अप्रैल 17, 2024, बुधवार

पास्का का तीसरा सप्ताह

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📒 पहला पाठ :प्रेरित-चरित 8:1ब-8

1) साऊल इस हत्या का समर्थन करता था। उसी दिन येरुसालेम में कलीसिया पर घोर अत्याचार प्रारम्भ हुआ। प्रेरितों को छोड़ सब-के-सब यहूदिया तथा समारिया के देहातों में बिखर गये।

2) भक्तों ने, स्तेफ़नुस पर करुण विलाप करते हुए, उसे कब्र में रख दिया।

3) साऊल उस समय कलीसिया को सता रहा था। वह घर-घर घुस जाया करता और स्त्री-पुरुषों को घसीट कर बन्दीगृह में डाल दिया करता था।

4) जो लोग बिखर गये थे, वे घूम-घूम कर सुसमाचार का प्रचार करते रहे।

5) फि़लिप समारिया के एक नगर जा कर वहाँ मसीह का प्रचार करता था।

6) लोग उसकी शिक्षा पर अच्छी तरह ध्यान देते थे, क्योंकि सब उसके द्वारा दिखाये हुए चमत्कारों की चर्चा सुनते या उन्हें स्वयं देखते थे।

7) दुष्ट आत्मा ऊँचे स्वर से चिल्लाते हुए बहुत-से अपदूतग्रस्त लोगों से निकलते थे और अनेक अद्र्धांगरोगी तथा लंगड़े भी चंगे किये जाते थे;

8) इसलिए उस नगर में आनन्द छा गया।

📚 सुसमाचार : योहन 6:35-40

35) उन्होंने उत्तर दिया, "जीवन की रोटी मैं हूँ। जो मेरे पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी।

36) फिर भी, जैसा कि मैंने तुम लोगों से कहा, तुम मुझे देख कर भी विश्वास नहीं करते।

37) पिता जिन्हें मुझ को सौंप देता है, वे सब मेरे पास आयेंगे और जो मेरे पास आता है, मैं उसे कभी नहीं ठुकराऊँगा ;

38) क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, बल्कि जिसने मुझे भेजा, उसकी इच्छा पूरी करने के लिए स्वर्ग से उतरा हूँ।

39) जिसने मुझे भेजा, उसकी इच्छा यह है कि जिन्हें उसने मुझे सौंपा है, मैं उन में से एक का भी सर्वनाश न होने दूँ, बल्कि उन सब को अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँ।

40) मेरे पिता की इच्छा यह है कि जो पुत्र को पहचान कर उस में विश्वास करता है, उसे अनन्द जीवन प्राप्त हो। मैं उसे अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा।"

📚 मनन-चिंतन

प्रारंभिक कलीसिया मे ख्रीस्तीय विश्वासियों पर घोर अत्याचार हुआ करता था। ड़र के मारे लोग बिखर गये। साउल घरों मे जा-जा कर लोगों का बंदीग्रह तक घसीट ले जाता था, फिर भी प्रेरितों ने घूम-घूम कर सुसमाचार का प्रचार किया। लोग उनकी शिक्षा को घ्यान से सुनते एवं विश्वास में मजबूत होकर आनंदित थे।

प्रभु येसु भी लोगों को पिता के बारे में बताते हैं। वे पिता की इच्छा को पूरा करने आये। पिता सबों से प्रेम करते एवं सबों को नवजीवन देना चाहते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि सब कोई उनके पुत्र में विश्वास करें, क्योंकि पुत्र ही सबों को बचाने एवं जीवन देने आये हैं। हम अपने विश्वास में दृढ बनें। क्या हमा हमारे विश्वास में मजबूत हैं? आइये, हम प्रभु पर विश्वास कर हमारा विश्वास और भी गहरा बनाये।

- फादर साइमन मोहता (इंदौर धर्मप्रांत)


📚 REFLECTION

In the early church, there used to be severe persecution of Christian believers. People scattered in fear. Saul went from house to house and dragged people to prison, yet the apostles went around preaching the gospel. The people listened attentively to his teachings and were happy to be strong in faith.

Lord Jesus also tells people about the Father. He came to fulfill the will of the Father. Father loves everyone and wants to give new life to everyone. He also wants everyone to believe in His Son, because the Son has come to save and give life to all. Let us be firm in our faith. Are we strong in our faith? Come, let us make our faith even deeper by believing in the Lord.

-Fr. Simon Mohta (Indore Diocese)

📚 मनन-चिंतन- 2

यह परमेश्वर की इच्छा है कि हम यीशु को देखें, और यीशु को अपने हृदय और आत्मा की गहराई से जानें, ताकि हम अनन्त जीवन का आनंद उठा सकें। यीशु हमारा स्रोत और दिशासूचक है; यह उसके द्वारा ही हम पिता परमेश्वर की ओर ले जाते हैं। हम यीशु के शब्दों और कार्यों पर विश्वास करने और उस पर भरोसा करने के लिए आमंत्रित किये गये है, और ऐसा करने में, हमें निराश नहीं छोड़ा जाएगा। हम खुद को कैसे देखते हैं? हम दूसरों को कैसे देखते हैं? क्या हम अपने सामने खड़े व्यक्ति में मसीह का चेहरा देखते हैं? हमारे परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों में, हमारे दुश्मनों में? यीशु हमसे कहते हैं, 'जीवन की रोटी मैं हूं'। जो कोई भी यीशु को देखता है, जो हम में से प्रत्येक में मौजूद है, और उसके साथ संबंध जोड़ता है, प्रेम उनके हृदय में अहम् स्थान लेता है। हम न भूखे रहेंगे और न प्यासे। क्या हम इस पर विश्वास करते हैं? क्या हम इस बात को पहचानते और मनाते हैं कि ऐसा करने में, हम वे लोग हैं जिन्हें पुनर्जीवित किया गया है ?

