वर्ष -1, पहला सप्ताह, गुरुवार

पहला पाठ : इब्रानियो 3:7-14

7) इसलिए आप पवित्र आत्मा के इस कथन पर ध्यान दें- ओह! यदि तुम आज उसकी यह वाणी सुनो,

8) अपना हृदय कठोर न कर लो, जैसा कि पहले, विद्रोह के समय, हुआ था।

9) उस दिन तुम्हारे पूर्वजों ने मरूभूमि में मुझे चुनौती दी और मेरी परीक्षा ली, यद्यपि उन्होंने चालीस वर्षों तक मेरे कार्य देखे थे।

10) इसलिए मैं उस पीढ़ी पर अप्रसन्न हो गया और मैंने कहा, "उनका हृदय भटकता रहा है। वे मेरे मार्ग जानना नहीं चाहते।"

11) मैंने क्रुद्ध होकर यह शपथ खायी: "वे मेरे विश्रामस्थान में प्रवेश नहीं करेंगे।"

12) भाइयो! आप सावधान रहें। आप लोगों में किसी के मन में इतनी बुराई और अविश्वास न हो कि वह जीवन्त ईश्वर से विमुख हो जाये।

13) जब तक वह ’आज’ बना रहता है, आप लोग प्रतिदिन एक दूसरे को प्रोत्साहन देते जायें, जिससे कोई भी पाप के फन्दे में पड़कर कठोर न बने।

14) हम तो मसीह के भागीदार बन गये हैं, बशर्ते हम अपना प्रारम्भिक विश्वास अन्त तक अक्षुण्ण बनाये रखें।


सुसमाचार : मारकुस 1:40-45

40) एक कोढ़ी ईसा के पास आया और घुटने टेक कर उन से अनुनय-विनय करते हुए बोला, "आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं"।

41) ईसा को तरस हो आया। उन्होंने हाथ बढ़ाकर यह कहते हुए उसका स्पर्श किया, "मैं यही चाहता हूँ- शुद्ध हो जाओ"।

42) उसी क्षण उसका कोढ़ दूर हुआ और वह शुद्ध हो गया।

43) ईसा ने उसे यह कड़ी चेतावनी देते हुए तुरन्त विदा किया,

44) "सावधान! किसी से कुछ न कहो। जा कर अपने को याजकों को दिखाओ और अपने शुद्धीकरण के लिए मूसा द्वारा निर्धारित भेंट चढ़ाओ, जिससे तुम्हारा स्वास्थ्यलाभ प्रमाणित हो जाये"।

45) परन्तु वह वहाँ से विदा हो कर चारों ओर खुल कर इसकी चर्चा करने लगा। इस से ईसा के लिए प्रकट रूप से नगरों में जाना असम्भव हो गया; इसलिए वह निर्जन स्थानों में रहते थे फिर भी लोग चारों ओर से उनके पास आते थे।

📚 मनन-चिंतन

आज के सुसमाचार में प्रभु येसु एक कोढ़ी को चंगा करते हैं और इसके बारे में उससे चुप रहने के लिए कहते हैं, लेकिन वह जाकर चारों तरफ़ इसको बता देता है। चंगा होने से पहले वह कोढ़ी बड़ी पीड़ा में था। उसकी सबसे बड़ी ज़रूरत अपनी उस बीमारी से छुटकारा पाने की थी। अगर वह अपनी उस बीमारी छुटकारा पा लेता है तो उसका जीवन, उसका संसार बदल जाएगा, इसलिए उसने प्रभु से आग्रह किया कि वह उसे चंगा कर दे। उसने ईश्वर से दया और करुणा की भीख माँगी और और प्रभु येसु ने उसे चंगा किया। प्रभु येसु ने उसकी सबसे बड़ी ज़रूरत और इच्छा को पूरा किया जिसने उस कोढ़ी के जीवन और संसार को बदल दिया। भले ही प्रभु येसु इसके बारे में कुछ कहने से मना किया था लेकिन वह जाता है, और सबको इसके बारे में बताता है और ईश्वर की महिमा करता है। ईश्वर ने जो उसके लिए किया है वह उसके आनन्द को दबा नहीं पाता है।

बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपनी बड़ी से बड़ी पीड़ाओं और मनोकामनाओं को प्रभु के समक्ष रखते हैं। बहुत लोग जो ईश्वर से माँगते हैं वह उन्हें मिल भी जाता है, लेकिन बहुत कम लोग होंगे जो इसके बारे में ईश्वर की महिमा करते होंगे या उनके जीवन में ईश्वर के कार्यों का साक्ष्य देते होंगे। ईश्वर ने जो भी उनके लिए किया है, वे उसके बारे में चुपचाप रहते हैं। ईश्वर ने हम में से प्रत्येक पर अनेक आशीष और कृपायें प्रदान की हैं। हममें से कितने लोग हैं जो ईश्वर से पाए वरदानों के लिए उसकी महिमा करते हैं?

-फादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION


Jesus heals a leper today and tells him not to tell anybody, but he goes and proclaims everywhere. The leper was in great misery before being healed. His most urgent need was the healing from his disease. His life, his world would change if he was healed of his disease, and requested the Lord, to heal him. He asked for God’s mercy and Jesus healed him. Jesus fulfilled his most urgent need and desire which changed the leper's life and world. Even Jesus told him not to tell anything about it, he goes all around and proclaims and glorifies God. He can't hold back the joy of what God has done for him.

There are innumerable people who put forward their prayers and petitions of urgent need before the Lord. Many of them have joy of receiving what they asked God, but many do not glorify God or bear witness before others of what God has done. Today they keep silence about what God has done for them. God has showered many blessings and favours on each one of us. How many of us glorify God for what he has done for us?

-Fr. Johnson B.Maria (Gwalior)


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Praise the Lord!