मैं भेड़शाले का द्वार हूँ

प्रभु येसु कहते हैं, “मैं भेड़शाले का द्वार हूँ”। उस समय के कई चरवाहे रात को भेडों को गुफे के अन्दर रखते थे। शाम को सभी भेड़ों को गुफे के अन्दर भेजने के बाद चरवाहा गुफे के द्वार पर ही लेट जाता था। अगर कोई भेड़ बाहर जाती है, तो चरवाहे के ऊपर से ही जा पाती थी। ऐसा करने पर चरवाहा जाग जाता था और उसे संभालता था। इसी प्रकार कोई जंगली जानवर भेडों पर आक्रमण करने के लिए गुफे के पास आता है, तो उसे चरवाहे के ऊपर से ही अन्दर जाना पड़ता था। तब चरवाहा सतर्क बन कर भेडों की रक्षा करता था। प्रभु येसु हमें इसी प्रकार संभालते हैं।

निर्गमन 14:13-14 “मूसा ने लोगों से कहा, ''डरो मत! धीर बने रहो! और यह देखो कि किस प्रकार प्रभु आज तुम लोगों की रक्षा करेगा। जिन मिस्रियों को तुम आज देख रहे हो, तुम उन्हें फिर कभी नहीं देखोगे। (14) प्रभु ही तुम्हारी ओर से युद्ध करेगा और तुम लोगों को कुछ भी नहीं करना पड़ेगा।''

स्तोत्र 34:18-19 “प्रभु दुहाई देने वालों की सुनता और उन्हें हर प्रकार के संकट से मुक्त करता है। (19) प्रभु दुःखियों से दूर नहीं है। जिनका मन टूट गया, प्रभु उन्हें संभालता है।”

स्तोत्र 91:7 “तुम्हारी बगल में भले ही हजारों और तुम्हारी दाहिनी ओर लाखों ढेर हो जायें, किन्तु तुम को कुछ नहीं होगा।”

नहूम 1:7 “प्रभु कलयाणकारी है, संकट काल में वही आश्रय है; वह अपने शरणागत का ध्यान रखता है और डूबते का सहारा बनता है।”

2 कुरिन्थियों 4:8-9 “हम कष्टों से घिरे रहते हैं, परन्तु कभी हार नहीं मानते, हम परेशान होते हैं, परन्तु कभी निराश नहीं होते। (9) हम पर अत्याचार किया जाता है, परन्तु हम अपने को परित्यक्त नहीं पाते। हम को पछाड़ दिया जाता है, परन्तु हम नष्ट नहीं होते।"

-फ़ादर फ़्रांसिस स्करिया


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