आगमन की अवधि में हम प्रभु येसु के आगमन पर मनन-चिंतन करते हैं। प्रभु ईश्वर हमेशा हमारे साथ रहते हैं। मत्ती 18:20 में प्रभु येसु कहते हैं, “जहाँ दो या तीन मेरे नाम इकट्टे होते हैं, वहाँ में उनके बीच उपस्थित रहता हूँ”। मत्ती 28:20 में वे कहते हैं, “याद रखो- मैं संसार के अन्त तक सदा तुम्हारे साथ हूँ”। अगर प्रभु हमेशा हमारे साथ हैं, तो हम उनके आगमन के बारे में क्यों मनन-चिंतन करते हैं? प्रभु हमेशा अदृश्य रूप से हमारे साथ हैं। परन्तु वे कभी-कभी अपने आप को दृश्य रूप से प्रकट करते हैं। ऐसे अवसरों को हम प्रभु के आगमन कहते हैं।
हम अपना जीवन येसु के दो आगमनों के बीच बिता रहे हैं। येसु का पहला आगमन करीब दो हजार वर्ष पूर्व बेथलेहेम के गोशाले में उनके मानव-जन्म के साथ हुआ था। हमारे सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञानी, सर्वव्यापी और अदृश्य ईश्वर मानव शरीर धारण कर, प्रभु येसु ख्रीस्त के रूप में हमारे बीच में आये। उन्होंने अपने जीवन काल में अपने आगमन का उद्देश्य प्रकट किया। वे हमारे अदृश्य ईश्वर को दृश्य बनाने के लिए हमारे बीच आये। इसलिए संत योहन कहते हैं, “किसी ने कभी ईश्वर को नहीं देखा; पिता की गोद में रहने वाले एकलौते, ईश्वर, ने उसे प्रकट किया है” (योहन 1:18)। इसी कारण प्रभु येसु फिलिप से कहते हैं, “जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को भी देखा है” (योहन 14:9)। इसलिए उनका नाम एम्मानुएल रखा गया, जिसका अर्थ है ’ईश्वर हमारे साथ है’।
येसु के आगमन से पिता ईश्वर ने मानव के प्रति अपने प्रेम को प्रकट किया। संत योहन कहते हैं, “ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने इसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उस में विश्वास करता हे, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करे।” येसु के आगमन से ईश्वर हमें अनन्त जीवन प्रदान करना चाहते हैं। मारकुस 10:45 में प्रभु येसु कहते हैं, “मानव पुत्र भी अपनी सेवा कराने नहीं, बल्कि सेवा करने और बहुतों के उद्धार के लिए अपने प्राण देने आया है”।
प्रभु येसु हमें बचाने आये। लूकस 19:10 प्रभु येसु कहते हैं, “जो खो गया था, मानव पुत्र उसी को खोजने और बचाने आया है”। स्वर्गदूत गब्रिएल ने यूसुफ से कुँवारी मरियम के विषय में कहा, “वे पुत्र प्रसव करेंगी और आप उसका नाम ईसा रखेंगे, क्योंकि वे अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा” (मत्ती 1:21)। संत पेत्रुस कहते हैं, “वह अपने शरीर में हमारे पापों को क्रूस के काठ पर ले गये जिससे हम पाप के लिए मृत हो कर धार्मिकता के लिए जीने लगें। आप उनके घावों द्वारा भले-चंगे हो गये हैं” (1पेत्रुस 2:24)। प्रभु येसु मनुष्यों को ईश्वर से मेल कराने आये। 2 कुरिन्थियों 5:18-19 में हम पढ़ते हैं, “यह सब ईश्वर ने किया है- उसने मसीह के द्वारा अपने से हमारा मेल कराया और इस मेल-मिलाप का सेवा-कार्य हम प्रेरितों को सौंपा है। इसका अर्थ यह है कि ईश्वर ने मनुष्यों के अपराध उनके ख़र्चे में न लिख कर मसीह के द्वारा अपने साथ संसार का मेल कराया और हमें इस मेल-मिलाप के सन्देश का प्रचार सौंपा है।”
