भेडियों के बीच भेडों की तरह...।

संत लूकस के सुमाचार 10:1 में हम प्रभु का वचन कहता है - ‘‘फसल तो बहुत है पर मजदूर थोडे ही हैं, इसलिए फसल के स्वामी से विनती करो कि वह अपनी फसल काटने के लिए मजदूरों को भेजे।’’ फसल बहुत ज़्यायादा है, सारा संसार एक फसल का खेत है, गिने-चुने परिवार अथवा देश नहीं। संत मारकुस के सुसमाचार में प्रभु कहते हैं ‘‘संसार के कोने-कोने में जाकर सारी सृष्टि को सुसमाचार सुनाओ’’ (मारकुस 16:51) केवल इंसान ही नहीं सारी सृष्टि को प्रभु की मुक्ति की जरूरत है। संत पौलुस कहते हैं कि समस्त सृष्टि प्रभु के लिए कराह रही है। (रोम 8:22)। हमें सारी मानवजाती व सारी सृष्टि को प्रभु येसु के मुक्तिविधान के दर्शन कराना है। इस मुक्तिकार्य में हमारी सहभागिता बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमारे कँधे पर प्रभु ने एक बहुत बडी जिम्मेदारी रख दी है। प्रभु ने कहा है - “मुझे स्वर्ग और पृथ्वी पर पूरा अधिकार मिला है। इसलिए तुम लोग जाकर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दो। मैंने तुम्हें जो-जो आदेश दिये हैं, तुम लोग उनका पालन करना उन्हें सिखलाओ और याद रखो - मैं संसार के अंत तक सदा तुम्हारे साथ हूँ“ (मत्ती 28:19-20) संत पौलुस 1 कुरिथियों 9:16 में कहते हैं कि ईश्वर ने उन्हें सुसमाचार का प्रचार करने का आदेश दिया है। जी हाँ, सुसमाचार का प्रचार करना हमारे लिए एक विकल्प नहीं, परन्तु हमारे लिए एक आदेश है, जिसका पालन हर ईसाई भाई-बहन को करना है। संत पौलुस ने अपनी इस जिम्मेदारी को भली-भाँति समझा व इसे स्वीकार किया। वे कहते हैं - “धिक्कार मुझे यदि मैं सुसमाचार का प्रचार न करूँ“ (1 कुरिन्थियों 9:16) तथा “मुझे सुसमाचार से लज्जा नहीं। यह ईश्वर का सामर्थ्य है“ (रोमियों 1:16)। सुसमाचार के गवाह बनाकर प्रभु हमें भेडियों के बीच भेडों की तरह भेजते हैं। ‘‘मैं तुम्हें भेडों की तरह भेजता हूँ’’ (लूक 10:3)। यह एक बहुत ही मर्मस्पर्शी चित्रण है। कभी न कभी हम में से हर किसी ने डिस्कवरी चैनल देखा ही होगा। उसमें भेड बकरियों का शिकार करते हुए हाइना व भेडियों को आपने जरूर देखा होगा। कल्पना कीजिए उस क्षण की जब वह बेचारी भेड हाइना अथवा भेडियों के झुंण्ड में अकेली फंस जाती है। और वे खुंखार शिकारी जानवर अपने दाँत पीसते हुए उस पर झपट पडने के लिए उतावले हो रहे होते हैं। उस बेचारी भेड की मनोस्थिति की कल्पना कीजिए, जिसे अपनी मौत सामने नजर आती है। हम सब उसी भेड की भाँति इस दुनिया में भेजे गये हैं। हम शेर, चीता अथवा टाइगर बनकर अपना रोब जमाने और दुनिया पर शासन करने नहीं बल्कि दुनिया की सेवा में अपना जीवन अर्पित करने के लिए बुलाये गये हैं। हम इसलिए बुलाए गये हैं कि हम सेवक बनकर पूरी दुनिया को प्रभु के पास ला सकें। सारी सृष्टि को प्रभु के राज्य में मिला सकें। इसके लिए हमें भेडियों के बीच भेडों जैसा बनना पडेगा। प्रभु येसु स्वयं भेडियों की बीच एक निर्दोष मेमने के रूप में पिता के द्वारा भेजे गये थे जिन्हें देखेकर योहन ने कहा था “देखो -ईश्वर का मेमना, जो संसार के पाप हरता है।