वर्ष -1, चौथा सप्ताह, शुक्रवार

पहला पाठ : इब्रानियों के नाम पत्र 13:1-8

1) आप का भ्रातृप्रेम बना रहे। आप लोग आतिथ्य-सत्कार नहीं भूलें,

2) क्योंकि इसी के कारण कुछ लोगों ने अनजाने ही अपने यहाँ स्वर्गदूतों का सत्कार किया है।

3) आप बन्दियों की इस तरह सुध लेते रहें, मानो आप उनके साथ बन्दी हों और जिन पर अत्याचार किया जाता है, उनकी भी याद करें; क्योंकि आप पर भी अत्याचार किया जा सकता है।

4) आप लोगों में विवाह सम्मानित और दाम्पत्य जीवन अदूषित हो; क्योंकि ईश्वर लम्पटों और व्यभिचारियों का न्याय करेगा।

5) आप लोग धन का लालच न करें। जो आपके पास है, उस से सन्तुष्ट रहें; क्योंकि ईश्वर ने स्वयं कहा है - मैं तुम को नहीं छोडूँगा। मैं तुम को कभी नहीं त्यागूँगा।

6) इसलिए हम विश्वस्त हो कर यह कह सकते हैं -प्रभु मेरी सहायता करता है। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?

7) आप लोग उन नेताओं की स्मृति कायम रखें, जिन्होंने आप को ईश्वर का सन्देश सुनाया और उनके जीवन के परिणाम का मनन करते हुए उनके विश्वास का अनुसरण करें।

8) ईसा मसीह एकरूप रहते हैं- कल, आज और अनन्त काल तक।

सुसमाचार : सन्त मारकुस का सुसमाचार 6:14-29

14) हेरोद ने ईसा की चर्चा सुनी, क्योंकि उनका नाम प्रसिद्ध हो गया था। लोग कहते थे-योहन बपतिस्ता मृतकों में से जी उठा है, इसलिए वह ये महान् चमत्कार दिखा रहा है।

15) कुछ लोग कहते थे- यह एलियस है। कुछ लोग कहते थे- यह पुराने नबियों की तरह कोई नबी है।

16) हेरोद ने यह सब सुन कर कहा, ’’ यह योहन ही है, जिसका सिर मैंने कटवाया है और जो जी उठा है’’

17) हेरोद ने अपने भाई फि़लिप की पत्नी हेरोदियस के कारण योहन को गिरफ़्त्तार किया और बन्दीगृह में बाँध रखा था; क्योंकि हेरोद ने हेरोदियस से विवाह किया था

18) और योहन ने हेरोद से कहा था, ’’अपने भाई की पत्नी को रखना आपके लिए उचित नहीं है’’।

19) इसी से हेरोदियस योहन से बैर करती थी और उसे मार डालना चाहती थी; किन्तु वह ऐसा नहीं कर पाती थी,

20) क्योंकि हेरोद योहन को धर्मात्मा और सन्त जान कर उस पर श्रद्धा रखता और उसकी रक्षा करता था। हेरोद उसके उपदेश सुन कर बड़े असमंजस में पड़ जाता था। फिर भी, वह उसकी बातें सुनना पसन्द करता था।

21) हेरोद के जन्मदिवस पर हेरोदियस को एक सुअवसर मिला। उस उत्सव के उपलक्ष में हेरोद ने अपने दरबारियों, सेनापतियों और गलीलिया के रईसों को भोज दिया।

22) उस अवसर पर हेरोदियस की बेटी ने अन्दर आ कर नृत्य किया और हेरोद तथा उसके अतिथियों को मुग्ध कर लिया। राजा ने लड़की से कहा, ’’जो भी चाहो, मुझ से माँगो। मैं तुम्हें दे दॅूंगा’’,

23) और उसने शपथ खा कर कहा, ’’जो भी माँगो, चाहे मेरा आधा राज्य ही क्यों न हो, मैं तुम्हें दे दूँगा’’।

24) लड़की ने बाहर जा कर अपनी माँ से पूछा, ’’मैं क्या माँगूं?’’ उसने कहा, ’’योहन बपतिस्ता का सिर’’।

25) वह तुरन्त राजा के पास दौड़ती हुई आयी और बोली, ’’मैं चाहती हूँ कि आप मुझे इसी समय थाली में योहन बपतिस्ता का सिर दे दें’’

26) राजा को धक्का लगा, परन्तु अपनी शपथ और अतिथियों के कारण वह उसकी माँग अस्वीकार करना नहीं चाहता था।

27) राजा ने तुरन्त जल्लाद को भेज कर योहन का सिर ले आने का आदेश दिया। जल्लाद ने जा कर बन्दीगृह में उसका सिर काट डाला

28) और उसे थाली में ला कर लड़की को दिया और लड़की ने उसे अपनी माँ को दे दिया।

29) जब योहन के शिष्यों को इसका पता चला, तो वे आ कर उसका शव ले गये और उन्होंने उसे क़ब्र में रख दिया।

📚 मनन-चिंतन

हम आनंद और मनोरंजन की दुनिया में रह रहे हैं। आज दुनिया में लोग अपने जीवन में आनंद और सुख की प्राप्ति के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहते हैं विभिन्न प्रकार की सुख-सुविधाओं के विभिन्न विकल्पों के साथ प्राप्त करना चाहते हैं। आज के सुसमाचार में राजा हेरोद, आज की दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है, जो अपने भाई की पत्नी को अपने शारीरिक सुख के लिए रख लेता है और योहन बपतिस्ता को एक नृत्य के आनंद के लिए पुरस्कार के रूप में मारवा देता है। हेरोद की तरह लोग आज भी अपनी इच्छाओं की संतुष्टि के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। आज कल हत्या, बलात्कार और लूटपाट और धोखाधड़ी की कई सारी वारदातें इसलिए होती है क्योंकि लोग अपनी सांसारिक इच्छाओं को पूरा करना चाहते हैं और उसके लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं।

मानव जीवन, मानवीय संबंध और मानवीय गरिमा हमारे व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर होनी चाहिए। किसी और का नाम, गरिमा या जीवन समाप्त करके कुछ भी हासिल करना कोई जीत नहीं है। यह कायर लोगों का काम है। हमें बुराई के साथ समझौता करने की जरूरत नहीं है, चाहे जो कुछ भी हो जाये । हमें दूसरे के सुख की तलाश करनी होगी, इसके लिए कभी-कभी हमें अपने आराम और सुख का त्याग करना पड़ सकता है। आइए हम हेरोद न बनें बल्कि योहन बपतिस्ता की तरह बनें जो बुराई का सामना करता है और सच्चाई के लिए खड़ा होता है।

-फादर प्रीतम वसूनिया (इन्दौर धर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION


We are living in the world of pleasure and entertainment. People in the world want to enjoy their life with various wide varieties of options of pleasure available. Herod in today’s Gospel, represents today’s world, who takes his brother’s wife for his own pleasure and gets John the Baptist killed as a reward for enjoyment of a dance. Like Herod people today are ready to do anything for the gratification of their desires. The number of murders, rapes, and lootings and cheatings takes place just because of people want to satisfy their worldly desires.

Human life, human relations and human dignity should be above our personal selfishness. Gaining anything by eliminating someone else’s name, dignity or life is not a victory. This is the work of cowardly people. We don’t need to compromise with the evil, come what may. We need to look for other’s happiness and good for this sometimes we may have to sacrifice our comfort and pleasure. Let us not be Herod but be like John the Baptist who confronted the evil and stood for the truth.

-Fr. Preetam Vasuniya (Indore)


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Praise the Lord!