आध्यात्मिक मन्ना

आँख का तिनका

फ़ादर रोनाल्ड वॉन


Ronald Vaughan एक कहानी है। बहुत समय पहले चीन में ली-ली नामक लडकी रहती थी। शादी के बाद उसे अपने पति के घर में अपने पति तथा सास के साथ रहना पडा। कुछ ही समय में ली-ली को अपनी सास के साथ रहना बहुत मुश्किल लगने लगा। ली-ली को अपनी सास का व्यवहार पसन्द नहीं था। वह हमेशा ली-ली की आलोचना करती थी। दोनों के बीच दोषारोपण तथा झगडे का सिलसिला चलता रहा। प्राचीन चीनी परम्परा के अनुसार ली-ली को रोज सिर झुकाकर अपनी सास का अभिवादन करना पड़ता था। यह ली-ली को बहुत ही कठिन महसूस होता था। ली-ली का पति एक अच्छा व्यक्ति था। वह अपनी पत्नी और माँ के बीच के झगडे को लेकर बहुत चिन्तित तथा परेषान था।

ली-ली ने इस समस्या का समाधान करने का निर्णय लिया। वह अपने पिता के एक दोस्त, हुआंग, जो दवाई बेचता था, के पास गयी तथा इस परिस्थिति से उसे अवगत कराया। उससे अपनी सास के खाने में जहर मिलाकर उसे खत्म करने के लिए जहर माँगा। हुआंग ने उसे एक दवाई देकर कहा, ’’अगर तुम उसे ऐसा जहर खिलाओगी जिससे वह तुरन्त मर जाती है, तो तुम पर दोष लगाया जायेगा और तुम पकडी जाओगी। तुम दोनों के बीच के झगडे के बारे में सभी लोग जानते हैं। इसलिए मैं तुम्हें एक ऐसी जहरीली दवाई दे रहा हूँ जिसे तुम्हें रोज तुम्हारी सास के खाने में मिलाना चाहिए और इससे मृत्यु बहुत धीरे-धीरे होगी। इस में कई दिन लगेंगे। धीरे-धीरे तुम्हारी सास का स्वास्थ्य बिगड जायेगा और कुछ ही महीनों में वह मर जायेगी। उसकी मृत्यु पर तुम्हारे ऊपर किसी को सन्देह भी नहीं होगा।’’ उसने ली-ली को यह भी समझाया कि ली-ली को अपनी सास के साथ उसकी मृत्यु तक प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए ताकि वह भी उस पर शक न करेगी।

ली-ली दवाई ले गई। उसने रोज अपनी सास के खाने में दवाई मिलाई। वह उस दिन से सास के साथ बहुत अच्छा व्यवहार करने लगी। उसने कभी भी अपनी सॉस को उस पर शक करने का अवसर नहीं दिया। ली-ली ने अपने गुस्से पर नियन्त्रण रखना भी सीख लिया। कुछ ही महीनों में परिवार का वातावरण बदल गया था। जैसे-जैसे समय निकलता गया, ली-ली के अच्छे व्यवहार से प्रभावित होकर उसकी सास भी उसे अपनी बेटी की तरह प्यार करने लगी। वह अपनी सहेलियों तथा पड़ोसियों के साथ बात करते समय ली-ली के अच्छे व्यवहार तथा प्रेम की बहुत तारीफ करने लगी।

इस घटनाक्रम से ली-ली बहुत प्रभावित हुई तथा अपनी सास के हित में सोचने लगी। उसने उसे जहरीली दवाई देना बन्द कर दिया। उसे दुख हुआ तथा बुरा भी लगा था कि उसकी सास कुछ ही दिनों में उसके द्वारा दी गई जहरीली दवाई के प्रभाव से मर जायेगी। वह वापस हुआंग के पास गयी तथा परिवार के बदलते हुए माहौल के बारे में उसे अवगत कराया और कहा कि अपनी सास को अभी तक दी गई जहरीली दवाई के प्रभाव से बचाने के लिए कुछ दवाई चाहिए ताकि उसकी सास उसके साथ हमेशा रहे। इस पर हुआंग ने मुस्कुराते हुए कहा, ’’तुम्हें चिन्तित होने की कोई ज़रूरत नहीं, मैंने तुम्हें कोई जहरीली दवाई नहीं दी थी। वह विटामिन था। मैं पहले ही यह समझ गया था कि जहर तो तुम्हारे हृदय में था - अपनी सास के प्रति नफरत का जहर। अब तुम्हारे प्यार से वह जहर धुल गया है। अपने परिवार में जाकर सफल जीवन बिताओ।’’

सन्त लूकस 6:41-42 : ''जब तुम्हें अपनी ही आँख की धरन का पता नहीं, तो तुम अपने भाई की आँख का तिनका क्यों देखते हो? जब तुम अपनी ही आँख की धरन नहीं देखते हो, तो अपने भाई से कैसे कह सकते हो, 'भाई! मैं तुम्हारी आँख का तिनका निकाल दूँ?' ढोंगी! पहले अपनी ही आँख की धरन निकालो। तभी तुम अपने भाई की आँख का तिनका निकालने के लिए अच्छी तरह देख सकोगे।

सन्त मत्ती 7:9-12 ''यदि तुम्हारा पुत्र तुम से रोटी माँगे, तो तुम में ऐसा कौन है जो उसे पत्थर देगा? अथवा मछली माँगे, तो उसे साँप देगा? बुरे होने पर भी यदि तुम लोग अपने बच्चों को सहज ही अच्छी चीजें देते हो, तो तुम्हारा स्वर्गिक पिता माँगने वालों को अच्छी चीजें क्यों नहीं देगा? ''दूसरों से अपने प्रति जैसा व्यवहार चाहते हो, तुम भी उनके प्रति वैसा ही किया करो। यही संहिता और नबियों की शिक्षा है।


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