वर्ष - 2, पहला सप्ताह, गुरुवार

पहला पाठ: समुएल का पहला ग्रन्थ 4 :1-11

1) समूएल की बात इस्राएल भर में मान्य थी। उन दिनों फ़िलिस्ती इस्राएल पर आक्रमण करने के लिए एकत्र हो गये और इस्राएली उनका सामना करने निकले। उन्होंने एबेन-एजे़र के पास पड़ाव डाला और फ़िलिस्तियों ने अफ़ेद मे।

2) फ़िलिस्ती इस्राएलियों के सामने पंक्तिबद्ध हो गये। घमासान युद्ध हुआ और इस्राएली हार गये। फ़िलिस्तियों ने रणक्षेत्र में लगभग चार हजार सैनिकों को मार डाला।

3) जब सेना पड़ाव में लौट आयी, तो इस्राएली नेताओं ने कहा, ‘‘प्रभु ने आज हमें फ़िलिस्तियों से क्यों हारने दिया? हम षिलो जा कर प्रभु की मंजूषा ले आयें। वह हमारे साथ चले और हमें हमारे शत्रुओं के पंजे से छुड़ाये।’’

4) उन्होंने मंजूषा ले आने कुछ लोगों को षिलों भेजा। यह विश्वमण्डल के प्रभु के विधान की मंजूषा है, जो केरूबीम पर विराजमान है। एली के दोनों पुत्र होप़नी और पीनहास ईश्वर के विधान की मंजूषा के साथ आये।

5) जब प्रभु के विधान की मंजूषा पड़ाव में पहुँची, तो सब इस्राएली इतने ज़ोर से जयकार करने लगे कि पृथ्वी गूँज उठी।

6) फ़िलिस्तियों ने जयकार का वह नाद सुन कर कहा, ‘‘इब्रानियों के पड़ाव में इस महान् जयकार का क्या अर्थ है?’’ जब उन्हें यह पता चला कि प्रभु की मंजूषा पड़ाव में आ गयी है,

7) तो वे डरने लगे। उन्होंने कहा, ‘‘ईश्वर पड़ाव में आ गया है।

8) हाय! हम हार गये! उस शक्तिशाली ईश्वर के हाथ से हमें कौन बचा सकता है? यह तो वही ईश्वर है, जिसने मिस्रियों को मरुभूमि में नाना प्रकार की विपत्तियों से मारा।

9) फ़िलिस्तियों! हिम्मत बाँधों और शूरवीरों की तरह लड़ो! नहीं तो तुम इब्रानियों के दास बनोगे, जैसे कि वे तुम्हारे दास थे। शूरवीरों की तरह लड़ो!’’

10) फ़िलिस्तियों ने आक्रमण किया। इस्राएली हार कर अपने तम्बूओं में भाग गये। यह उनकी करारी हार थी। इस्राएलियों के तीस हज़ार पैदल सैनिक मारे गये,

11) ईश्वर की मंजूषा छीन ली गयी और एली के दोनों पुत्र होप़नी और पीनहास भी मार दिये गये।

सुसमाचार : सन्त मारकुस 1:40-45

40) एक कोढ़ी ईसा के पास आया और घुटने टेक कर उन से अनुनय-विनय करते हुए बोला, ’’आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं’’।

41) ईसा को तरस हो आया। उन्होंने हाथ बढ़ाकर यह कहते हुए उसका स्पर्श किया, ’’मैं यही चाहता हूँ- शुद्ध हो जाओ’’।

42) उसी क्षण उसका कोढ़ दूर हुआ और वह शुद्ध हो गया।

43) ईसा ने उसे यह कड़ी चेतावनी देते हुए तुरन्त विदा किया,

44) ’’सावधान! किसी से कुछ न कहो। जा कर अपने को याजकों को दिखाओ और अपने शुद्धीकरण के लिए मूसा द्वारा निर्धारित भेंट चढ़ाओ, जिससे तुम्हारा स्वास्थ्यलाभ प्रमाणित हो जाये’’।

45) परन्तु वह वहाँ से विदा हो कर चारों ओर खुल कर इसकी चर्चा करने लगा। इस से ईसा के लिए प्रकट रूप से नगरों में जाना असम्भव हो गया; इसलिए वह निर्जन स्थानों में रहते थे फिर भी लोग चारों ओर से उनके पास आते थे।


Copyright © www.jayesu.com
Praise the Lord!