वर्ष - 2, सत्ताईसवाँ सप्ताह, गुरुवार

📒 पहला पाठ : गलातियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:1-5

1) नासमझ गलातियों! किसने आप लोगों पर जादू डाला है? आप लोगों को तो सुस्पष्ट रूप से यह दिखलाया गया कि ईसा मसीह क्रूस पर आरोपित किये गये थे।

2) मैं आप लोगों से इतना ही जानना चाहता हूँ - आप को संहिता के कर्मकाण्ड के कारण आत्मा का वरदान मिला या सुसमाचार के सन्देश पर विश्वास करने के कारण?

3) क्या आप लोग इतने नासमझ हैं कि आपने जो कार्य आत्मा द्वारा प्रारम्भ किया, उसे अब शरीर द्वारा पूर्ण करना चाहते हैं?

4) क्या आप लोगों को व्यर्थ ही इतने वरदान प्राप्त हुए? मुझे ऐसा विश्वास नहीं है।

5) जब ईश्वर आप लोगों को आत्मा का वरदान देता है और आपके बीच चमत्कार दिखाता है, तो क्या वह संहिता के कर्मकाण्ड के कारण ऐसा करता है या इसलिए कि आप सुसमाचार के सन्देश पर विश्वास करते है?

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 11:5-13

5) फिर ईसा ने उन से कहा, ’’मान लो कि तुम में कोई आधी रात को अपने किसी मित्र के पास जा कर कहे, ’दोस्त, मुझे तीन रोटियाँ उधार दो,

6) क्योंकि मेरा एक मित्र सफ़र में मेरे यहाँ पहुँचा है और उसे खिलाने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है’

7) और वह भीतर से उत्तर दे, ’मुझे तंग न करो। अब तो द्वार बन्द हो चुका है। मेरे बाल-बच्चे और मैं, हम सब बिस्तर पर हैं। मैं उठ कर तुम को नहीं दे सकता।’

8) मैं तुम से कहता हूँ-वह मित्रता के नाते भले ही उठ कर उसे कुछ न दे, किन्तु उसके आग्रह के कारण वह उठेगा और उसकी आवश्यकता पूरी कर देगा।

9) ’’मैं तुम से कहता हूँ-माँगो और तुम्हें दिया जायेगा; ढूँढ़ो और तुम्हें मिल जायेगा; खटखटाओ और तुम्हारे लिए खोला जायेगा।

10) क्योंकि जो माँगता है, उसे दिया जाता है; जो ढूँढ़ता है, उसे मिल जाता है और जो खटखटाता है, उसके लिए खोला जाता है।

11) ’’यदि तुम्हारा पुत्र तुम से रोटी माँगे, तो तुम में ऐसा कौन है, जो उसे पत्थर देगा? अथवा मछली माँगे, तो मछली के बदले उसे साँप देगा?

12) अथवा अण्डा माँगे, तो उसे बिच्छू देगा?

13) बुरे होने पर भी यदि तुम लोग अपने बच्चों को सहज ही अच्छी चीज़ें देते हो, तो तुम्हारा स्वर्गिक पिता माँगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों नहीं देगा?’’

📚 मनन-चिंतन

ईश्वर हमसे प्यार करता है। कलीसिया को प्रभु येसु का सबसे बड़ा उपहार पवित्र आत्मा है। आज का पहला पाठ (गलाती 3: 1-5) में संत पौलुस हमें सिखाता है कि सुसमाचार पर विश्वास करने से हमें पवित्र आत्मा प्राप्त होते हैं। और आज के सुसमाचार में येसु कहते हैं कि स्वर्गीय पिता उन लोगों को पवित्र आत्मा देंगे जो उनसे मांगते हैं।

येसु कहते हैं, “मांगो, और तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढो और तुम पाओगे; खटखटाओ, और तुम्हारे लिए खोला जाएगा।” ईश्वर हमसे प्यार करता है। इसलिए वह चाहता है कि हमारी ज़रूरतें पूरी हों। वह चाहता है कि हमें अपनी खोज के उत्तर मिलें। वह चाहते हैं कि हमारे लिए नए अवसर खुल जायें। ईश्वर उन लोगों की प्रार्थनाओं का जवाब देता है जो उसे विश्वास के साथ मांगते हैं। प्रभु येसु कहता है कि माँगने वालों को पवित्र आत्मा देने के लिए हमारे पिता ईश्वर तैयार है। इसलिए हम विश्वास के साथ पिता ईश्वर से प्रार्थना करें की वह हमें पवित्र आत्मा प्रदान करें।

क्या मैं मेरी ज़रूरतों में प्रार्थना में ईश्वर के पास जाता हूँ? क्या मुझे विश्वास है कि ईश्वर मेरी प्रार्थनाओं का जवाब देंगे? क्या मैं साधारण, सांसारिक चीजों से संतुष्ट हूं या मैं वास्तव में पवित्र आत्मा की इच्छा रखता हूं? मांगो, ढूंढो, खटखटाओ - ईश्वर आपकी प्रार्थनाओं का जवाब देंगे। आमीन।

- फादर जोली जोन (इन्दौर धर्मप्रांत)


📚 REFLECTION

God loves us. The greatest gift of Jesus to the Church is the Holy Spirit. The first reading from Galatians chapter 3: 1-5 says that we receive the Holy Spirit by believing in the gospel. And Jesus says in today’s gospel that the heavenly Father will give the Holy Spirit to those who ask him.

Jesus says, “Ask, and it will be given to you; search, and you will find; knock, and the door will be opened to you”. God loves us. Therefore he wants us to have our needs fulfilled. He wants that we find the answers to our search. He wants that new opportunities be opened for us. God answers the prayers of those who ask him. And the greatest gift that Jesus wants us to have is the Holy Spirit, whom the Father is ready to give to those who ask him.

In my needs do I turn to God in prayer? Do I believe that God will answer my prayers? Am I satisfied with the ordinary, mundane things or do I really desire the Holy Spirit? Ask, seek, knock – God will answer your prayers.

-Fr. Jolly John (Indore Diocese)


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Praise the Lord!