसु के प्रति ईश्वर के प्रेम की गहराई को प्रकट करते हैं। वह सिर्फ नाज़रेथ का एक बढ़ई नहीं है, वह ईश्वर का प्रिय पुत्र है। वही प्रेम जो येसु पर छाया हुआ है, हमारे बपतिस्मा के माध्यम से हमें प्रदान किया जाता है।

हमारे बपतिस्मा में, हमें ईश्वर के परिवार में आमंत्रित किया जाता है। पवित्र आत्मा हम पर उतरते हैं, हमें ईश्वर की प्रिय संतान के रूप में चिन्हित करते हैं। जैसे ईश्वर ने येसु के सामने पुष्टि की, वह हमारे सामने भी पुष्टि करता है कि “तुम मेरे प्यारे बच्चे हो; मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ।”

- फादर पॉल राज (भोपाल महाधर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION

The feast of the Lord’s Baptism celebrates Jesus’ introduction, as it were, into the realm of humanity. John the Baptist, a bold voice in the wilderness, proclaimed a powerful message of repentance. He spoke of someone greater, someone so mighty that John considered himself unworthy even to stoop down and untie the strap of His sandals. This someone was Jesus, the long awaited Messiah.

John baptized with water, a symbolic act of cleansing for repentance. But he announced that Jesus would bring something more profound a baptism with the Holy Spirit. Jesus, sinless and perfect, humbly chose to be baptized by John in the Jordan River, identifying with us in our need for redemption. As Jesus emerged from the water, a remarkable event unfolded. The heavens were torn open, and the Holy Spirit descended upon Him like a dove. These words reveal the depth of God’s love for Jesus. He is not just a carpenter from Nazareth, He is the beloved Son of God. The same love that envelops Jesus is offered to us through our baptism.

In our baptisms, we are invited into the family of God. The Holy Spirit descends upon us, marking us as beloved children of God. Just as God affirmed Jesus, He affirms to us that “You are my beloved child; with you, I am well pleased.”

-Fr. Paul Raj (Bhopal Archdiocese)

📚 मनन-चिंतन-2

संत योहन बपतिस्ता ने स्वीकार किया कि येसु उनसे अधिक महान है। उन्होंने इस बात की गवाही भी दी कि प्रभु येसु लोगों को पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देंगे। फिर भी येसु संत योहन बपतिस्ता से बपतिस्मा प्राप्त करना चाहते थे। संत योहन बपतिस्ता का बपतिस्मा पश्चाताप और मसीह के स्वागत की तैयारी का प्रतीक था। फिर भी येसु पापी मानवता के प्रतिनिधि के रूप में बपतिस्मा लेने के लिए संत योहन के पास पहुंचे। जब वह पश्चाताप के बपतिस्मा को स्वीकार कर रहे थे तो वह हमारे पापी मानव-स्वभाव को धारण कर रहे थे। येसु ने यर्दन नदी में हर इंसान का प्रतिनिधित्व किया और ईश्वर की ओर मुड़ने के लिए मानवता की इच्छा व्यक्त की। त्रिएक ईश्वर यर्दन में उपस्थित थे। पिता की आवाज ने येसु को अपना प्रिय पुत्र घोषित किया। पवित्र आत्मा उन पर कबूतर के रूप में उतरे। हमारे बपतिस्मा में हमें पवित्र त्रिएक ईश्वर की संगति में शामिल होने के लिए बुलाया जाता है। आइए हम हमेशा उनमें बने रहें और उज्ज्वल रहें।

- फादर फ्रांसिस स्करिया


📚 REFLECTION

St. John the Baptist acknowledged Jesus to be much greater than himself. He testified to the fact that Jesus was the one who was to baptize people with Holy Spirit and fire. Yet Jesus wanted to receive baptism from St. John. The baptism of St. John the Baptist was one of repentance and preparation to receive the Messiah. Yet Jesus as a representative of sinful humanity approached St. John to receive baptism. He was carrying our sinful nature as he approached the baptism of repentance. Jesus represented every human being at the Jordan expressing the willingness of humanity to turn to God. The whole Holy Trinity was present at the Jordan. There was the Father’s voice acknowledging Jesus to be His beloved Son. The Holy Spirit descended on him in the form of a dove. At our baptism we are called into the communion of the Holy Trinity. Let us always remain in him and be radiant.

