सन्ध्या-वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह - 3 बृहस्पतिवार


अगुआ : हे ईश्वर, हमारी सहायता करने आ जा।

समूह : हे प्रभु, हमारी सहायता करने शीघ्र ही आ जा।


अगुआ : पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

समूह : जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


मंगलगान

येसु हमारा जीवन स्वामी वो ही हमारा दाता है।
उससे हमारा, हमसे उसका, सदा-सदा का नाता है॥

कण-कण में वो ही बसता है, चाँद सूरज उसकी छाया।
अम्बर-जल-थल में सिमटी है, महारूप की लघु काया।
सुबह शाम का पहला तारा उसके ही गुण गाता है॥

एक इशारे पर ही जिसके, नियम बदलते हैं सारे।
दुख पातक सारे कट जाते, मुक्तिवान होती काया।
घुमड़ घटा सागर थर्राता वो ही पार लगाता है॥

दानवता के महा कलुष को अपने रक्त से है धोया।
देह दान कर मानवता हित बीज प्रेम का है बोया।
परम पिता ईश्वर है जिसका मरियम जिसकी माता है॥

अग्र. 1 : हे प्रभु, तेरे भक्त-जन तेरे मन्दिर में प्रवेश करते हुये आनन्द के गीत गायेंगे।


स्तोत्र 131 दाऊद के वंश से ईश्वर की प्रतिज्ञा। (1)

प्रभु! दाऊद को याद कर और उसके समस्त कष्टों को,
प्रभु के सामने उसकी शपथ को,
याकूब के शक्तिमान् ईश्वर के प्रति उनकी मन्नत को।

"मैं अपने घर में प्रवेश नहीं करूँगा,
अपनी शय्या पर विश्राम नहीं करूँगा,

अपनी आँखों में नींद नहीं आने दूँगा,
अपनी पलकों को झपकी लेने नहीं दूँगा,

जब तक कि मैं ईश्वर के लिए स्थान न पाऊँ,
याकूब के शक्तिमान प्रभु के लिए निवास"।

हमने एफ्राता में मंजूषा के विषय में सुना
और उसे यार के मैदान में पाया।

"हम प्रभु के आवास को चलें,
हम उसके पावदान को दण्डवत करें।

प्रभु! तू अपनी तेजस्वी मंजूषा के साथ
अपने स्थायी आवास को चल।

तेरे याजक धार्मिकता के वस्त्र धारण करें,
तेरे भक्त आनन्द के गीत गायें।

अपने सेवक दाऊद के कारण
अपने अभिषिक्त को न त्याग।"

अग्र. : हे प्रभु, तेरे भक्त-जन तेरे मन्दिर में प्रवेश करते हुये आनन्द के गीत गायेंगे।

अग्र. 2 : प्रभु ने सियोन को अपने निवास-स्थान के लिए चुना।


स्तोत्र 131 दाऊद के वंश से ईश्वर की प्रतिज्ञा। (2)

प्रभु ने शपथ खा कर दाऊद से प्रतिज्ञा की है।
वह अपने वचन से नहीं मुकरेगा।
"मैं तुम्हारे वंशज में से एक को
तुम्हारे सिंहासन पर बैठाऊँगा।

यदि तुम्हारे पुत्र मेरे विधान पर चलेंगे
और मेरे दिये हुए नियमों का पालन करेंगे,
तो उनके पुत्र भी सदा-सर्वदा के लिए
तुम्हारे सिंहासन पर बैठेंगे।"

क्योंकि प्रभु ने सियोन को चुना
और अपने निवास के लिए चाहा:
"यह मेरा स्थिरस्थायी निवास है,
मैं यहीं रहूँगा, क्योंकि मैंने सियोन को चुना है।

"मैं यहाँ के निवासियों को भरपूर भोजन प्रदान करूँगा,
मैं इसके दरिद्रों को रोटी दे कर तृप्त करूँगा।
मैं इसके याजकों को कल्याण के वस्त्र पहनाऊँगा।
इसके भक्त जन उल्लास के गीत गायेंगे।

मैं यहाँ दाऊद के लिए एक शक्तिशाली वंशज उत्पन्न करूँगा,
अपने मसीह के लिए एक प्रदीप जलाऊँगा।
उसके शत्रुओं को लज्जित होना पड़ेगा,
किन्तु उसके मस्तक पर मेरा मुकुट शोभायमान होगा।"

अग्र. : प्रभु ने सियोन को अपने निवास-स्थान के लिए चुना।

अग्र. 3 : ईश्वर ने उन्हें अधिकार, सम्मान और राज्य प्रदान किया। सभी उसके अधीन रहेंगे।


भजन स्तुति : प्रकाशना 11:17-18; 12:10-12

"सर्वशक्तिमान् प्रभु-ईश्वर, जो है और जो था!
हम तुझे धन्यवावद देते हैं,
क्योंकि तूने अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन किया
और राज्याधिकार ग्रहण कर लिया है।