- फादर पायस लकड़ा


📚 REFLECTION

Jesus in today’s gospel calls Himself the ‘Bread of Life.’ But why does Jesus call Himself the bread of life? All of us need food to survive. We cannot live long if there is no food. Bread sustains us. But what is ‘life’? Jesus teaches us that life is more than mere physical existence. It is a life that is connected with God, the author of life. It is a life of real relationship with God: a relationship of trust, love and obedience.

Jesus is our Bread of Life because first, He offers Himself as our spiritual food which produces the very life of God within us. Second, He promises unbroken friendship and freedom from the fear of being forsaken or cut off from God. And third, He offers us the hope of sharing in His resurrection.

But this part of the Bread of Life Discourse, Jesus emphasizes the necessity of ‘Bread of Life’ and ‘Words of life’. It is because Jesus says: “One does not live by bread alone but by every word that comes forth from the mouth of God,” (Matt 4:4). An author said that in order to know somebody we need two things to reveal the other person about himself: his words and his deeds.

But what is more important is how we live the Bread of Life and Words of life, in our life.

-Fr. Pius Lakra

📚 मनन-चिंतन - 2

वर्तमान में पूरे विश्व में फैली कोविद-19 महामारी ने संसार को कई बाते़ सिखाई है। यह बात कड़वी तथा सच्ची अनुभूति के साथ हमारे समक्ष रखती है। एक अहसास जो इस महामारी ने सबको करा दिया वह है कि धन इंसान को बचा नहीं सकता। इस संसार में हर कोई अधिक से अधिक धन को संग्रह करने मे लगा हुआ था परंतु इस महामारी और लॉक-डाउन ने सिखा दिया कि भोजन और पानी जीवन के लिए सबसे जरूरी है तथा विलासिता और सम्पत्ति मात्र अप्रधान है। हमें सबसे जरूरी उस मूलभूत भोजन और पानी पर मनन करना चाहिए जो हमारे भूख और प्यास को बुझाती है। आज के सुसमाचार में येसु कहते है कि वह जीवन की रोटी है। जो उनके पास आता है उन्हे कभी भूख नहीं लगेगी और जो उन पर विश्वास करता है उन्हें कभी प्यास नहीं लगेगी।

इस संसार में हर कोई अपने भूख और प्यास के लिए कार्य करता है; यहॉं तक कि एक भिखारी भी इसके लिए भिक मॉंगने की मेहनत करता है। भूख और प्यास सभी को कुछ न कुछ करने के लिए प्ररित करती है। यहॉं पर भूख और प्यास का मतलब केवल भोजन या पानी की भूख-प्यास नही अपितु विभिन्न इच्छाओं की भूख प्यास भी हैः जैसे खुशी की भूख, प्यार, प्रोत्साहन, नाम, शोहरत की भूख, धन का भूख, वास्ना की प्यास इत्यादि; परंतु येसु के पास जाना और उनमें विश्वास ही सभी प्रकार के भूख और प्यास को शांत कर सकता है।

येसु जीवन की रोटी है जो हमारी भूख और प्यास को बुझाता है। आईये हम येसु के पास जाये क्योकि येसु कहते है, ‘‘जो कोई मेरे पास आता है मै उसे कभी नहीं ठुकराऊँगा। येसु इस संसार में पिता ईश्वर की इच्छा पूरी करने आये और पिता ईश्वर की इच्छा है कि जो पुत्र को पहचान कर उस में विश्वास करता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त हो।

अपने भूख को शांत करने के लिए हम कई जगह भटकते है। आईये हम येसु के करीब जाये और उन पर विश्वास करें जिससे हम उनमें शांति एवं अनंत जीवन का अनुभव कर सकें। आमेन

- फादर डेन्नीस तिग्गा


📚 REFLECTION

The present pandemic of Covid-19 has taught the world many things. It came with both bitter and sweet realization. One realization which it gave to the world is that money cannot save the person. In this world all try to acquire more and more of wealth but the pandemic and lockdown has taught that food and water is the basic things we need and all the luxury and possessions are mere secondary. We need to reflect on basic need of food and drink which satisfies our hunger and thirst. Jesus in today’s gospel says that He is the bread of life. Whoever comes to him will never be hungry, and whoever believes in him will never be thirsty. In this world all do work in order to quench their Hunger and thirst; even the beggar begs in order to eat and satisfy his hunger. Hunger and thirst makes us to do one or the other things. Here Hunger and thirst not only means hunger and thirst for food and water but also means the hunger and thirst for various desires like happiness, love, appreciation, name, fame, honour, lust, wealth, and so on but the only thing which can satisfy our hunger and thirst is by going to Jesus and believing him. Jesus is the bread of life who satisfies our hunger and quenches our thirst. Let’s go to him because Jesus says anyone who comes to him He will never drive away. He came to do the will of the Father and will of the Father is that all who see the Son and believe in him may have eternal life. In order to satisfy our hunger we roam from one place to another. Let’s go to Jesus and believe in him so that we can enjoy the peace and eternal life in him. Amen

-Fr. Dennis Tigga