-Fr. Francis Scaria

📚 मनन-चिंतन -03

संत योहन बपतिस्ता द्वारा दिया गया बपतिस्मा पश्चाताप का बपतिस्मा था। योहन बपतिस्ता के उपदेश सुनने के बाद अपने पापों के लिए पश्चात्ताप महसूस करने वाले पापियों ने अपने जीवन की दिशा बदलने का निर्णय व्यक्त किया। उनके पश्चाताप के संकेत के रूप में उन्हें यर्दन नदी में बपतिस्मा दिया गया था। अब सवाल उठता है कि योहन द्वारा येसु को बपतिस्मा क्यों दिया गया था। क्या वे पापी थे कि उन्हें पश्चात्ताप करना तथा बपतिस्मा लेना पड़ा? धर्मग्रन्थ कहता है, "तुम जानते हो कि मसीह पाप हरने के लिए प्रकट हुए। उन में कोई पाप नहीं है।“ (1योहन 3: 5)। संत पेत्रुस कहते हैं, "उन्होंने कोई पाप नहीं किया और उनके मुख से कभी छल-कपट की बात नहीं निकली" (1पेत्रुस 2:22)। वास्तव में, येसु ने यर्दन नदी में अपने आप को संत योहन बपतिस्ता के सामने प्रस्तुत कर पापी मानवजाति का प्रतिनिधित्व किया। संत पौलुस यह स्पष्ट करते हैं, "मसीह का कोई पाप नहीं था। फिर भी ईश्वर ने हमारे कल्याण के लिए उन्हें पाप का भागी बनाया, जिससे हम उनके द्वारा ईश्वर की पवित्रता के भागी बन सकें।" (2कुरिन्थियों 5:21)। नबी इसायाह ने इस बारे में भविष्यवाणी की थी, “वह हमारे ही रोगों को अपने ऊपर लेता था और हमारे ही दुःखों से लदा हुआ था और हम उसे दण्डित, ईश्वर का मारा हुआ और तिरस्कृत समझते थे। हमारे पापों के कारण वह छेदित किया गया है। हमारे कूकर्मों के कारण वह कुचल दिया गया है। जो दण्ड वह भोगता था, उसके द्वारा हमें शान्ति मिली है और उसके घावों द्वारा हम भले-चंगे हो गये हैं। हम सब अपना-अपना रास्ता पकड़ कर भेड़ों की तरह भटक रहे थे। उसी पर प्रभु ने हम सब के पापों का भार डाला है।“ (इसायाह 53: 4-6) येसु ने संत योहन बपतिस्ता के सामने यर्दन नदी में खड़े होकर मेरा और आपका प्रतिनिधित्व किया। आइए हम उनके सामने सिर झुकायें और हमें शुध्द करने के लिए धन्यवाद दें।

-फादर फ्रांसिस स्करिया


📚 REFLECTION

The Baptism administered by St. John the Baptist was one of repentance. The sinners, who felt sorry for their sins after listening to the preaching of John, expressed their decision to change the course of their lives. As a sign of their repentance they were baptized in the river Jordan. Now the question arises as to why Jesus was baptized by John. Was he sinful that he had to repent and receive Baptism? The Scripture says, “You know that he was revealed to take away sins, and in him there is no sin” (1Jn 3:5). St. Peter says, “He committed no sin, and no deceit was found in his mouth” (1Pet 2:22). In fact, Jesus represented the sinful humanity at the river Jordan when he presented himself before John to be baptized by him. St. Paul makes this clear when he says, “For our sake he made him to be sin who knew no sin, so that in him we might become the righteousness of God” (2Cor 5:21). Isaiah had prophesied about this, “Surely he has borne our infirmities and carried our diseases; yet we accounted him stricken, struck down by God, and afflicted. But he was wounded for our transgressions, crushed for our iniquities; upon him was the punishment that made us whole, and by his bruises we are healed. All we like sheep have gone astray; we have all turned to our own way, and the Lord has laid on him the iniquity of us all.” (Is 53:4-6) Jesus stood in the river in front of St. John the Baptist representing me and you. Let us bow before him and thank him for cleansing us in himself.

