वर्ष - 2, उन्नीसवाँ सप्ताह, शनिवार

पहला पाठ : एज़ेकिएल का ग्रन्थ 18:1-10,13b,30-32

1) प्रभु की वाणी मुझे यह कहते हुए सुनाई दी,

2) “तुम लोग इस्राएल देश के विषय में यह कहावत क्यों दोहराते हो- बाप-दादों ने खट्टे अंगूर खाये और बच्चों के दाँत खुरदरे हो गये?

3) प्रभु-ईश्वर यह कहता है- अपने अस्तित्व की शपथ! कोई भी इस्राएली यह कहावत फिर नहीं दोहरायेगा!

4) सभी आत्माएँ मेरी ही हैं। पिता की आत्मा मेरी है और पुत्र की आत्मा भी। जो व्यक्ति पाप करता है, वही मरेगा।

5) “यदि कोई मनुय धार्मिक है और संहिता तथा न्याय के अनुसार आचरण करता है;

6) यदि वह पहाड़ी पूजास्थानों में भोजन नहीं करता और इस्राएली प्रजा की देवमूर्तियों की ओर आँख उठा कर नहीं देखता; यदि वह परायी स्त्री का शील भंग नहीं करता और ऋतुमती स्त्री के पास नहीं जाता;

7) यदि वह किसी पर अत्याचार नहीं करता, अपने कर्जदार को उधार लौटाता और किसी का धन नहीं चुराता; यदि वह भूखों को भोजन और नंगों को कपड़े देता;

8) यदि वह ब्याज ले कर उधार नहीं देता, सूदखोरी अथवा अन्याय नहीं करता और दो पक्षों का उचित न्याय करता है;

9) यदि वह मेरे विधान के अनुसार आचरण करता और मेरे नियमों का निष्ठापूर्वक पालन करता है, तो ऐसा धार्मिक मनुय जीवित रहेगा- यह प्रभु-ईश्वर की वाणी है।

10) “किन्तु यदि उस से ऐसा पुत्र उत्पन्न हो, जो डाकू और हत्यारा हो जाये, जो स्वयं भी इन में से कोई अपराध करे;

13) वह अपने कुकर्मों के कारण अवश्य मर जायेगा और उसका रक्त उसी के सिर पड़ेगा।

30) “प्रभु-ईश्वर यह कहता है- इस्राएल के घराने! मैं हर एक का उसके कर्मों के अनुसार न्याय करूँगा। तुम मेरे पास लौट कर अपने सब पापों को त्याग दो। कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारे अपराधों को कारण तुम्हारा विनाश हो जाये।

31) अपने पुराने पापों का भार फेंक दो। एक नया हृदय और एक नया मनोभाव धारण करो। प्रभु-ईश्वर यह कहता है-इस्राएलियों! तुम क्यों मरना चाहते हो?

32) मैं किसी भी मनुय की मृत्यु से प्रसन्न नहीं होता। इसलिए तुम मेरे पास लौट कर जीते रहो।“

सुसमाचार : सन्त मत्ती का सुसमाचार 19:13-15

13) उस समय लोग ईसा के पास बच्चों को लाते थे, जिससे वे उन पर हाथ रख कर प्रार्थना करें। शिष्य लोगों को डाँटते थे,

14) परन्तु ईसा ने कहा, ’’बच्चों को आने दो और उन्हें मेरे पास आने से मत रोको, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन-जैसे लोगों का है’’

। 15) और वह बच्चों पर हाथ रख कर वहाँ से चले गये।


Copyright © www.jayesu.com
Praise the Lord!