वर्ष -1, पन्द्रहवाँ सामान्य सप्ताह, शनिवार

पहला पाठ :निर्गमन 12:37-42

37) इस्राएलियों ने रामसेस से सुक्कोत की ओर प्रस्थान किया। बच्चों और स्त्रियों के अतिरिक्त पैदल चलने वाले पुरुषों की संख्या लगभग छः लाख थी।

38) बहुत से परदेशी उनके साथ हो लिये और भेड़-बकरियों तथा बैल-गायों के बहुत भारी झुण्ड भी।

39) वे मिस्र से जो गूँधा हुआ आटा अपने साथ ले गये थे, उन्होंने उसकी बेखमीर रोटियाँ पकायी। उनके पास खमीर नहीं था, क्योंकि वे इतनी जल्दी में मिस्र से निकाल दिये गये थे कि उन्हें रास्ते के लिए भोजन तैयार करने का समय तक नहीं मिला था।

40) इस्राएली चार सौ तीस वर्ष तक मिस्र में रहे थे।

41) जिस दिन ये चार सौ तीस वर्ष समाप्त हुए, उसी दिन प्रभु की समस्त प्रजा मिस्र से निकल गयी।

42) प्रभु उस रात जागरण करता रहा, जिससे वह इस्राएलियों को मिस्र से बाहर ले जाये। इसलिए समस्त इस्राएली पीढ़ी दर पीढ़ी उसी रात को प्रभु के आदर में जागरण करते है।

सुसमाचार : मत्ती 12:14-21

14) इस पर फ़रीसियों ने बाहर निकल कर ईसा के विरुद्ध यह परामर्श किया कि हम किस तरह उनका सर्वनाश करें।

15) ईसा यह जान कर वहाँ से चले गये।

बहुत-से लोग ईसा के पीछे हो लिये। वे सबों को चंगा करते थे,

16) किन्तु साथ-साथ यह चेतावनी देते थे कि तुम लोग मेरा नाम नहीं फैलाओ।

17) इस प्रकार नबी इसायस का यह कथन पूरा हुआ-

18) यह मेरा सेवक है, इसे मैने चुना है; मेरा परमप्रिय है, मैं इस पर अति प्रसन्न हूँ। मैं इसे अपना आत्मा प्रदान करूँगा और यह गैर-यहूदियों में सच्चे धर्म का प्रचार करेगा।

19) यह न तो विवाद करेगा और न चिल्लायेगा, और न बाज़ारों में कोई इसकी आवाज सुनेगा।

20) यह न तो कुचला हुआ सरकण्डा ही तोडे़गा, और न धुँआती हुई बत्ती ही बुझायेगा, जब तक वह सच्चे धर्म को विजय तक न ले जाये।

21) इसके नाम पर गैर-यहूदी भरोसा रखेंगे।

📚 मनन-चिंतन

आज का युग संचार का युग है, सूचनाएं दुनिया के एक कौने से दूसरे कौने में चंद सेकेंड्स में पहुँच जाती हैं. इन्टरनेट पर इतने सारे प्लेटफॉर्म्स हैं, जिनके द्वारा आप अपनी बात लोगों तक पहुंचा सकते हैं, जैसे कि फेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम आदि. कभी-कभी तो कन्फ्युसन होता है कि अपने विचार दूसरों तक पहुँचाने के लिए कौन सा प्लेटफार्म सबसे अच्छा है. बहुत से लोगों को लत होती है कि वे कुछ भी करते हैं, उसे तुरन्त मीडिया या सोशल मीडिया के द्वारा दूसरों को बताते हैं, कभी- कभी तो उसे बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं. यही आदत जीवन के हर पहलु में समा जाती है. ऐसा ही एक पहलु है, किसी की कुछ मदद करना या भलाई करना. पहले कहावत होती थी, नेकी कर दरिया में डाल, यानि कि किसी के साथ कुछ भलाई की तो उसे भूल जाओ, उसका ढिंढोरा मत पीटो, लेकिन आज उसके उल्टा हो रहा है.

प्रभु येसु जगह-जगह घूम-घूम कर लोगों को चंगाई प्रदान करते थे, उन्हें जीवन की अनमोल शिक्षा देते थे, लोगों का जीवन बदल देते थे और उनसे कहते थे कि किसी को बताना मत. लेकिन फिर भी लोग जोर-शोर से उसका प्रचार कर देते थे. आज का सुसमाचार हमें याद दिलाता है कि यदि हम किसी के लिए कुछ भला करते हैं, तो उसका ढिंढोरा नहीं पीटना है. चौराहे पर चिल्लाकर उसका प्रचार नहीं करना है. लोग हमारे भले कार्यों को देखकर हमारी नहीं बल्कि स्वर्गीय पिता की महिमा करें, क्योंकि हम तो पिता ईश्वर के हाथों में कठपुतली मात्र हैं. पिता ईश्वर हमसे तभी प्रसन्न होंगे जब हम इस सिद्धांत का पालन करेंगे - नेकी कर और दरिया में डाल. आमेन.

फादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर)

📚 REFLECTION


Today we live in a world of communication revolution, here information travels from one corner to another corner of the world just within seconds. There are so many platforms on the internet where you can reach across the vast number of people, such as Facebook, Twitter Instagram etc. Sometimes even we get confused in choosing the best means of communication. Many people have got a kind of addiction to share with others on social media, whatever they do, and very often they share in an exaggerated manner. This attitude pervaded all aspects of our life, including the aspect of spiritual or moral life. Earlier it was said ‘do good and forget it’ meaning whenever you do any good to others, do not let it be known to others, keep it a secret, but today, it is the other way.

Jesus went around, from place to place doing good to others, healing them of their sicknesses and infirmities, preaching them the great mysteries and changing their lives. He always told people not to tell about it to anybody. But still many went around proclaiming it, what God had done for them. Today’s gospel reminds us that when we do good, help someone, we should not proclaim it to the world, on the crossroads. People should not praise us by seeing our good works rather they should give praise to the Heavenly Father because it is through the grace and blessings of the Heavenly Father that we do whatever we do. God will love us and be happy only when we follow this principle of keeping it secret when we do something good for others.

-Fr. Johnson B. Maria (Gwalior)


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Praise the Lord!