-Fr. Francis Scaria


प्रवचन

ख्रीस्त में प्यारे भाइयों-बहनों आज माता कलीसिया प्रभु के बपतिस्मा का त्यौहार मना रही है। आज के प्रथम पाठ में नबी इसायस प्रभु येसु के बारे भविष्यवाणी करते हैं। बाइबिल में नबी ईश्वर के प्रवक्ता थे। अतः ईश्वर नबियों के जरिये मनुष्यों तक अपना संदेश पहुचाते थे। जब नबी यह कहते हैं- ‘‘यह मेरा सेवक है। मैं इसे सॅंभालता हॅूं। मैंने इसे चुना है। मैं इस पर अत्यंत प्रसन्न हॅू। मैंने इसे अपना आत्मा प्रदान किया है ....’’ यह वचन स्वयं नबी का नहीं अपितु यह वचन ईश्वर का है जिसे आज के सुसमाचार में पुनः दुहराया जाता है। इस प्रकार नबी इसायस के जरिये ईश्वर ने जो येसु के संबंध में कहा था, पूर्ण होता है। योहन पाप क्षमा का उपदेश देकर लोगों को बपतिस्मा दे रहा था। येसु ने कोई पाप नहीं किया था। येसु निषपाप थे। अतः उन्हें बपतिस्मा लेने की आवश्यकता नहीं थी। फिर भी येसु बपतिस्मा लेते हैं। क्यों? येसु बपतिस्मा ग्रहण कर हमारी मानवीयता में भाग लेते हैं। हमारे पापों को अपने ऊपर लेते हैं। सुसमाचार के अन्य जगहों में हम येसु को यह कहते हुए पाते हैं कि उन्हें एक और बपतिस्मा लेना है। वह बपतिस्मा उनका सूली पर मरना है। इस प्रकार येसु हमारे पापों के लिए पश्चाताप करते हैं, हमारे पापों के लिए दुःख सहते हैं। हमारे पापों के कारण उन्हें मृत्यु सहना पड़ता है। इस प्रकार वे हमें हमारे पापों से मुक्ति देते हैं।

येसु के बपतिस्मा के बाद स्वर्ग खुल गया और ईश्वर का आत्मा कपोत के रूप में उतरा और येसु के ऊपर ठहर गया। येसु ने पवित्र आत्मा को ग्रहण किया। उन पर पवित्र आत्मा की मोहर लग गयी।

कलीफोर्निया पुलिस एवं अदालत ने किशोरों में एक ऐसी गोदन (टैटू) पायी है जो कि कॉंस्मेटिक सजावट से बढ़कर है। कुछ वर्ष पहले किशोर अपराध न्यायालय के न्यायाधीश ने कलीफोर्निया में यह पाया कि किशोरों की बहुत बड़ी संख्या जो उनके समक्ष पेश की जा रही थी उनके हाथों, उंगलियों एवं चेहरों में गोदन थी। उन्हें बाद में पता चला कि यह गोदन उनके किसी विशेष गिरोह में होने की पहचान थी जो कि अधिकतम किसी ड्रग के उपभोगकर्ता थे। ऐसी बहुत सी गोदन युवाओं द्वारा ही की गयी थी जो कि इसके सदस्य होने को बेकरार थे। न्यायधीश ने बाद में यह भी पता किया कि जिन किशोरों में यह गोदन प्रत्यक्ष थे वे वास्तव में नौकरी से निकाले गये थे क्योंकि संभावित नियोक्ता गोदन को अपराध एंव अक्षमता समझते थे और इन्हे नौकरी देने से इन्कार कर देते थे। न्यायाधीश ने लोस एन्जेल्स प्रदेश के चिकित्सा संघ के सदस्यों से पूछा - यदि कोई प्लास्टिक सर्जन बिना पैसा लिए बाल-अपराधियों के गोदन को मिटा सकता है। डाक्टर कार्ल स्टेन एक लोस एन्जेल्स के बहुत मशहूर प्लास्टीक सर्जन स्वेच्छा से आगे आये। 1981 ई. से इन्होंने सैकड़ों युवा रोगियों के गोदन कोष्शल्यचिकित्सा द्वारा उच्छेदनकर, रगड़कर, लेज़र से और लगभग सभी जाने गये तरीकों से मिटाया था।

