वर्ष - 2, पन्द्रहवाँ सप्ताह, गुरुवार

पहला पाठ : इसायाह का ग्रन्थ 26:7-9,12,16-19

7) धर्मी का मार्ग समतल है। तू धर्मी का पथ बराबर करता है।

8) प्रभु! हम भी तेरे नियमों के मार्ग पर चलते हुए तुझ पर भरोसा रखते हैं। हम तेरे नाम की स्तुति करना चाहते हैं।

9) मैं रात को तेरे लिए तरसता हूँ। मैं अपनी सारी आत्मा से तुझे खोजता रहता हूँ। जब पृथ्वी पर तेरे नियमों का पालन होता है, तब उसके निवासियों को पता चलता है कि न्याय क्या है।

12) प्रभु! तू ही हमें शान्ति प्रदान करता और हमारे सभी कार्यों में हमें सफलता दिलाता है।

16) प्रभु! तेरी प्रजा संकट में तेरी शरण आती है। जब तू उसे दण्ड देता है, तो वह तेरी दुहाई देती है।

17) प्रभु! हम तेरे सामने उस गर्भवती स्त्री के सदृश थे, जो प्रसव के समय तड़पती है और अपनी पीड़ा में चिल्लाती है।

18) हम गर्भवति की तरह पीड़ा से तड़पते थे, किन्तु हमने वायु प्रसव की। हमने देश का उद्वार नहीं किया और पृथ्वी पर नेय निवासियों का जन्म नहीं हुआ।

19) किन्तु तेरे मृतक फिर जीवित होंगे, उनके शरीर फिर खड़े हो जायेंगे। तुम, जो मिट्टी में सो रहे हो, जाग कर आनन्द के गीत गाओगे; क्योंकि तेरी ओस ज्योतिर्मय है और पृथ्वी मृतकों को पुनर्जीवित कर देगी।

सुसमाचार : सन्त मत्ती का सुसमाचार 11:28-30

28) ’’थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो! तुम सभी मेरे पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।

29) मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो। मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा के लिए शान्ति पाओगे,

30) क्योंकि मेरा जूआ सहज है और मेरा बोझ हल्का।’’

📚 मनन-चिंतन - 1

मानव जीवन में हम जीवन की जटिलताओं, शारीरिक चंचलता, भावनात्मक हृदयाघात और पापों के परिणामों के कारण थकावट महसूस करते हैं। कई बार इस तरह की थकावट हमारे विश्वास की भी परीक्षा लेती है। प्रभु येसु हमें आमंत्रित करते हैं कि हम अपने ऐसे सभी बोझों को ले कर उनके पास जायें। उनका वादा है वे हमें छुटकारा तथा विश्राम देंगे। प्रभु हमें "तनाव पर काबू पाने के पाँच तरीके" या "खुशी के तीन तरीके" या "सफलता के सात रहस्य" नहीं देते जैसा कि आज के युग के कई मनोवैज्ञानिक या विशेषज्ञ करते हैं। वे बस समाधान के रूप में स्वयं को हमें प्रदान करते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि हम उन्हीं के द्वारा बनाये गये हैं और वे हमारे अस्तित्व के रहस्यों को भली भाँति जानते हैं। मानुषिक रीति से, हम अपनी समस्याओं में ही लीन रहना पसन्द करते हैं और परिणामस्वरूप हम उन समस्याओं और चिंताओं से ग्रस्त रहते हैं। वे हमें उन्हीं के साथ और उन्हीं में विश्राम पाने को कहते हैं। अगर हम ऐसा करने लगते हैं, तो हम अपने बोझों को पिघलते हुए देखेंगे और अपनी आत्मा में वापस लौटने वाली शांति पाएंगे।

-फादर फ्रांसिस स्करिया


📚 REFLECTION

In human life we experience weariness due to complexities of life, bodily frailties, emotional heartbreaks and aftereffects of sins. Very often such weariness really put our faith to test. Jesus invites us go to him with all such burdens and problems. He promises us to relieve us of those burdens. Jesus does not give us tips like “five ways of overcoming tension”, or “three ways to happiness” or “seven secrets of success” as many of today’s psychologists or experts do. He simply offers himself to us as a solution. He is the solution. He is the answer. We need to remember that it was through him that we were created and he knows the secrets of our being. As human beings we have a temptation to dwell in our problems and as a result we are possessed by those problems and anxieties. He calls us to ‘rest’ in him; and then we shall find our burdens melting and peace returning to our souls.

-Fr. Francis Scaria


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Praise the Lord!