वर्ष - 2, सत्ताईसवाँ सप्ताह, शुक्रवार

📒 पहला पाठ : गलातियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:7-14

7) इसलिए आप लोग यह निश्चित रूप से जान लें कि जो लोग विश्वास करते हैं, वे ही इब्राहीम की सन्तान हैं।

8) धर्मग्रन्थ पहले से यह जानता था कि ईश्वर विश्वास द्वारा गैर-यहूदियों को पापमुक्त करेगा, इसलिए उसने पहले से इब्राहीम को यह सुसमाचार सुनाया कि तुम्हारे द्वारा पृथ्वी भर के राष्ट्र आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

9) इसलिए जो विश्वास पर निर्भर रहते हैं, विश्वास करने वाले इब्राहीम के साथ ही आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

10) परन्तु जो संहिता के कर्मकाण्ड पर निर्भर रहते है, वे शाप के अधीन हैं; क्योंकि लिखा है- जो व्यक्ति संहिता-ग्रन्थ में लिखी हुई सभी बातों का पालन नहीं करता रहता है, वह शापित है।

11) यह तो स्पष्ट है कि कोई संहिता के कारण ईश्वर की दृष्टि में धार्मिक नहीं होता; क्योंकि लिखा है- धार्मिक मनुष्य अपने विश्वास के द्वारा जीवन प्राप्त करेगा।

12) और संहिता का विश्वास से कोई सम्बन्ध नहीं है; क्योंकि उस में लिखा है-जो इन बातों का पालन करेगा, उसे इन्हीं के द्वारा जीवन प्राप्त होगा।

13) मसीह हमारे लिए शापित बने और इस तरह उन्होंने हम को संहिता के अभिशाप से मुक्त किया; क्योंकि लिखा है- जो काठ पर लटकाया जाता है, वह शापित है।

14) यह इसलिए हुआ कि ईसा मसीह के द्वारा इब्राहीम का आशीर्वाद ग़ैर-यहूदियों को भी प्राप्त हो और हमें विश्वास द्वारा वह आत्मा मिले, जिसकी प्रतिज्ञा की गयी थी।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 11:15-26

15) परन्तु उन में से कुछ ने कहा, ’’यह अपदूतों के नायक बेलज़ेबुल की सहायता से अपदूतों को निकालता है’’।

16) कुछ लोग ईसा की परीक्षा लेने के लिए उन से स्वर्ग की ओर का कोई चिन्ह माँगते रहे।

17) उनके विचार जान कर ईसा ने उन से कहा, ’’जिस राज्य में फूट पड़ जाती है, वह उजड़ जाता है और घर के घर ढह जाते हैं।

18) यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करने लगे, तो उसका राज्य कैसे टिका रहेगा? तुम कहते हो कि मैं बेलजे़बुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ।

19) यदि मैं बेलजे़बुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसी सहायता से उन्हें निकालते हैं? इसलिए वे तुम लोगों का न्याय करेंगे।

20) परन्तु यदि मैं ईश्वर के सामर्थ्य से अपदूतों को निकालता हूँ, तो निस्सन्देह ईश्वर का राज्य तुम्हारे बीच आ गया है।

21) ’’जब बलवान् मनुष्य हथियार बाँधकर अपने घर की रखवाली करता है, तो उसकी धन-सम्पत्ति सुरक्षित रहती है।

22) किन्तु यदि कोई उस से भी बलवान् उस पर टूट पड़े और उसे हरा दे, तो जिन हथियारों पर उसे भरोसा था, वह उन्हें उस से छीन लेता और उसका माल लूट कर बाँट देता है।

23) ’’जो मेरे साथ नहीं है, वह मेरा विरोधी है और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है।

24) ’’जब अशुद्ध आत्मा किसी मनुष्य से निकलता है, तो वह विश्राम की खोज में निर्जन स्थानों में भटकता फिरता है। विश्राम न मिलने पर वह कहता है, ’जहाँ से निकला हूँ, अपने उसी घर वापस जाऊँगा’।

25) लौटने पर वह उस घर को झाड़ा-बुहारा और सजाया हुआ पाता है।

26) तब वह जा कर अपने से भी बुरे सात अपदूतों को ले आता है और वे उस घर में घुस कर वहीं बस जाते हैं और उस मनुष्य की यह पिछली दशा पहली से भी बुरी हो जाती है।’’

📚 मनन-चिंतन

ईश्वर हमसे प्यार करता है। ईश्वर की इच्छा है की हम सब मुक्ति प्राप्त करें। प्रभु येसु क्रूस पर मर गये ताकि हम उस पर विश्वास करके पवित्र आत्मा प्राप्त कर सकें। हमें कानून और उसके नुस्खों से नहीं बल्कि प्रभु येसु पर विश्वास करने से मुक्ति प्राप्त होती है।

येसु के जीवन में पवित्र आत्मा सक्रिय था। उसने पवित्र आत्मा की शक्ति में सब कुछ किया। उनके विरोधियों ने उन पर शैतानों के राजकुमार बेज़ेबुल के माध्यम से शैतानों को बाहर निकालने का आरोप लगाया। कुछ अन्य लोगों ने उनके कार्यों में ईश्वर की शक्ति को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और एक और चिन्ह की मांग की । येसु ने उनसे स्पष्ट रूप से कहा, "यदि मैं ईश्वर के सामर्थ्य से अपदूतों को निकलता हूँ, तो निस्संदेह ईश्वर का राज्य तुम्हारे बीच आ गया है।"। येसु हमें सतर्क रहने की चेतावनी भी देते हैं क्योंकि शैतान, जो एक बार बाहर निकाला जाता है, वह जिससे निकला गया उसको पुनः अपने अधीन में करने के लिए अधिक से अधिक बल के साथ फिर से प्रवेश करने की कोशिश करेगा।

क्या मैं अपने जीवन में और दूसरों के काम में पवित्र आत्मा को देखता हूँ? क्या मैं अपने जीवन में ईश्वर की शक्ति को स्वीकार करने के लिए अनिच्छुक हूँ? क्या मैं अभी भी येसु में अपने विश्वास को साबित करने के लिए चिन्हों की तलाश कर रहा हूँ? पवित्र आत्मा से प्रार्थना कीजिये कि वह आपको सही मार्ग पर ले चले।

- फादर जोली जोन (इन्दौर धर्मप्रांत)


📚 REFLECTION

God loves us. It is his desire that we should be saved. Christ died on the cross so that we might receive the Holy Spirit through faith in him. We are saved, not by the law and its prescriptions but by faith in Jesus.

The Holy Spirit was active in the life of Jesus. He did everything in the power of the Holy Spirit. His opponents accused him of casting out the devils through Beelzebul, the prince of devils. Some others refused to acknowledge God’s power in his works and asked for another sign. Jesus said to them categorically, “If it is through the finger of God that I cast out devils, then know that the Kingdom of God has overtaken you”. Finger of God is another expression for the Holy Spirit. Jesus also warns us to be alert because the devil, once cast out, will try to re-enter with greater force to subdue the believer.

Do I see the Holy Spirit at work in my life and that of others? Am I reluctant to acknowledge the power of God in my life? Am I still seeking for signs to prove my faith in Jesus? Pray to the Holy Spirit to guide you in the right path.

-Fr. Jolly John (Indore Diocese)


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Praise the Lord!