हमारी बपतिस्मा एक गोदन है। पवित्र आत्मा द्वारा अमिट रूप से मुद्रित किया गया है जो हमारे येसु के शिष्य होने की पहचान है। कोई भी सर्जन इसे न मिटा सकता है और न ही हटा सकता है। यह मोहर या गोदन भले ही हमारे बुरे कर्मो, वचनों एंव सोचों से धूमिल हो सकता है, पाप रूप गन्दगी उसे भले ही दबा सकती है। परन्तु यह न कभी धुलेगा न मिटगा और न ही हटेगा।

सुसमाचार कहता है-‘‘स्वर्ग में यह वाणी सुनाई दी -यह मेरा प्रिय पुत्र है। मैं इस पर अत्यन्त प्रसन्न हॅू।’’ येसु के बपतिस्मा के पशचात स्वर्ग से पवित्र आत्मा कपोत के रूप में उतरा। इसके बाद ही ‘‘यह मेरा प्रिय पुत्र है।’’ वाणी सुनाई दी। याने कि हमारे बपतिस्मा में जब हम पर पवित्र आत्मा की मोहर लगायी गयी है, हम येसु के शिष्य और ईश्वर के पुत्र-पुत्रियां बन गये। पर क्या हमारे पड़ोसी या लोग पवित्र आत्मा की मोहर जो हमारी येसु के शिष्य व ईश्वर के पुत्र होने का पहचान है देख पाते हैं? जब-जब हम लोगों को निःस्वार्थ भाव से प्रेम करते हैं यह मोहर या गोदन लोगों को नजर आता है। जब-जब लोग हमें दुःख पहुंचाते हैं और हम बदला लेने के बजाय क्षमा करते हैं तो पवित्र आत्मा की मोहर को लोग महसूस करते हैं। जब-जब हम अपने अत्याचारियों व दुश्मनों के लिए प्रार्थना करते हैं, हमारे दुश्मन व अत्याचारी हम पर पवित्र आत्मा की मोहर को देख सकते हैं। जब-जब हम भूखों को खिलाते, प्यासें को पिलाते, नगों को कपड़ा पहनाते और बंदियों से मिलने जाते हैं तो ये लोग हम पर पवित्र आत्मा की मोहर को देख सकते हैं। जब-जब हम दीन-दुखियों की सेवा करते हैं तब दीन-दुखी हम पर लगी पवित्र आत्मा की मोहर क अहसास कर सकते हैं। जब-जब हम अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करते है तो हमारे पड़ोसी हम पर लगी पवित्र आत्मा की मोहर को देख सकते हैं। जब हम येसु के शिष्य व ईश्वर के पुत्र-पुत्री के भॉंति जीवन जीते हैं तो लोग हम पर पवित्र आत्मा की मोहर को देख सकते हैं। संक्षिप्त में, जब हम ईश्वर की इच्छा व योजना या ईश्वर के वचन के अनुसार जीवन जीते हैं तो लोग हम पर लगे पवित्र आत्मा की मोहर को देख सकते हैं।

तो ख्रीस्त में प्यारे भाइयो-बहनों आइये आज जब हम प्रभु येसु के बपतिस्मा का त्योहार मना रहें हैं तो हम ईश्वर से इस कृपा के लिए प्रार्थना करें कि हम ऐसा जीवन जीयें ताकि हमारे अड़ोस-पड़ोस के लोग, समाज व संसार हम पर लगी पवित्र आत्मा की मोहर को देख सके, महसूस कर सके।

-फादर जीवन किशोर तिर्की