प्रभात वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह 3 - बुधवार


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. : आइये, हम दण्डवत कर प्रभु की आराधना करें, क्योंकि वही हमारा सृष्टिकर्त्ता है।

मंगलगान :

वर दो! वर दो! वर दो!
हर जन के मन में, हे भगवान
शुभ्र ज्योत्सना भर दे॥

हे जग के पालक, जगत्राता, जग के पूज्य विधाता।
शक्तिमान पर कोमल्दाता हर दिल कोमल कर दो॥
वर दो! वर दो! वर दो!

हे भगवान! हे जग के नायक! यश वीणा पर हम सब गाते।
अपने अनन्त प्रेम स्रोत से हर कण सिंचित कर दो॥
वर दो! वर दो! वर दो!

शान्तिदूत! भगवान! हे त्राता! व्याकुल धरा, तिमिर है।
शान्ति हेतु, हे विश्व विजेता! पथ आलोकित कर दो।
वर दो! वर दो! वर दो!

अग्र. 1 : प्रभु, अपने इस दास को आनन्द प्रदान कर; क्योंकि मैं अपनी आत्मा को तेरी ओर उठाता हूँ।


स्तोत्र 85 संकट में दरिद्र की प्रार्थना।

प्रभु! मेरी प्रार्थना सुन, मुझे उत्तर दे।
मैं दरिद्र और निस्सहाय हूँ। मेरी रक्षा कर!
मैं तेरा भक्त हूँ। तुझ पर भरोसा है,
अपने दास का उद्धार कर।

प्रभु! तू ही मेरा ईश्वर है। मुझ पर दया कर।
मैं दिन भर तुझे पुकारता हूँ।
प्रभु! अपने दास को आनन्द प्रदान कर,
क्योंकि मैं अपनी आत्मा को तेरी ओर अभिमुख करता हूँ।

प्रभु! तू भला है, दयालु है और अपने पुकारने वालों के लिए प्रेममय।
प्रभु! मेरी प्रार्थना सुनने
और मेरी दुहाई पर ध्यान देने की कृपा कर।

मैं संकट के दिन तुझे पुकारता हूँ,
क्योंकि तू मुझे उत्तर देता है।
प्रभु! देवताओं में तेरे सदृश कोई नहीं।
तेरे कार्य अतुलनीय हैं।

प्रभु! तूने राष्ट्रों का निर्माण किया,
वे सब आ कर तेरी आराधना करेंगे
और तेरे नाम की महिमा करेंगे;
क्योंकि तू महान् है, तू चमत्कार दिखाता है। तू ही ईश्वर है।

प्रभु! मुझे अपना मार्ग दिखा,
जिससे मैं तेरे सत्य के प्रति ईमानदार रहूँ।
मेरे मन को प्रेरणा दे, जिससे मैं तेरे नाम पर श्रद्धा रखूँ।

मेरे प्रभु-ईश्वर! मैं सारे हृदय से तुझे धन्यवाद दूँगा,
मैं सदा तेरे नाम की महिमा करूँगा;
क्योंकि मेरे प्रति तेरी सत्यप्रतिज्ञता महान् है;
तूने अधोलोक की गहराइयों से मेरा उद्धार किया है।

प्रभु! घमण्डियों ने मुझ पर आक्रमण किया,
अत्याचारियों का झुण्ड मुझे मारना चाहता है।
वे तेरी उपेक्षा करते हैं।

प्रभु! तू एक दयालु और करूणामय ईश्वर है।
तू सहनशील, सत्यप्रतिज्ञ और प्रेममय है।
मेरी सुधि ले, मुझ पर दया कर,

अपने दास को बल प्रदान कर, अपनी दासी के पुत्र को बचा।
मुझे अपनी कृपादृष्टि का प्रमाण दे।
तब मेरे शत्रु, यह देख कर, हताश होंगे कि
प्रभु! तू मुझे सहायता और सान्त्वना प्रदान करता है।

अग्र. : प्रभु, अपने इस दास को आनन्द प्रदान कर; क्योंकि मैं अपनी आत्मा को तेरी ओर उठाता हूँ।

अग्र. 2 : धन्य है वह जो भला करता है और सत्य बोलता है।


भजन स्तुति : इसायाह 33:13-16

तुम, जो दूर हो, सुनो कि मैंने क्या किया है।
तुम जो निकट हो, मेरा सामर्थ्य स्वीकार करो।

सियोन के पापी आतंकित हैं, विधर्मी काँपने लगे।
“हम में कौन धधक्ती आग में टिक सकता है?
हम में कौन सदा जलने वाली भट्टी में टिक सकता है?“