“ भेडियों ने इस मेमने को समाप्त कर देना चाहा परन्तु वह उन सब पर विजयमान हुआ। प्रकाशना 5:9 में हम इस बलित मेमने के विषय में सुनते हैं कि स्वर्ग में संतगण इनकी महिमा का गीत गाते हुए कहते हैं - तू पुस्तक खोलने योग्य है, क्योंकि तेरा वध किया गया है। तूने अपना रक्त बहा कर इश्वर के लिए प्रत्येक वंश, भाषा, प्रजाती और राष्ट्र से मनुष्यों को खरीद लिया है। और आगे वचन कहता है - लाखों करोडों की संख्या में दूतगण एक स्वर से ये गा रहे हैं - ‘‘बलि चढाया हुआ मेमना, सामर्थ्य, वैभव, प्रज्ञा, शक्ति, सम्मान, महिमा तथा स्तुति का अधिकारी है’’ (प्रकाशना 5:12)। इसलिए प्रभु येसु एक पराजित नहीं विजयीमान मेमना है जिसने सारे संसार पर विजय प्राप्त की है। वे हमसे कहते हैं - ‘‘संसार में तुम्हें क्लेश सहना पडेगा। परन्तु ढ़ारस रखो मैंने संसार पर विजय पायी है’’ (योहन 16:33)। इसलिए भेडें बनकर जीना, विनम्रता, दया, प्रेम और करूणाभरा जीवन जीना कोई कायरता व कमज़ोरी की बात नहीं। यह हमारी ताकत है, हम इसी से विजय प्राप्त करते हैं। हम लाठी, तलवार अथवा बुन्दुक नोंक पर नहीं बल्कि प्रभु येसु के द्वारा दिखाए गये विनम्रता, प्रेम दया व क्षमा के मार्ग पर चलकर ही दुनिया पर विजय प्राप्त करते हैं। यही है परमेश्वर का राज्य, शाँति, भाईचारे व प्रेम का राज्य। भेड़ बनकर जीने में जो ताकत है वह भेडिया बनकर नहीं हासिल की जा सकती। बडे-बडे राजा महाराजाओं व शासकों ने (जैसे- सिकंदर महान, हिटलर आदि) अपने राजकीय व सैन्य बल से दुनिया को फतह करने की सोची थी। लेकिन आज वे बस इतिहास के पन्नों में ही सिमट कर रह गये हैं। परन्तु मदर तेरेसा, जिसने दीन-हीन मेमने की राहों पर चलकर स्वयं उस मसीह की दया व करूणा की प्रतिमुर्ति बनकर जीवन जिया, को आज सारी दुनिया संत कह कर बुलाती है। लोग उन्हें आज श्रद्धा से नमन करते हैं। वे विजयी मेमने की स्वर्गीय सेना में सम्मिलित हो गयी है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें कई खुंखार भेडियों का सामना करना पडा। लेकिन वो बलीत मेमने प्रभु येसु मसीह के द्वारा दिखाए गये मार्ग पर नित चलती रही। वे हमेशा ही एक निर्भक, कर्मठ व विनम्र भेड समान बनी रही। उनकी विनम्रता व सहनश्क्ति का एक किस्सा आप लोगों ने सुना ही होगा। किसी दिन वे अपने अनाथ व बीमार बच्चों के लिए भिक्षा मांगने गई। उन्होंने किसी महाजन के सामने अपने हाथ पसारे तो उसने मदर की हथेली पर थूक दिया। मदर ने उसे पोंछ कर फिर अपना हाथ उनकी ओर बढाया और कहा, “ये तो आपने मेरे लिए दिया अब मेरे बच्चों के लिए भी कुछ दे दीजिए”। इस पर उस आदमी का दिल पानी-पानी हो गया। वह खुद को शर्मिंदा महसूस करने लगा। और तब से मदर के सेवाकार्य में अपना हाथ बंटाने लगा। इसे ही कहते हैं भेडियों के बीच भेड बनकर जीना। हम हमारी इस ख्रीस्तीय बुलाहट को अपने जीवन में उतारने के लिए प्रभु से आशिष व कृपा माँगे।

-फादर प्रीतम वसुनिया - इन्दौर धर्मप्रांत


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