📖 - सूक्ति ग्रन्थ

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अध्याय 12

1) जिसे अनुशासन प्रिय है, उसे ज्ञान भी प्रिय है। जो सुधार से घृणा करता, वह मूर्ख है।

2) जो भला है, उसे प्रभु की कृपा मिलती है, किन्तु प्रभु कपटी को दण्ड देता है।

3) जो बुराई करता, वह नहीं टिक सकता; किन्तु धर्मियों की जड़े नहीं उखाड़ी जायेंगी।

4) सच्चरत्रि पत्नी अपने पति का मुकुट है, किन्तु व्यभिचारिणी अपने पति की हड्डियों का क्षय है।

5) धर्मी के विचार न्यायसंगत, किन्तु दुष्टों की योजनाएँ कपटपूर्ण हैं।

6) दुष्टों के शब्द घातक हैं, किन्तु धर्मियों के शब्द लोगों की रक्षा करते हैं।

7) दुष्टों का विनाश हो जाता है और वे फिर दिखाई नहीं देते, किन्तु धर्मी का घराना बना रहता है।

8) समझदारी के कारण मनुष्य की प्रशंसा होती है, किन्तु जिनका मन कुटिल है, उनका तिरस्कार किया जाता है।

9) उपेक्षित मनुष्य, जिसके पास नौकर है, उस शेख़ीबाज से अच्छा है, जिसे पेट भर रोटी नहीं मिलती।

10) धर्मी अपने पशुओं की आवश्यकताओंं का ध्यान रखता, किन्तु पापी स्वभाव से निर्दय है।

11) जो अपनी भूमि जोतता, उसे रोटी की कमी नहीं होगी; किन्तु जो व्यर्थ के कामों में लगा रहता वह नासमझ है।

12) दुष्ट पापियों की लूट का लालच करता, किन्तु धर्मियों की जड़ फल उत्पन्न करेगी।

13) दुष्ट अपने शब्दों के जाल में फँस जाता, किन्तु धर्मी विपत्ति से मुक्ति पाता है।

14) मनुष्य जिस तरह अपने हाथ से परिश्रम का फल पाता उसी तरह उसे अपने शब्दों के फल से अच्छी चीज़ें प्राप्त होती हैं।

15) मूर्ख अपना आचरण ठीक समझता, किन्तु जो सत्परामर्श सुनता, वह बुद्धिमान् है।

16) मूर्ख अपना क्रोध तुरन्त प्रकट करता, किन्तु समझदार व्यक्ति अपमान पी जाता है।

17) विश्वसनीय गवाह प्रामाणिक साक्ष्य देता है, किन्तु झूठा गवाह कपटपूर्ण बातें कहता है।

18) अविचारित शब्द कटार की तरह छेदते हैं, किन्तु ज्ञानियों की वाणी मरहम-जैसी है।

19) सत्यवादी का कथन सदा बना रहता, किन्तु मिथ्यावादी की वाणी क्षणभंगुर है।

20) बुरी योजनाएँ बनाने वालों के मन में कपट, किन्तु शान्ति-समर्थकों के मन में आनन्द है।

21) धर्मियों के सिर पर विपत्ति नहीं पड़ेगी, किन्तु दुष्ट कष्टों से घिरे रहते हैं।

22) प्रभु को झूठ बोलने वालों से घृणा है, किन्तु वह सत्य बोलने वालों पर प्रसन्न है।

23) बुद्धिमान् अपना ज्ञान छिपाये रखता किन्तु मूर्ख अपनी मूर्खता घोषित करता है।

24) परिश्रमी शासक बनेगा, किन्तु आलसी को बेगार में लगाया जायेगा।

25) मन की चिन्ता मनुष्य को निराश करती है, किन्तु एक सहानुभूतिपूर्ण शब्द उसे आनन्दित कर देता है।

26) धर्मी दूसरों का पथप्रदर्शन करता किन्तु दुष्टों का मार्ग उन्हें भटका देता है।

27) आलसी के हाथ शिकार नहीं लगता, किन्तु परिश्रमी धन एकत्र करता है।

28) धार्मिकता का मार्ग जीवन की ओर, किन्तु दुष्टता मृत्यु की ओर ले जाती है।



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