जो सदाचारण करता और सत्य बोलता है,
जो अत्याचार द्वारा लाभ नहीं उठाता और घूस स्वीकार नहीं करता;
जो वध का षड्यन्त्र सुन कर कान बन्द कर लेता,
जिसकी आँखें बुराई नहीं देखना चाहतीं,

वह ऊँचाई पर निवास करेगा,
उसका आश्रय पर्वत पर बसा हुआ क़िला होगा;
उसे रोटी मिलती रहेगी
और उसे कभी पानी का अभाव नहीं होगा।

अग्र. : धन्य है वह जो भला करता है और सत्य बोलता है।

अग्र. 3 : प्रभु, अपने राजा का जयजयकार करो।


स्तोत्र 97 प्रभु : विजयी और न्यायकर्त्ता।

प्रभु के आदर में नया गीत गाओ,
उसने अपूर्व कार्य किये हैं।
उसके दाहिने हाथ, उसकी पवित्र भुजा ने विजय पायी है।

प्रभु ने अपना मुक्ति-विधान प्रकट किया।
उसने राष्ट्रों के लिए अपना न्याय प्रदर्शित किया है।
उसने अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान रख कर
इस्राएल के घराने की सुध ली है।

पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति-विधान प्रकट हुआ है।
समस्त पृथ्वी प्रभु का जयकार करे और आनन्द मनाते हुए भजन गाये।
वीणा बजाते हुए प्रभु के आदर में भजन गा कर सुनाओ।
तुरही और नरसिंघा बजाते हुए अपने प्रभु-ईश्वर का जयकार करो।

समुद्र की लहरें गरजने लगें;
पृथ्वी और उसके निवासी जयकार करें;
नदियाँ तालियाँ बजायें और पर्वत आनन्दित हो उठें;

वह न्यायपूर्वक संसार का शासन करेगा।
क्योंकि प्रभु पृथ्वी का न्याय करने आ रहा है।
वह निष्पक्ष हो कर राष्ट्रों का न्याय करेगा।

अग्र. : प्रभु, अपने राजा का जयजयकार करो।


धर्मग्रन्थ-पाठ : योब 1:21; 2:10

मैं नंगा ही माता के गर्भ से निकला और नंगा ही पृथ्वी के गर्भ में लौट जाऊँगा! प्रभु ने दिया था, प्रभु ने ले लिया। धन्य है प्रभु का नाम!" अगर हम ईश्वर से सुख स्वीकार करते हैं, तो दुःख क्यों न स्वीकार करें?

लघु अनुवाक्य :
अगुआ : हे प्रभु, मेरा हृदय तेरी ओर झुका दे।
समूह : हे प्रभु, मेरा हृदय तेरी ओर झुका दे।
• अपने वचन द्वारा मुझे जीवन दे।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

ज़ाकरी गान

अग्र. :हे प्रभु, अपनी दया हमें प्रदर्शित कर। अपने पावन विधान का स्मरण कर।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


अग्र. :हे प्रभु, अपनी दया हमें प्रदर्शित कर। अपने पावन विधान का स्मरण कर।

सामूहिक निवेदन

अगुआ :ईश्वर प्रेम है; जो प्रेम में बना रहता है, वह ईश्वर में और ईश्वर उसमें निवास करता है। ख्रीस्त येसु में हम देखते हैं कि ईश्वर हमें किस प्रकार प्यार करता है। उसके प्रेम में हम अपना विश्वास नवीन करें।
समूह : हे येसु, तूने हमें प्यार किया और हमारे लिए अपने को अर्पित कर दिया।
• दिन के प्रारम्भ में तूने हमें नया जीवन तथा नयी ज्योति दी है – इन महान दानों के लिए हम धन्यवाद दें।
• तू ही भविष्य का एकमात्र स्वामी है – हमें निराशा का शिकार न बनने दे और न हमें भविष्य की चिन्ता से भयभीत होने दे।
• प्रेम स्वार्थ की अभिलाषा नहीं करता – इस दिन स्वार्थ-त्याग करने के लिए हमारा मन सुदृढ़ कर।
• हमारे हृदय में विद्यमान तेरा प्रेम सब पर विजय पा ले – हमारे विश्वास, भरोसे और सहनशीलता की कोई सीमा न रहे।

हे हमारे पिता ....


समापन प्रार्थना

अगुआ :हे प्रभु ईश्वर, तूने अपनी प्रज्ञा में हमारी सृष्टि की। अपने विधानानुसार तू हम पर शासन करता है, अपनी पावन ज्योति से हमारे अन्तरतम में प्रवेश कर, जिससे हम अपनी जीवन-चर्या से सदा निष्ठापूर्वक तेरी सेवा करें। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!