Smiley face

चक्र स - 48. सत्रहवाँ इतवार

उत्पत्ति 18:20-32; कलोसियों 2:12-14; लूकस 11:1-13

(फादर वर्गीस पल्लिपरम्पिल)


निर्गमन ग्रन्थ में हम देख सकते हैं कि मूसा बार-बार इस्राएलियों के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। अकसर हम यह भी देख सकते हैं कि मूसा की विश्वासभरी प्रार्थना मात्र के कारण ईश्वर इस्राएलियों को उनके अनेक दुख संकटो से बचाते हैं तथा उन्हें अपनी आशिष प्रदान करते हैं। मिस्र से कऩान देश की ओर उनकी यात्रा के दौरान हम यह भी देख सकते हैं कि कभी-कभी इस्राएली जनता ईश्वर पर विश्वास नहीं करती है। कभी वे ईश्वर एवं मूसा के विरुद्ध भुनभुनाते हैं तो कभी ईश्वर के विरुद्ध पाप करते हुए उनसे दूर चले जाते हैं। फिर भी ऐसे अवसरों में मूसा लोगों के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और ईश्वर उनकी सुधि लेते हैं। एक व्यक्ति के विश्वास या प्रार्थना के कारण ईश्वर बहुत सारे लोगों को अपनी आशिष प्रदान करते हैं। आज के पहले पाठ में भी हमने ऐसा ही कुछ सुना है। इब्राहीम सोदोम और गोमोरा के लोगों के लिए ईश्वर से मध्यस्थता करता है।

एक या कुछ मनुष्यों की प्रार्थनाओं या विश्वास के कारण ईश्वर न केवल उनके लिये बल्कि अनेकों के लिये अपनी आशिष का भण्डार खोल देते हैं। इसका विवरण हम बाइबिल में अनेक स्थानों पर पाते हैं। कई नबी, पुरोहित, राजा एवं भले मनुष्य इस प्रकार के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

सुसमाचारों में भी हम ऐसी बहुत सारी घटनाएं देख सकते हैं। संत लूकस के सुसमाचार अध्याय आठ में हम देखते हैं कि जैरूस नामक एक अधिकारी प्रभु येसु के पास आता है और अपनी बेटी के लिए प्रभु से प्रार्थना करता है और उस मनुष्य के विश्वास के कारण प्रभु उसकी बेटी को चंगा करते हैं (लूकस 8:41-42, 49-56)। यहाँ अधिकारी की बेटी के विश्वास के बारे में या उसकी प्रार्थना के बारे में सुसमाचार का लेखक कुछ नहीं कहता है। वह इतना ही कहता है कि उस अधिकारी ने प्रभु के पास आकर प्रभु से अपनी बेटी के लिए अनुनय-विनय की और उसके विश्वास के कारण प्रभु ने उसकी बेटी को चंगा किया। संत मत्ती के सुसमाचार अध्याय आठ में हम देख सकते हैं कि एक शतपति प्रभु के पास आता है और अपने बीमार सेवक के लिए प्रार्थना करता है। शतपति के दृढ़ विश्वास के कारण प्रभु उसके सेवक को चंगा करते है (मत्ती 8:5-13)। सेवक ने प्रभु पर विश्वास किया था या नहीं इसके बारे में सुसमाचार का लेखक हम से कुछ भी नहीं कहता है। सुसमाचार से हम इतना ही जानते हैं कि शतपति ने प्रभु पर विश्वास किया और उसकी विश्वासपूर्ण प्रार्थना के कारण प्रभु ने उसके सेवक को चंगा किया।

संत मारकुस के सुसमाचार अध्याय सात में हम देखते हैं कि एक कनानी स्त्री प्रभु के पास आती है और अपनी बेटी के लिए प्रभु से अनुनय-विनय करती है। उसके दृढ़ विश्वास से प्रेरित होकर प्रभु उसकी बेटी को चंगा करते हैं (मारकुस 7:25-30)। यहाँ भी हम देख सकते हैं कि उस स्त्री की बेटी के विश्वास के बारे में या उसकी प्रार्थना के बारे में बाइबिल हमसे कुछ भी नहीं कहती है।

सन्त लूकस के सुसमाचार अध्याय पाँच में हम एक और घटना पाते हैं। कुछ लोग एक अर्धांगरोगी को उठाकर प्रभु येसु के पास ले आते हैं और उन लोगों के विश्वास को देखकर प्रभु येसु उस अर्धांगरोगी को चंगा करते हैं (लूकस 5:18-26)। रोगी के विश्वास के बारे में या उसकी प्रार्थना के बारे मेें यहाँ पर भी हमें कुछ नहीं बताया गया है।

बाइबिल में इस प्रकार के और भी बहुत सारे उदाहरण हम देख सकते हैं। यदि हम अपने जीवन पर नज़र डाले तो हम देख सकते हैं कि हमारे माता पिताओं, भाई बहनों और ऐसे बहुत सारे लोगों की प्रार्थनाओं के कारण ईश्वर ने हमें प्रचुर मात्रा में आशिष प्रदान की है, दुख संकटो से बचाया हैं। हमारे जीवन में भी ऐसा समय आया होगा जब हमने भी इस्राएली जनता के समान ईश्वर पर विश्वास नहीं किया होगा तथा उनसे भटक गये होंगे, फिर भी किसी व्यक्ति के विश्वास के कारण ईश्वर ने हमेशा हमंे अपनी आशिष की छत्र-छाया में संरक्षित रखा।

आज के सुसमाचार में हमने सुना कि प्रभु येसु हमें प्रार्थना करना सिखाते हैं साथ ही प्रार्थना की शक्ति के बारे में भी हमें अवगत कराते हैं। अकसर हम अपनी आवश्यकताओं के लिए ही ईश्वर से प्रार्थना करते है आज हम दृढ़ संकल्प तथा प्रार्थना करें कि हम भी दूसरों के लिये प्रार्थना करना सीखें ताकि हमारा विश्वास तथा प्रार्थना दूसरों के लिये लाभप्रद सिद्ध हो। प्रार्थना करते समय हम वास्तव में इस सच्चाई को स्वीकार करते हैं कि हम दुर्बल और निस्सहाय हैं, जबकि ईश्वर सर्वशक्तिसम्पन्न हैं। ईश्वर के लिये सब कुछ संभव हैं। जब हम प्रार्थना में अपने कमजोर हाथों को ईश्वर की ओर उठाते हैं तो ईश्वर उसे थाम लेते हैं और जिस प्रकार एक माँ अपने नन्हें बालक की उंगली पकड़कर सिखाती है उसी प्रकार ईश्वर अपने भक्तों की निर्बल उंगली पकड़कर अनन्त जीवन की अक्षरमाला सिखाते है। आइए हम भी प्रार्थना की शक्ति और उसका महत्व समझते हुए इस मिस्सा बलिदान में भाग लें और सारी मानवजाति की सभी ज़रूरतों को इस वेदी पर रखें ताकि भूखे खा सकें, प्यासे पी सकें, दीन-दुखी संात्वना प्राप्त करें, संकटों में फसें लोग आशा की किरण देख सकें और सभी लोग ईश्वर की करुणा और अनुकम्पा का अनुभव कर सकें।


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Praise the Lord!