’राष्ट्र क्रुद्ध हो गये थे, किन्तु तेरा क्रोध आ गया है
और वह समय भी, जब मृतकों का न्याय किया जायेगा;

जब तेरे सेवकों, तेरे नबियों और तेरे सन्तों को पुरस्कार दिया जायेगा
और उन सबों को भी, चाहे वे छोटे या बड़े हों,
जो तेरे नाम पर श्रद्धा रखते हैं;

अब हमारे ईश्वर की विजय, सामर्थ्य तथा राजत्व
और उसके मसीह का अधिकार प्रकट हुआ है;

क्योंकि हमारे भाइयों का वह अभियोक्ता नीचे गिरा दिया गया है,
जो दिन-रात ईश्वर के सामने उस पर अभियोग लगाया करता था।

"वे मेमने के रक्त और अपने साक्ष्य के द्वारा उस पर विजयी हुए,
क्योंकि उन्होंने अपने जीवन का मोह छोड़ कर मृत्यु का
स्वागत किया; "इसलिए स्वर्ग और उसके निवासी आनन्द मनायें।

अग्र. : ईश्वर ने उन्हें अधिकार, सम्मान और राज्य प्रदान किया। सभी उसके अधीन रहेंगे।


धर्मग्रन्थ-पाठ : 1 पेत्रुस 3:8-9

आप सब-के-सब एक-मत, सहानुभूतिशील, भ्रातृप्रेमी, दयालु तथा विनम्र बनें। आप बुराई के बदले बुराई न करें और गाली के बदले गाली नहीं, बल्कि आशीर्वाद दें। आप यही करने बुलाये गये हैं, जिससे आप विरासत के रूप में आशीर्वाद प्राप्त करें।

लघु अनुवाक्य
अगुआ: प्रभु ने हमें उत्तम गेहूँ से खिलाया।
समूह: प्रभु ने हमें उत्तम गेहूँ से खिलाया।
• उन्होंने हमें चट्टान का मधु पिलाया।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

मरियम गान

अग्र. :प्रभु ने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया और दीनों को महान बना दिया।

"मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है,
मेरा मन अपने मुक्तिदाता ईश्वर में आनन्द मनाता है;

क्योंकि उसने अपनी दीन दासी पर कृपादृष्टि की है।
अब से सब पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी;
क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मेरे लिए महान् कार्य किये हैं।
पवित्र है उसका नाम!

उसकी कृपा उसके श्रद्धालु भक्तों पर
पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है।
उसने अपना बाहुबल प्रदर्शित किया है,
उसने घमण्डियों को तितर-बितर कर दिया है।

उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया
और दीनों को महान् बना दिया है।
उसने दरिंद्रों को सम्पन्न किया
और धनियों को ख़ाली हाथ लौटा दिया है।

इब्राहीम और उनके वंश के प्रति
अपनी चिरस्थायी दया को स्मरण कर,
उसने हमारे पूर्वजों के प्रति अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार
अपने दास इस्राएल की सुध ली है।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र : प्रभु ने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया और दीनों को महान बना दिया।


सामूहिक निवेदन

अगुआ :मसीह अपनी प्रज्ञा के महायाजक हैं। उन्हीं से एक होकर हम अपने पिता परमेश्वर से निवेदन करें।
समूह : हे पिता! हम में नये हृदय की सृष्टि कर।
• कलीसिया में बुलाने के लिए हम तुझे धन्यवाद देते हैं – सतत विश्वास का हमें वरदान दे और इसे दूसरों के लिए जीवन-स्रोत बना।
• हे प्रभु, हमारे संत पिता ... पर अपनी आशिष बरसा – हमारी विनय है कि वे अपने विश्वास में दृढ़ रहकर अपने भाइयों की भी दृढ़ता का स्रोत बने रहें।
• तू पापियों को अपनी ओर आकर्षित कर – हमें दीन और पश्चात्तापी हृदय प्रदान कर।
• तेरे पुत्र ने स्वदेश से निष्कासित होने का कटु अनुभव किया – तू उनकी सुधि ले, जो अपने परिवार तथा देश से दूर रहने के लिए विवश हैं।
• मृत विश्वासियों को अनन्त विश्रान्ति प्रदान कर – समस्त कलीसिया को स्वर्ग-धाम में एकत्र कर।

हे हमारे पिता

समापन प्रार्थना

अगुआ : हे प्रभु, इस दिवस की समाप्ति पर हम तुझे धन्यवाद देते हैं। मनव-दुर्बलताओं के कारण हमने जो अपराध किये हैं, उन्हें तू दयापूर्वक क्षमा कर। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।
समूह : आमेन।
अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।
समूह : आमेन।


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Praise the Lord!