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29. पास्का इतवार (दिन)

प्रेरित चरित 10:34अ,37-43; कलोसियों 3:1-4 या कलोसियो 5:6ब-8; योहन 20:1-9 या मारकुस 16:1-8

ब्रदर संतोष तिग्गा (रायपुर)


पुनर्जीवित प्रभु येसु मेरे प्यार भाइयो एवं बहनों-

हमारे प्रभु येसु सचमुच में आज मृतकों में से जी उठे हैं। आज हम सभी बड़े ही उत्साह एवं उमंग के साथ पास्का का त्यौहार मना रहे हैं। क्या हमने कभी भी पास्का के अर्थ समझने की कोशिश की है? प्यारे भाइयों एवं बहनों पास्का का अर्थ है गुलामी के दासता से छुटकारा पाना, पुराने विधान में हम पाते हैं कि इस्राएली लोग मिस्रियों के हाथों में गुलामी का जीवन बीता रहे थे। उन्हे बैगारी का जीवन बिताना पड़ रहा था। उनका जीवन पूरी तरह से अधंकारमय व काष्टदायक हो चुका था। उनकी इस दैनिय दशा को देख कर ईश्वर को उन पर तरस आया और उन्हे उनके गुलामी के बाँधनों से छुड़ाने के लिए मूसा को चुना। जिसके नेतृत्व में ईश्वर ने इस्राएलियों को मिस्रीयों की गुलामी से छुटकारा दिलाया व उन्हे प्रतिज्ञात देश दिया। इसी की यादगारी में वे पास्का का त्यौहार मनाने लगे।

नये विधान में प्रभु येसु जो हमारे लिए पास्का का मेमना बन गये उन्होने सारी मानवजाति के पापों के उद्धार के लिए क्रूस मरण स्वीकर किया। वे मृतको में से प्रथम जी उठने वाले और मृत्यु से सदा विजय पाने वाले हैं, उन्होने हमारे लिए स्वर्ग का द्वारा सदा के लिए खोल दिया, जो हमारे आदि माता-पिता के पाप के कारण बंद हो चुका था।

प्यारे भाईयों एवं बहनों इस वार्तमान काल में पास्का पर्व का हमारे जीवन के लिए क्या महत्व हो सकता है? जरा गौर से सोचिए। हम आज भी हमारे पापमय जीवन में मरकर प्रभु येसु में नव जीवन प्राप्त करते हैं। प्रभु येसु में हमारी नयी शुरूआत ही हमें पास्का के सही अर्थ को समझा सकीती है। हमारे मन में अब सवाल यह उठता है कि हम किस तरह पापों से बच सकते हैं व एक नयी शुरूआत कर सकते हैं। हमें सिर्फ तीन चिजों का ख्याल रखना है, वह है प्रार्थना, त्याग-तपस्या और पड़ोसी प्रेम, इन तीनों को अपनाकर हम सभी ईश्वर के प्रति विश्वास और पड़ोसी के प्रति प्रेम को दिनों-दिन बढ़ा सकते हैं। यदि हम जिसे अपनी आखों से देख सकते हैं हाथों से स्पर्श कर सकते है और प्यार नहीं करते हैं तो हम कैसे कह सकते हैं कि हम ईश्वर को प्रेम करते हैं। सर्वप्रथम हमें अपने पड़ोसीयों को प्यार करना सिखें तभी हम ईश्वर को प्यार कर सकते हैं।

प्यारे भाईयों एवं बहनों यह सब हमारे विश्वास पर टिका हुआ है ईश्वर की हर संतान संसार पर विजयी होती है। वह विजय जो संसार को पराजित करता है वह हमारा विश्वास ही है। (1 योहन 5:4) विश्वास एक अनमोल रत्न के समान है जो सभी के हृदय रूपी खेत में एक छोटे से बीज के सामान बोया गया है। जिसका विकास हेतु समय देखभाल करना हम प्रत्येक का कर्तव्य है। आज के तीनो पाठों में येसु के पुनुरूत्थान में विश्वास, पापों से मुक्ति और ईश्वर के प्रति प्रेम का वर्णन करते हैं।

