वर्ष - 2, बाईसवाँ सप्ताह, शनिवार

📒 पहला पाठ : 1 कुरिन्थियों 4:6-15

6) भाइयो! मैंने आप लोगों के लिए अपने और अपोल्लोस के विषय में यह स्पष्टीकरण दिया है, जिससे आप हमारे उदाहरण से यह शिक्षा ग्रहण करें कि कोई भी धर्मग्रन्थ की मर्यादा का उल्लंघन न करे’ और आप एक का पक्ष लेते हुए और दूसरे का तिरस्कार करते हुए घमण्डी न बनें।

7) “कौन आप को दूसरों की अपेक्षा अधिक महत्व देता है? आपके पास क्या है, जो आपको न दिया गया है? और यदि आप को सब कुछ दान में मिला है, तो इस पर गर्व क्यों करते हैं, मानो यह आप को न दिया गया हो?"

8) अब तो आप लोग तृप्त हो गये हैं। आप धनी हो गये हैं। हमारे बिना ही आप को राज्य मिल चुका है। कितना अच्छा होता यदि आप को सचमुच राज्य मिला होता! तब हम भी शायद आपके राज्य के सहभागी बन जाते!

9) मुझे ऐसा लगता है कि ईश्वर ने हम प्रेरितों को मनुष्यों में सब से नीचा रखा है। हम रंगभूमि में प्राणदण्ड भोगने वाले मनुष्यों की तरह हैं। हम विश्व के लिए-स्वर्गदूतों और मनुष्यों, दोनों के लिए-तमाशा बन गये हैं।

10) हम मसीह के समझदार अनुयायी हैं। हम दुर्बल हैं और आप बलवान हैं। आप लोगों को सम्मान मिल रहा है और हमें तिरस्कार।

11) हम इस समय भी भूखे और प्यासे हैं, फटे-पुराने कपड़े पहनते हैं, मार खाते हैं, भटकते-फिरते हैं

12) और अपने हाथों से परिश्रम करते-करते थक जाते हैं। लोग हमारा अपमान करते हैं और हम आशीर्वाद देते हैं। वे हम पर अत्याचार करते हैं और हम सहते जाते हैं।

13) वे हमारी निन्दा करते हैं और हम नम्रतापूर्वक अनुनय-विनय करते हैं। लोग अब भी हमारे साथ ऐसा व्यवहार करते हैं, मानो हम पृथ्वी के कचरे और समाज के कूड़ा-करकट हों।

14) मैं आप लोगों को लज्जित करने के लिए यह नहीं लिख रहा हूँ, बल्कि आप को अपनी प्यारी सन्तान मान कर समझा रहा हूँ;

15) क्योंकि हो सकता है कि मसीह में आपके हजार शिक्षक हों, किन्तु आपके अनेक पिता नहीं हैं। मैंने सुसमाचार द्वारा ईसा मसीह में आप लोगों को उत्पन्न किया है।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस 6:1-5

1) ईसा किसी विश्राम के दिन गेंहूँ के खेतों से हो कर जा रहे थे। उनके शिष्य बालें तोड़ कर और हाथ से मसल कर खाते थे।

2) कुछ फ़रीसियों ने कहा, ’’जो काम विश्राम के दिन मना है, तुम क्यों वही कर रहे हो?’’

3) ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, ’’क्या तुम लोगों ने यह नहीं पढ़ा कि जब दाऊद और उनके साथियो ंको भूख लगी, तो दाऊद ने क्या क्या किया था?

4) उन्होंने ईश-मन्दिर में जा कर भेंट की रोटियाँ उठा लीं, उन्हें स्वयं खाया तथा अपने साथियों को भी खिलाया। याजकों को छोड़ किसी और को उन्हें खाने की आज्ञा तो नहीं है।’’

5) और ईसा ने उन से कहा, ’’मानव पुत्र विश्राम के दिन का स्वामी’’।


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