📖 - योएल का ग्रन्थ (Joel)

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अध्याय 04 {3}

1){3:1} "एक समय, एक दिन आयेगा, जब मैं यूदा और येरूसालेम का भाग्य जगा दूँगा;

2){3:2} तब मैं सब राष्ट्रों को एकत्रित कर यहोशाफाट की घाटी में ले जाऊँगा। वहाँ मेरी अपनी प्रजा इस्राएल, मेरे अपने दायभाग के प्र्रति किये हुए अन्यायों के लिए मैं राष्ट्रों का विचार करूँगा। उन्होंने तो मेरे देश को आपास में बाँट-बाँट कर, मेरी प्रजा को अपने बीच बिखेर दिया है।

3){3:3} उन्होंने मरेी प्रजा पर चिट्ठियाँ डालीं; वे अपने वेश्यागमन का मूल्य लडका दे कर और अंगूरी पीने का मूल्य लडकी दे कर चुकाया करते थे।

4){3:4} "तीरूस, सीदोन और फिलिस्तिया के सारे प्रदेशों, तुम से मुझ कोई डर नहीं। क्या तुम मुझ से बदला लोगे? तुम बदला लेने आओ, तो मैं तत्क्षण तुम को तुम्हारी अपनी करतूतों का फल भोगने को बाध्य करूँगा।

5){3:5} तुम लोग तो मेरा सोना-चांदी छीन कर ले गये और मेरे रत्नाभूषण अपने मन्दिरों में ले गये।

6){3:6} तुमने यूदा और येरूसालेम के लोगों को यूनानियों के हाथ बेच दिया कि वे अपने स्वदेश से दूर रहें।

7){3:7} किन्तु अब मैं उन को वहाँ से वापस बुलाऊँगा, जहाँ तुमने उन्हें बेच कर छोड़ा था। तुम को अपने कुकर्मों का परिणाम भोगना पडेगा।

8){3:8} मैं तुम्हारे पुत्र-पुत्रियों को यूदा के निवासियों के हाथ बेच दूँगा, जो उन को सुदूर रहने वाले शबाई लोगों के हाथ बेच देंगे। यह प्रभु की आज्ञा है।"

9){3:9} राष्ट्रों में घोषण करोः युद्ध की तैयारी करो; महान योद्धओं को उत्तेजित करो; सभी वीर सैनिक यहाँ एकत्रित हो जायें; वे आगे पधारें;

10){3:10} अपने फालों को तपा कर तलवारें गढ़ो और हाँसियों के भाले बना डालो; दुर्बल से दुर्बल भी समझें, "मैं योद्धा हूँ"।

11){3:11} पडोसी देशों के लोगों; युद्ध-निनाद सुनो और एकत्रित हो जाओ।

12){3:12} प्रभु-ईश्वर! अपने योद्धओं को भेज। सब राष्ट्रों! जागो, यहोशाफाट की घाटी की राह पर चलो। मैं वहाँ न्याय सिंहासन पर बैठूँगा और चारों ओर के राष्ट्रों का न्याय करूँगा।

13){3:13} हँसिया चलाओ, क्योंकि फसल पक चुकी है। आओ और अंगूर रौंदो, क्योंकि कोल्हू परिपूर्ण है। कुण्ड लबालब भरे हुए हैं, क्योंकि राष्ट्रों की दुष्टता अपार है।

14){3:14} विचार की घाटी में लोगों की भारी भीड लग रही है, क्योंकि विचार की घाटी में प्रभु का दिन निकट आ गया है।

15){3:15} सूर्य और चन्द्रमा अंधकारमय होते जा रहे हैं और नक्षत्रों की ज्योति बुझ रही है।

16){3:16} प्रभु-सियोन से गरज रहा है, येरूसालेम से उसकी आवाज ऊँची उठ रही है; स्वर्ग और पृथ्वी कांप रहे हैं। किन्तु प्रभु अपनी प्रजा क ेलिए आश्रय सिद्ध होगा, इस्राएलियों के लिए सुदृढ़ गढ होगा।

17){3:17} "उस दिन तुम जान जाओगे कि मैं तुम्हारा प्रभु-ईश्वर हूँ, जो अपने पवित्र पर्वत सियोन पर निवास करता है। येरूसालेम पवित्र होगा और विदेशी उसे फिर पान नहीं करेंगे।"

18){3:18} उस दिन पर्वतों से अंगूरी टपकेगी, पहाडियों से मधु की धाराएँ फूट निकलेंगी और यहूदियों की सब नदियों में भरूपूर पानी होगा, क्योंकि प्रभु के मंदिर में से एक जलस्रोत बह निकलेगा, जो बाबुल की घाटी को सींचेगा।

19){3:19} मिस्र ऊसर हो जायेगा और एदोम मरुभूमि, क्योंकि उन्होंने यूदा के पुत्रों के साथ अत्याचार किया और अपने देश में उनका निर्दोष रक्त बहाया।

20){3:20} किन्तु यहूदिया सदैव बसी रहेगी और येरूसालेम युग-युग आबाद रहेगा।

21){3:21} "मैं उनके रक्त को बदला लूँगा, वह अदण्डित नहीं रहेगा’; क्योंकि प्रभु सियोन में निवास करता रहेगा।



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