गुरुवार, 07 मार्च, 2024

चालीसे का तीसरा सप्ताह

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पहला पाठ : यिरमियाह 7:23-28

23) मैंने उन्हें केवल यह आदेश दियाः यदि तुम मेरी बात पर ध्यान दोगे, तो मैं तुम्हारा ईश्वर होऊँगा और तुम मेरी प्रजा होगे। यदि तुम मेरे बताये हुए मार्गों पर चलोगे, तो तुम्हारा कल्याण होगा।

24) किन्तु उन्होंने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और मेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया। वे अकड़ कर बुराई करते रहे और मेरे पास आने की अपेक्षा मुझ से दूर चले गये।

25) जिस दिन उनके पूर्वज मिस्र देश से निकले, उस दिन से आज तक मैं अपने सब सेवकों, अर्थात् नबियों को उनके पास भेजता रहा।

26) किन्तु उन्होंने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और मेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया। वे अकड़ कर बुराई करते रहे और अपने पूर्वजों से अधिक दुष्ट निकले।

27) “तुम उन्हें यह सब बता दोगे, किन्तु वे तुम्हारी नहीं सुनेंगे। तुम उन्हें पुकारोगे, किन्तु वे उत्तर नहीं देंगे।

28) तुम उन से यह कहोः यह वह प्रजा है जो अपने प्रभु-ईश्वर की बात नहीं सुनती और शिक्षा ग्रहण करने से इन्कार करती है। सच्चाई नहीं रही; वह उनके मुख से चली गयी है।

सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 11:14-23

14) ईसा ने किसी दिन एक अपदूत निकाला, जिसने एक मनुष्य को गूँगा बना दिया था। अपदूत के निकलते ही गूँगा बोलने लगा और लोग अचम्भे में पड़ गये।

15) परन्तु उन में से कुछ ने कहा, "यह अपदूतों के नायक बेलज़ेबुल की सहायता से अपदूतों को निकालता है"।

16) कुछ लोग ईसा की परीक्षा लेने के लिए उन से स्वर्ग की ओर का कोई चिन्ह माँगते रहे।

17) उनके विचार जान कर ईसा ने उन से कहा, "जिस राज्य में फूट पड़ जाती है, वह उजड़ जाता है और घर के घर ढह जाते हैं।

18) यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करने लगे, तो उसका राज्य कैसे टिका रहेगा? तुम कहते हो कि मैं बेलजे़बुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ।

19) यदि मैं बेलजे़बुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसी सहायता से उन्हें निकालते हैं? इसलिए वे तुम लोगों का न्याय करेंगे।

20) परन्तु यदि मैं ईश्वर के सामर्थ्य से अपदूतों को निकालता हूँ, तो निस्सन्देह ईश्वर का राज्य तुम्हारे बीच आ गया है।

21) "जब बलवान् मनुष्य हथियार बाँधकर अपने घर की रखवाली करता है, तो उसकी धन-सम्पत्ति सुरक्षित रहती है।

22) किन्तु यदि कोई उस से भी बलवान् उस पर टूट पड़े और उसे हरा दे, तो जिन हथियारों पर उसे भरोसा था, वह उन्हें उस से छीन लेता और उसका माल लूट कर बाँट देता है।

23) "जो मेरे साथ नहीं है, वह मेरा विरोधी है और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है।

📚 मनन-चिंतन

येसु एक समझदार शिक्षक और धैर्यवान प्रशिक्षक थे। यहाँ तक कि जब उनके श्रोता उनके प्रति आक्रामक और रोषकारी थे, तब भी उन्होंने धैर्यपूर्वक उन्हें ईश्वर के राज्य के मूल्यों की शिक्षा दी। हम यह रवैया उस समय साफ देखते हैं जब उनके विरोधियों ने उन पर आरोप लगाते हुए कहा, "वह नरकदूतों के नायक की सहायता से नरकदूतों को निकालता है"। वे अपने श्रोताओं की ऐसी प्रतिक्रियाओं से आहत होने को तैयार नहीं थे। दूसरी ओर, उन्होंने धैर्यपूर्वक उन्हें उनके कथन की अतार्किकता को इंगित करते हुए यह सिखाया कि दुष्ट आत्माएँ अपने दुष्ट राज्य के निर्माण में रुचि रखती हैं और उनके बुरे प्रयासों में वे एकजुट रहते हैं। प्रयासों की एकता के बिना शैतान का राज्य टिक नहीं सकता। इसलिए शैतान अपने स्वयं के प्रयासों को खराब करने में शामिल नहीं हो सकता। यह आत्मघाती होगा। येसु चाहते हैं कि हम यह समझ लें कि वे ईश्वर के सामर्थ्य से, न कि शैतान की सहायता से शैतान के राज्य को नष्ट करने का काम कर रहे हैं। वे हमें यह जानने के लिए आमंत्रित करते हैं कि वे शैतान से बहुत अधिक शक्तिशाली हैं।

- फादर फ्रांसिस स्करिया


📚 REFLECTION

Jesus was an understanding teacher and a patient trainer. Even when his listeners were aggressive and offensive towards him, he patiently taught them the values of the Kingdom of God. We see this approach when his opponents said, “He casts out demons by Beelzebul, the prince of demons”. He was unwilling to be hurt by such reactions from his listeners. On the other hand, he patiently showed them the illogicality of their statement by pointing out that the evil spirits are interested in building their evil kingdom and in their evil efforts they are united. Without unity of efforts the kingdom of the devil cannot stand. Hence the devil cannot indulge in spoiling his own efforts. That would be suicidal. Jesus wants us to perceive “the finger of God” working through him destroying the kingdom of the devil. He invites us to know he is much stronger than the devil.

-Fr. Francis Scaria