वर्ष -1, उन्नीसवाँ सामान्य सप्ताह, मंगलवार

पहला पाठ : विधि-विवरण ग्रन्थ 31:1-8

1) इसके बाद मूसा ने समस्त इस्राएलियों से कहा,

2) "अब मैं एक सौ बीस वर्षों का हो गया हूँ और चलने-फिरने मे असमर्थ हूँ। प्रभु ने मुझ से कहा, ‘तुम इस यर्दन नदी को पार नहीं करोगे।‘

3) तुम लोगों का प्रभु-ईश्वर तुम से पहले यर्दन पार करेगा। वह तुम्हारे लिए उन लोगों का विनाश करेगा और तुम उनका देश अपने अधिकार में करोगे। योशुआ यर्दन पार करने में तुम्हारा नेतृत्व करेगा, जैसा कि प्रभु ने कहा है।

4) प्रभु उन लोगों का विनाश करेगा, जैसा कि उसने अमोरियों के राजा सीहोन और ओग तथा उनके देश का विनाश किया है।

5) जब प्रभु उन लोगों को तुम्हारे हवाले कर देगा, तो तुम मेरे आदेश के अनुसार ही उनके साथ व्यवहार करोगे।

6) दृढ बने रहो और ढारस रखो! भयभीत न हो और उन से मत डरो क्योंकि तुम्हारा प्रभु-ईश्वर तुम्हारे साथ चलता है। वह तुम्हारा विनाश नहीं करेगा और तुमको नहीं छोडेगा।"

7) तब मूसा ने योशुआ को बुलाया और सभी इस्राएलियों के सामने उससे कहा, “दृढ बने रहो और ढारस रखो! तुम इन लोगों को उस देश ले चलोगे, जिसे प्रभु ने शपथ खाकर उनके पूर्वजों को देने की प्रतिज्ञा की है। तुम उस देश को उनके अधिकार में दे दोगे।

8) प्रभु तुम्हारे आगे-आगे चलेगा और तुम्हारे साथ रहेगा। वह तुम्हें निराश नहीं करेगा और तुम को नहीं छोडेगा। भयभीत न हो और मत डरो।

सुसमाचार :मत्ती 18:1-5,10,12-14

1) उस समय शिष्य ईसा के पास आ कर बोले, "स्वर्ग के राज्य में सबसे बड़ा कौन है?"

2) ईसा ने एक बालक को बुलाया और उसे उनके बीच खड़ा कर

3) कहा, "मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ - यदि तुम फिर छोटे बालकों-जैसे नहीं बन जाओगे, तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं करोगे।

4) इसलिए जो अपने को इस बालक-जैसा छोटा समझता है, वह स्वर्ग के राज्य में सबसे बड़ा है।

5) और जो मेरे नाम पर ऐसे बालक का स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है।

10) "सावधान रहो, उन नन्हों में एक को भी तुच्छ न समझो। मैं तुम से कहता हूँ - उनके दूत स्वर्ग में निरन्तर मेरे स्वर्गिक पिता के दर्शन करते हैं।

12) तुम्हारा क्या विचार है - यदि किसी के एक सौ भेड़ें हों और उन में से एक भी भटक जाये, तो क्या वह उन निन्यानबे भेड़ों को पहाड़ी पर छोड़ कर उस भटकी हुई को खोजने नहीं जायेगा?

13) और यदि वह उसे पाये, तो मैं विश्वास दिलाता हूँ कि उसे उन निन्यानबे की अपेक्षा, जो भटकी नहीं थी, उस भेड़ के कारण अधिक आनंद होगा।

14) इसी तरह मेरा स्वर्गिक पिता नहीं चाहता कि उन नन्हों में से एक भी खो जाये।


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