वर्ष - 2, नौवाँ सप्ताह, सोमवार

पहला पाठ : 2 पेत्रुस 1:2-7

2) आप लोगों को हमारे ईश्वर और प्रभु ईसा के ज्ञान द्वारा प्रचुर मात्रा में अनुग्रह और शान्ति प्राप्त हो!

3) उनके ईश्वरीय सामर्थ्य ने हमें वह सब प्रदान किया, जो भक्तिमय जीवन के लिए आवश्यक है और हम को उनका ज्ञान प्राप्त करने योग्य बनाया है, जिन्होंने हमें अपनी महिमा और प्रताप द्वारा बुलाया।

4) उन्होंने उस महिमा और प्रताप द्वारा हमारे लिए अपनी अमूल्य और महती प्रतिज्ञाओं को पूरा किया है। इस प्रकार आप उस दूषण से बच गये, जो वासना के कारण संसार में व्याप्त है और आप ईश्वरीय स्वभाव के सहभागी बन गये हैं।

5) इसलिए आप पूरी लगन से प्रयत्न करते रहें कि आपका विश्वास सदाचरण से, आपका सदाचरण ज्ञान से,

6) आपका ज्ञान संयम से, आपका संयम र्धर्य से, आपका धैर्य भक्ति से,

7) आपकी भक्ति मातृ-भाव से और आपका भ्रातृ-भाव प्रेम से युक्त हो।

सुसमाचार : सन्त मारकुस का सुसमाचार 12:1-12

1) वह लोगों को दुष्तान्तों में शिक्षा देने लगे- ‘‘किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगवायी, उसके चारों ओर घेरा बनवाया, उस में उस का कुण्ड खुदवाया और पक्का मचान बनवाया। तब उसे असामियों को पट्टे पर दे कर वह परदेश चला गया।

2) समय आने पर उसने दाखबारी की फ़सल का हिस्सा वसूल करने के लिए असामियों के पास एक नौकर को भेजा।

3) असामियों ने नौकर को पकड़ कर मारा-पीटा और खाली हाथ लौटा दिया।

4) उसने एक दूसरे नौकर को भेजा। उन्होंने उसका सिर फोड़ दिया और उसे अपमानित किया।

5) उसने एक और नौकर को भेजा और उन्होंने उसे मार डाला। इसके बाद उसने और बहुत -से नौकरों को भेजा। उन्होंने उन में से कुछ लोगों को पीटा और कुछ को मार डाला।

6) अब उसके पास एक ही बच गया- उसका परममित्र पुत्र। अन्त में उसने यह सोच कर उसे उनके पास भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे।

7) किन्तु उन असामियों ने आपस में कहा, ‘यह तो उत्तराधिकारी है। चलो, हम इसे मार डालें और इसकी विरासत हमारी हो जायेगी।’

8) उन्होंने इसे पकड़ कर मार डाला और दाखबारी के बाहर फेंक दिया।

9) दाखबारी का स्वामी क्या करेगा? वह आ कर उन असामियों का सर्वनाश करेगा और अपनी दाखबारी दूसरों को सौंप देगा।

10) ‘‘क्या तुम लोगों ने धर्मग्रन्थ में यह नहीं पढ़ा?- कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया है।’’

11) यह प्रभु का कार्य है। यह हमारी दृष्टि में अपूर्व है।’’

12) वे समझ गये कि ईसा का यह दृष्टान्त हमारे ही विषय में है और उन्हें गिरफ़्तार करने का उपाय ढूँढ़ने लगे। किन्तु वे जनता से डरते थे और उन्हें छोड़ कर चले गये।


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Praise the Lord!