📖 - हबक्कूक का ग्रन्थ (Habbakkuk)

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अध्याय 02

1) मैं अपनी चैकी पर खड़ा हो जाऊँगा, मैं चारदीवारी पर चढ कर प्रतीक्षा करता रहूँगा कि प्रभु मुझ से क्या कहेगा और मेरी शिकायतों का क्या उत्तर देगा।

2) प्रभु ने उत्तर में मुझ से यह कहा, "जो दृश्य तुम देखने वाले हो, उसे स्पष्ट रूप से पाटियों पर लिखो, जिससे सब उसे सुगमता से पढ सकें;

3) क्योंकि वह भविय का दृश्य है, जो निश्चित समय पर पूरा होने वाला है। यदि उस में देर हो जाये, तो उसकी प्रतीक्षा करते रहो, क्योंकि वह अवश्य ही पूरा हो जायेगा। जो दृष्ट है, वह नष्ट हो जायेगा।

4) जो धर्मी है, वह अपनी धार्मिकता के कारण सुरक्षित रहेगा।

5) धन धोखेबाज है। धनी घमण्डी और बेचैन बना रहता है। वह अधोलोक-जैसा लालची, काल-जैसा अतृप्त रहता है। वह सब राष्ट्रों को अपने अधीन कर लेना चाहता है। और सभी जातियों पर अधिकार जमाना चाहता है।"

6) किन्तु इसका नतीजा उलटा होगा- वे लोग उस पर व्यंग्य कसेंगे और यह कह कर ताना मारेंगेः धिक्कार उसे, जो दूसरों का धन चोरी कर संचित करता है और जो बन्धक-के-बंधक लेता रहता है! यह कब तक होगा?

7) तेरे कर्ज़दार अचानक उठेंगे और तुझ से नकाजा करने वाले सतर्क हो जायेंगे। तब वे तुझ को लूट लेंगे।

8) चूँकि तूने अनेक राष्ट्रों को लूटा है, अन्य सब राष्ट्र ही तुझे लूटेंगे। तूने तो कितनों का रक्त बहाया है और राष्ट्रों, नगरों और निवासियों को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया है।

9) धिक्कार है उसे, जिसने लूट के धन से अपना घर भर लिया है और अपनी सुरक्षा के लिए ऊँचे-ऊँचे महल बनाये हैं!

10) तू अनेक लोगों का विनाश करना चाहता था, किन्तु तूने अपने ही घर की प्रतिष्ठा नष्ट कर दी और अपना ही नाश कर दिया।

11) दीवारों के पत्थर बदला के लिए चिल्ला रहे हैं और लकड़ी की कडियाँ स्वर मिला रही हैं।

12) धिक्कार है उसे, जो खून पर नगर बनाता है और दुष्टता की नींव पर शहर का निर्माण करता है!

13) विश्वमण्डल के प्रभु की इच्छा यह है कि जो कुछ बेगारी से बना है, वह अन्त में भस्म हो जायेगा और बन्दियों का परिश्रम व्यर्थ सिद्ध होगा।

14) जिस तरह समुद्र जल से भरा है, उसी तरह देश प्रभु-इश्वर की महिमा के ज्ञान से भरा होगा।

15) धिक्कार है उसे, जो अपने पडोसियों को शराब पिलाता है और विष भी मिलाता है, जिससे वे होश-हवास खो बैंठे, और उसकी नग्नता उघड जाये!

16) इस प्रकार के मद्यपान से तेरी महिमा नहीं, तेरी नीचता व्यक्त होती है। अब तो तू ही पी कर अपनी नग्नता उघाड देगा; प्रभु-ईश्वर का प्याला परोसा गया है, तू इसे गटक जायेगा और तेरा सम्मान अपमान में बदल जायेगा।

17) जिस तरह तूने लेबानोन को आघात पहुँचाया था और उसकी मवेशियों का वध किया था, उसी तरह तुझ पर हिंसा और आतंक टूट पडेंगे। तूने तो देश भर में रक्तपात और बलात्कार किये और नगरों के निवासियों पर हिंसात्मक कार्य किये।

18) धिक्कार है उसे, जो लकडी से बनी प्रतिमा से कहता है, "जागो’- यह जड पत्थर से, "उठो"! उस पर सोना-चाँदी जडे तो है, किन्तु उस में प्राण कहाँ हैं?

19) मूर्ति को ढालने से क्या लाभ? वह मनुष्य ही से बनी है- वह धातु-ही-धातु है, मिथ्यावादी! मूर्तिकार भले ही जड प्रतिमा पर विश्वास करे, उसे क्या लाभ?

20) पर प्रभु अपने पवित्र मन्दिर में विराजमान रहता हं; उसके सामने समस्त पृथ्वी मौन रहे।



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