येसु अपने जीवन हमें यह बताने भी आये कि हमें किस प्रकार का जीवन बिताना चाहिए। इसलिए वे हमारे सामने एक आदर्श जीवन प्रस्तुत करते हैं। संत पेत्रुस कहते हैं, “मसीह ने आप लोगों के लिए दुःख भोगा और आप को उदाहरण दिया, जिससे आप उनका अनुसरण करें” (1 पेत्रुस 2:21)। संत योहन कहते हैं, “ईश्वर का पुत्र इसलिए प्रकट हुआ कि वह शैतान के कार्य समाप्त कर दे” (1 योहन 3:8)।
इस प्रकार हम देखते हैं ईश्वर अपने आप को प्रकट कर, मनुष्य को अपने पापों से छुटकारा देकर, उसके लिए एक आदर्श जीवन प्रस्तुत करके उसे अनन्त जीवन प्रदान करने मनुष्य बन कर इस दुनिया में आये। इसलिए हमें अपने पापों से दूर रह कर, दूसरों की सेवा में अपना जीवन बिता कर येसु द्वारा दी गयी मुक्ति को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।
प्रभु येसु ने अपनी शिक्षा में यह भी प्रकट किया था कि वे फिर आयेंगे। इस दूसरे आगमन पर क्या होगा? पवित्र बाइबिल के अनुसार, येसु एक अप्रत्याशित समय पर अपनी सारी महिमा मंक फिर से आएंगे (मत्ती 24:36-44)। उस समय सभी मृतक उठ खड़े होंगे (देखिए, 1 थेसलनीकियों 4:16-17), जो जीवित हैं उन्हें प्रभु से मिलने के लिए बादलों में ले जाया जाएगा (देखिए, 1 थेसलनीकियों 4:16-17), प्रभु सभी लोगों का न्याय करेंगे और अच्छे और बुरे को अलग करके अच्छे लोगों को स्वर्ग में प्रवेश देंगे और बुरे लोगों को नरक में (मत्ती 25:31-46) और येसु, राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु ईश्वर के राज्य की स्थापना करेंगे (देखिए, प्रकाशना 21:1-4)।
आगमन काल हमें प्रभु के इन दोनों आगमनों के बारे में याद दिलाता है। हमें अपने पापों, बुरी आदतों तथा बुरे विचारों को छोड़ कर प्रभु से मिलने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। हमें यह नहीं मालूम कि संसार का अन्त कब होगा। हमारा अन्त कभी भी हो सकता है। हमारी मृत्यु पर हमें प्रभु से मिलना होगा। प्रभु येसु ने अपने दुखभोग तथा मृत्यु से हमारे लिए प्राप्त मुक्ति के फल का हम आनन्द ले सकें। इस प्रकार की तैयारी हमें आने वाला क्रिसमस का त्योहार खुशी से मनाने का तथा आने वाले प्रभु का सानन्द अनुभव करने का अवसर प्रदान करेगा।
क्या इसका मतलब यह है कि हम अपने जीवन काल प्रभु के आगमन का अनुभव नहीं करेंगे। ऐसा नहीं। हमारे दैनिक जीवन में प्रभु का आगमन होता रहता है। प्रभु अपने जीवन्त वचन के द्वारा हमारे पास हमेशा आते हैं। वे सात संस्कारों द्वारा, विशेषकर परमप्रसाद के रूप में न केवल हमारे पास आते हैं, बल्कि हमारे अन्दरतम में आते हैं। इस के अलावा इस दुनिया के, हमारे पडोस में रहने वाले ज़रूरतमंदों के द्वारा भी प्रभु हमारे पास आते हैं। मत्ती 25:31-46 के अनुसार प्रभु येसु हमारे पास भूखे, प्यासे, नंगे, बेघर (परदेशी), बीमार तथा कैदी बन कर आते हैं।
डच ईशशास्त्री हेनरी नोवेन कहते हैं, "प्रभु आ रहा है, हमेशा आ रहा है। जब तुम्हारे पास सुनने के कान और देखने के आँखें होंगी, तो तुम अपने जीवन के किसी भी क्षण में उसे पहचान लोगे। जीवन आगमन है; जीवन प्रभु के आने को पहचानना है।"
लूकस 12:37 प्रभु येसु कहते हैं, “धन्य हैं वे सेवक, जिन्हें स्वामी आने पर जागता हुआ पायेगा!”
✍ - फ़ादर फ़्रांसिस स्करिया
- फादर फ़्रांसिस स्करिया