प्रभात वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह 3 - सोमवार


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. : धन्यवाद करते हुये हम प्रभु के सामने जायें।

मंगलगान :

पल भर भी अपने समीप में मुझे बैठ तो लेने दो।
कर लूँगा सब काम बाद में उन्हें पड़ा ही रहने दो।।

मेरे दिल को चौन न मिलता, तुम्हें निहारे हुए बिना।
इस आकुल सागर में चाहे, काम-काज कर लूँ जितना॥

आज लिये उच्छ्वास श्वास, आय वसन्त वातायन पर।
गूँज रहे अलस भ्रमर दल, मम निकुँज के आँगन पर।।

एकाकी आसीन शान्ति से, मिला नयन से नयन मधुर।
गाऊँगा जीवन अर्पण का गान आज नीरव अवसर॥

अग्र. 1 : प्रभु तेरे मन्दिर में रहने वाले आनन्दित है।


स्तोत्र 83 ईश्वर के मन्दिर की अभिलाषा।

विश्वमण्डल के प्रभु! कितना रमणीय है तेरा मन्दिर!
प्रभु का प्रांगण देखने के लिए मेरी आत्मा तरसती रहती है।
मैं उल्लास के साथ तन-मन से
जीवन्त ईश्वर का स्तुतिगान करता हूँ।

गौरेया को बसेरा मिल जाता है,
अबाबील को अपने बच्चों के लिए घोंसला।
विश्वमण्डल के प्रभु! मेरे राजा! मेरे ईश्वर!
मुझे तेरी वेदियाँ प्रिय हैं।

तेरे मन्दिर में रहने वाले धन्य हैं!
वे निरन्तर तेरा स्तुतिगान करते हैं।
धन्य हैं वे, जो तुझ से बल पा कर
तेरे पर्वत सियोन की तीर्थयात्रा करते हैं!

वे सूखी घाटी पार करते हुए उसे निर्झर भूमि बनाते हैं-
प्रथम वर्षा उसे आशीर्वाद प्रदान करती है।
चलते-चलते उनका उत्साह बढ़ता है
और वे सियोन में प्रभु के सामने उपस्थित होते हैं।

विश्वमण्डल के प्रभु! मेरी प्रार्थना सुन।
याकूब के ईश्वर! ध्यान देने की कृपा कर।
ईश्वर! हमारे रक्षक! हमारी सुधि ले,
अपने अभिषिक्त पर दयादृष्टि कर।

हजार दिनों तक और कहीं रहने की अपेक्षा
एक दिन तेरे प्रांगण में बिताना अच्छा है।
दुष्टों के शिविरों में रहने की अपेक्षा
ईश्वर के मन्दिर की सीढ़ियों पर खड़ा होना अच्छा है;

क्योंकि ईश्वर हमारी रक्षा करता
और हमें कृपा तथा गौरव प्रदान करता है।
वह सन्मार्ग पर चलने वालों पर
अपने वरदान बरसाता है।

विश्वमण्डल के प्रभु!
धन्य है वह, जो तुझ पर भरोसा रखता है!

अग्र. : प्रभु तेरे मन्दिर में रहने वाले आनन्दित है।

अग्र. 2 : आओ, हम प्रभु के पर्वत पर चढ़ें।


भजन स्तुति : इसायाह 2:2-5

अन्तिम दिनों में - ईश्वर के मन्दिर का पर्वत पहाड़ों से ऊपर उठेगा
और पहाड़ियों से ऊँचा होगा।
सभी राष्ट्र वहाँ इकट्ठे होंगे;
असंख्य लोग यह कहते हुए वहाँ जायेंगे,

“आओ! हम प्रभु के पर्वत पर चढ़ें,
याकूब के ईश्वर के मन्दिर चलें,
जिससे वह हमें अपने मार्ग दिखाये
और हम उसके पथ पर चलते रहें“;

क्योंकि सियोन से संहिता प्रकट होगी
और येरूसालेम से प्रभु की वाणी।
वह राष्ट्रों के बीच न्याय करेगा
और देशों के आपसी झगड़े मिटायेगा।

वे अपनी तलवार को पीट-पीट कर फाल
और अपने भाले को हँसिया बनायेंगे।
राष्ट्र एक दूसरे पर तलवार नहीं चालायेंगे
और युद्ध-विद्या की शिक्षा समाप्त हो जायेगी।

याकूब के वंश! आओ,
हम प्रभु की ज्योति में चलते रहें।

अग्र. : आओ, हम प्रभु के पर्वत पर चढ़ें।

अग्र. 3 : भजन करते हुये प्रभु का नाम धन्य कहो।


स्तोत्र 95 प्रभु समस्त पृथ्वी का राजा और न्यायकर्त्ता।

प्रभु के आदर में नया गीत गाओ।
समस्त पृथ्वी! प्रभु का भजन सुनाओ,
भजन गाते हुए प्रभु का नाम धन्य कहो।