आज के पहला पाठ में हम सुनते हैं कि पेत्रुस गैर यहूदियों को सम्बोधित करते हुए ईसा मसीह के बारे बाताते हुए कहते हैं कि ईश्वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करता वे चाहे किसी भी राष्ट्र या जात के क्यों न हों। वह सबसे प्रेम करता है। प्रेम के खातिर ही तो उन्होने अपने प्रिय पुत्र को इस संसार में भेजा। जो येसु नाजरी कहलाते हैं। येसु ने इस संसार में लोगो की भलाई के लिए कार्य किये फिर भी विरोधियों ने येसु को क्रूस पर मार डाला। लेकिन हमारे प्रभु येसु ने मृत्यु से विजय पायी है। जिसके साक्षी हम सभी हैं। प्रिय भाईयो एवं बहनों पापों से मुक्ति और आशिर्वाद उसी को मिलता है जो उसके नाम को पुकारते और उसके नियमों के आधार पर जीवन व्यतीत करते हैं।

संत पौलुस आज के दूसरे पाठ में कलोसियों के लोगो को ढ़ाढ़स बाँधते हुए उनके विश्वास को जीवित प्रभु येसु में सदैव मजबूत बनाये रखने के लिए आह्वान करते हैं । (प्रेरित चरित 16:23) में हम पढ़ते हैं कि विश्वास के आभाव में कोई भी ईश्वर का कृपापात्र नहीं बन सकता है। ईश्वर पर हमारा विश्वास हमें ईश्वरीय राज्य का सहभगी बनाता है, और वह ऊपर की चीजों की खोज में लगे रहने के लिए हमसे आगृह करता है। ऊपर की चीजें ईश्वरीय प्रेम, शाँति, आनन्द मेल-मिलाप, व परस्पर प्रेमभाव है । जो हम प्रत्येक जन में पहले से ही निहित है। बार्शेत हमें अपने आपको परखना होगा की हमारा विश्वास ईश्वर पर कितना गहरा है।

प्यारे भाईयों एवं बहनों याद रखिए कि ईश्वर का राज्य खाने-पीने का नहीं बल्कि प्रेम और शांति का राज्य है। संत पौलुस हमें पुनः याद दिलाते हैं कि ईश्वर में विश्वास करना हमें येसु मसीह के दुःख भोग का एहसास कराता और उसके पुनुरूथान का सहभागी बनाता है। हम जिस पर पूर्ण विश्वास करते हैं उसी को अपना सब कुछ देने के लिए तैयार हो जाते हैं। यह भी याद रखिए कि इस संसार की हर चीज क्षणिक हैं। जो हमारे जीवन को धोखा दे सकती है। सिर्फ ईश्वर ही एकमात्र अन्तर्यामी जीवन दायी प्रभु है जो सदा सर्वदा बना रहता है। हमें उसी में अपना पूर्ण विश्वास करना है। जो हमारी देखभाल हमेशा करता है।

फिलिस्तियों के रीति रिवाज के अनुसार मृतक के प्रियजन मृत्यु शरीर की दफन क्रिया के तीन दिन के बाद क्रब देखने जाया करते थे। ठीक उसी तरह आज के सुसमाचार में मरियम मगदलेना के बारे में हम सुनते हैं, जिससे येसु ने सात आपदूतों को निकाले और एक नया जीवन उन्हे दिया था। येसु ने मरियम मगदलेना का हृदय जीत लिया जिसका कारण यह है कि वह बड़े ही सबेरे, पौ-फटते ही येसु की क्रब का दर्शन करने जाती है। प्यारे भाईयों एवं बहनों वहाँ वह क्या पाती है। वह सिर्फ खाली कब्र को ही पाती है। खाली कब्र हमें क्या दर्शाती है? खाली कब्र प्रभु येसु के पुनुरूथान को दर्शाती है, जो सचमुच में आज मृतकों में से जी उठे हैं। हमने सभी पास्का की तैयारी के लिए चालीस दिनों तक येसु के दुःभोग को याद करते हुए अपने दुःखों के साथ, विनती, त्याग तपस्या का जीवन बीताया और आज हम सभी प्रभु येसु के पुनुरूत्थान का त्यौहार मना रहे हैं। हमने हमारे जीवन में कभी न कभी किसी न किसी तरह से दुःख तकलीफों का एहसास किया है। जब हम किसी मुसिबत में फँसते, बिमारियो के स्थिति में होते या पुराने पापों की दासता में बँधे होते हैं और हमें इन मुसिबतों से छुटकारा मिलता है तो हमारे जीवन में एक नया उत्साह एवं उंमग छा जाती है। और हम में एक नयेपन का एहसास होता है। यह नयापन, नया जीवन है जो आज हमें मिला है। प्रिय भाईयों एवं बहनों हम यह पास्का का पर्व न केवल आज ही मनाये बल्कि प्रत्येक दिन पास्का पर्व मनाये क्योंकि हर दिन हमारे लिए नया एम दिन और जीवन है।


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