वर्ष -1, छ्ठवाँ सप्ताह, गुरुवार

पहला पाठ : उत्पत्ति ग्रन्थ 9:1-13

1) ईश्वर ने यह कहते हुए नूह और उसके पुत्रों को आशीर्वाद दिया, फलो-फूलो और पृथ्वी पर फैल जाओ।

2) पृथ्वी के सभी पशु, आकाश के सभी पक्षी, भूमि पर रेंगने वाले सभी जीव-जन्तु और समुद्र की सभी मछलियाँ - इन सब पर तुम्हारा भय और आतंक छाया रहेगा। ये तुम्हारे अधिकार में है।

3) हर विचरने वाला प्राणी तुम्हारे भोजन के काम आ जायेगा। मैं हरी वनस्पतियों के साथ ये सब तुम्हें दिये देता हूँ;

4) किन्तु तुम वह माँस नहीं खाना, जिस में प्राण अर्थात् रक्त रह गया हो। मैं तुम लोगों के रक्त और जीवन का बदला चुकाऊँगा।

5) मैं प्रत्येक पशु को उसका बदला चुकाऊँगा और प्रत्येक मनुष्य को उसके भाई के जीवन का बदला चुकाऊँगा।

6) जो मनुष्य का रक्त बहाता है, उसी का रक्त भी मनुष्य द्वारा बहाया जायेगा; क्योंकि ईश्वर ने मनुष्य को अपना प्रतिरूप बनाया है।

7) ''तुम लोग फलो-फूलो, पृथ्वी पर फैल जाओ और उसे अपने अधिकार में कर लो।''

8) ईश्वर ने नूह और उसके पुत्रों से यह भी कहा,

9) ''देखो! मैं तुम्हारे और तुम्हारे वंशजों के लिए अपना विधान ठहराता हूँ!

10) और जो प्राणी तुम्हारे चारों ओर विद्यमान है, अर्थात पक्षी, चौपाये और सब जंगली जानवर, जो कुछ जहाज से निकला है और पृथ्वी भर के सब पशु-उन प्राणियों के लिए भी।

11) मैं तुम्हारे लिए यह विधान ठहराता हूँ-कोई भी प्राणी जलप्रलय से फिर नष्ट नहीं होगा और फिर कभी कोई जलप्रलय पृथ्वी को उजाड़ नहीं बनायेगा।''

12) ईश्वर ने यह भी कहा, ''मैं तुम्हारे लिए, तुम्हारे साथ रहने वाले सभी प्राणीयों के लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए जो विधान ठहराता हूँ, उसका चिन्ह यह होगा-

13) मैं बादलों के बीच अपना इन्द्र धनुष रख देता हूँ; वह पृथ्वी के लिए ठहराये हुए मेरे विधान का चिन्ह होगा।

सुसमाचार : सन्त मारकुस का सुसमाचार 8:27-33

27) ईसा अपने शिष्यों के साथ कैसरिया फि़लिपी के गाँवों की ओर गये। रास्ते में उन्होंने अपने शिष्यों से पूछा, ’’मैं कौन हूँ, इस विषय में लोग क्या कहते हैं?’’

28) उन्होंने उत्तर दिया, ’’योहन बपतिस्ता; कुछ लोग कहते हैं- एलियस, और कुछ लोग कहते हैं- नबियों में से कोई’’।

29) इस पर ईसा ने पूछा, ’’और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?’’ पेत्रुस ने उत्तर दिया, ’’आप मसीह हैं’’।

30) इस पर उन्होंने अपने शिष्यों को कड़ी चेतावनी दी कि तुम लोग मेरे विषय में किसी को भी नहीं बताना।

31) उस समय से ईसा अपने शिष्यों को स्पष्ट शब्दों में यह समझाने लगे कि मानव पुत्र को बहुत दुःख उठाना होगा; नेताओं, महायाजकों और शास्त्रियों द्वारा ठुकराया जाना, मार डाला जाना और तीन दिन के बाद जी उठना होगा।

32) पेत्रुस ईसा को अलग ले जा कर फटकारने लगा,

33) किन्तु ईसा ने मुड़ कर अपने शिष्यों की ओर देखा, और पेत्रुस को डाँटते हुए कहा, ’’हट जाओ, शैतान! तुम ईश्वर की बातें नहीं, बल्कि मनुष्यों की बातें सोचते हो’’।


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