दिन-प्रतिदिन उसका मुक्ति-विधान घोषित करो।
सभी राष्ट्रों में उसकी महिमा का बखान करो।
सभी लोगों को उसके अपूर्व कार्यों का गीत सुनाओ,

क्योंकि प्रभु महान् और अत्यन्त प्रशंसनीय है।
वह सब देवताओं में परमश्रद्धेय है।
अन्य राष्ट्रों के सब देवता निस्सार हैं,

किन्तु प्रभु ने आकाश का निर्माण किया है।
वह महिमामय और ऐश्वर्यशाली है।
उसका मन्दिर वैभवपूर्ण और भव्य है।

पृथ्वी के सभी राष्ट्रो!
प्रभु की महिमा और सामर्थ्य का बखान करो।
उसके नाम की महिमा का गीत गाओ।

चढ़ावा ले कर उसके प्रांगण में प्रवेश करो।
पवित्र वस्त्र पहन कर प्रभु की आराधना करो।
समस्त पृथ्वी! उसके सामने काँप उठे।

राष्ट्रों में घोषित करो कि प्रभु ही राजा है।
उसने पृथ्वी का आधार सुदृढ़ किया है।
वह निष्पक्षता से राष्ट्रों का न्याय करेगा।

स्वर्ग में आनन्द और पृथ्वी पर उल्लास हो,
सागर की लहरें गर्जन करने लगें,
खेतों के पौधे खिल जायें
और वन के सभी वृक्ष आनन्द का गीत गायें;

क्योंकि प्रभु का आगमन निश्चित है,
वह पृथ्वी का न्याय करने आ रहा है।
वह धर्म और सच्चाई से संसार के राष्ट्रों का न्याय करेगा।

अग्र. 3 : भजन करते हुये प्रभु का नाम धन्य कहो।


धर्मग्रन्थ-पाठ : याकूब 2:12-13

आपकी बातचीत और आपका आचरण उन लोगों के सदृश हो, जिनका न्याया स्वतन्त्रता प्रदान करने वाली संहिता के अनुसार किया जायेगा। जिसने दया नहीं दिखायी है, उसके साथ दया नहीं की जायेगी; किन्तु दया न्याय पर विजय पाती है।
लघु अनुवाक्य
अगुआ :: प्रभु, तू युगानुयुग सर्वोच्च स्वर्ग में धन्य है।
समूह :: प्रभु, तू युगानुयुग सर्वोच्च स्वर्ग में धन्य है।
• उसी ने अदभुत कार्य किये हैं।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।


ज़ाकरी गान

अग्र. :हे प्रभु ईश्वर, तू धन्य है।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


अग्र. :हे प्रभु ईश्वर, तू धन्य है।

सामूहिक निवेदन

अगुआ : ईश्वर ने अपने शरीरधारी पुत्र में मनुष्य के शारीरिक श्रम का गौरव दिखाया है। इसको ध्यान में रखते हुये हम यों प्रार्थना करें।
समूह : हे प्रभु, हमारे काम-काज पर अपनी आशिष बरसा।
• तेरी ही कृपा से हमें आज का दिन देखने को मिला है – इसके लिए हम तुझे धन्यवाद देते हैं – तू हमारे जीवन की रक्षा करता है और हमारी ज़रूरतों में हमें संभालता है, इसके लिए हम तुझे धन्यवाद देते हैं।
• आज के हमारे काम-काज में तू हमारे साथ रह – हमें यह भूलने न दे कि हम तेरी ही इस दुनिया में रह कर अपना काम-धंधा करते हैं।
• इस संसार में उत्तरदायित्व के साथ अपनी सेवा करने के लिए तूने हमें बुलाया है – एक न्यायपूर्ण और ख्रीस्तीय समाज का निर्माण करने में हमारी सहायता कर।
• तू हमारे साथ और उन लोगों के भी साथ रह जिनसे हम आज के दिन मिलने वाले हैं – हम तेरी शान्ति और खुशी संसार को दे सकें।

हे हमारे पिता ....


समापन प्रार्थना

अगुआ :हे प्रभु ईश्वर, स्वर्ग और पृथ्वी के राजा, आज हमारे तन-मन पर शासन कर, हमें पवित्र बना दे। हमारे हर सोच-बात-काम का तू विधानानुसार संचालन कर। अब और सदा-सर्वदा तेरी कृपा से हम स्वतंत्र होकर मुक्ति प्राप्त करें। हम यह प्रार्थना करते है, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!