वर्ष - 2, आठवाँ सप्ताह, मंगलवार

पहला पाठ : पेत्रुस का पहला पत्र 1:10-16

10) यही मुक्ति नबियों के चिन्तन तथा अनुसंधान का विषय थी। उन्होंने आप लोगों को मिलने वाले अनुग्रह की भविष्यवाणी की।

11) उनमें मसीह का आत्मा विद्यमान था और वे मसीह के दुःखभोग तथा इसके बाद आने वाली महिमा की भविष्यवाणी करते थे। नबी यह जानना चाहते थे कि आत्मा किस समय और किन परिस्थितियों की ओर संकेत कर रहा है।

12) उन पर प्रकट किया गया था कि वे जो सन्देश सुनाते थे, वह उनके लिए नहीं, बल्कि आप लोगों के लिए था। अब सुसमाचार के प्रचारक, स्वर्ग से भेजे हुए पवित्र आत्मा की प्रेरणा से, आप लोगों को वही सन्देश सुनाते हैं। स्वर्गदूत भी इन बातों की पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं।

13) इसलिए आप लोग सतर्क और संयमी बने रहें और उस अनुग्रह पर पूरा भरोसा रखें, जो ईसा मसीह के निकट होने पर आप को प्राप्त होगा।

14) आप आज्ञाकारी सन्तान बन कर अपनी वासनाओं के अनुसार आचरण नहीं करें, जैसा कि पहले किया करते थे, जब आप लोगों को ज्ञान नहीं मिला था।

15) आप को जिसने बुलाया, वह पवित्र है। आप भी उसके सदृश अपने समस्त आचरण में पवित्र बनें;

16) क्योंकि लिखा है- पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ।

सुसमाचार : सन्त मारकुस का सुसमाचार 10:28-31

28) तब पेत्रुस ने यह कहा, ’’देखिए, हम लोग अपना सब कुछ छोड़ कर आपके अनुयायी बन गये हैं।’’

29) ईसा ने कहा, ’’मैं तुम से यह कहता हूँ- ऐसा कोई नहीं, जिसने मेरे और सुसमाचार के लिए घर, भाई-बहनों, माता-पिता, बाल-बच्चों अथवा खेतों को छोड़ दिया हो

30) और जो अब, इस लोक में, सौ गुना न पाये- घर, भाई-बहनें, माताएँ, बाल-बच्चे और खेत, साथ-ही-साथ अत्याचार और परलोक में अनन्त जीवन।

31) बहुत-से लोग जो अगले हैं, पिछले हो जायेंगे और जो पिछले हैं, अगले हो जायेंगे।’’


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