वर्ष - 2, सत्ताईसवाँ सप्ताह, शनिवार

📒 पहला पाठ : गलातियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:22-29

22) परन्तु धर्मग्रन्थ ने सब कुछ पाप के अधीन कर दिया है, जिससे ईसा मसीह में विश्वास के द्वारा विश्वास करने वालों के लिए प्रतिज्ञा पूरी की जाये।

23) विश्वास के आगमन से पहले हम को उसके प्रकट होने के समय तक संहिता के निरीक्षण में बन्दी बना दिया गया था।

24) इस प्रकार जब तक मसीह नहीं आये और हम विश्वास के द्वारा धार्मिक नहीं बने, तब तक संहिता हमारी निरीक्षक रही।

25) किन्तु अब विश्वास आया है और हम निरीक्षक के अधीन नहीं रहे।

26) क्योंकि आप लोग सब-के-सब ईसा मसीह में विश्वास करने के कारण ईश्वर की सन्तति हैं;

27) क्योंकि जितने लोगों ने मसीह का बपतिस्मा ग्रहण किया, उन्होंने मसीह को धारण किया है।

28) अब न तो कोई यहूदी और न यूनानी, न तो कोई दास है और न स्वतन्त्र, न तो कोई पुरुष है और न स्त्री-आप सब ईसा मसीह में एक हो गये हैं।

29) यदि आप लोग मसीह के है, तो इब्राहीम की सन्तान है और प्रतिज्ञा के अनुसार उनके उत्तराधिकारी।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 11:27-28

27) ईसा ये बातें कह ही रहे थे कि भीड़ में से कोई स्त्री उन्हें सम्बोधित करते हुए ऊँचे स्वर में बोल उठी, ’’धन्य है वह गर्भ, जिसने आप को धारण किया और धन्य हैं वे स्तन, जिनका आपने पान किया है!

28) परन्तु ईसा ने कहा, ’’ठीक है; किन्तु वे कहीं अधिक धन्य हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं’’।

📚 मनन-चिंतन

ईश्वर हमसे प्यार करता है। उसने हमें विश्वास के माध्यम से अपनी सन्तान होने का विशेषाधिकार दिया है। मसीह में बपतिस्मा लेने वाले सभी लोग उनमें एक हो गए हैं। इसलिए विश्वासियों की भाषा, संस्कृति, धन, शक्ति, आदि के आधार पर कोई अंतर और भेद-भाव नहीं हैं; हम सभी येसु मसीह में एक हैं।

आज के सुसमाचार में ईश्वर के प्रति यह उचित संबंध व्यक्त किया गया है। जब भीड़ में से एक महिला ने ऊँची आवाज में येसु से कहा, "धन्य है वह गर्भ, जिसने आपको धारण किया और धन्य हैं वे स्तन, जिनका आपने पान किया है,” येसु ने उसे उत्तर दिया, "ठीक है; किन्तु वे कहीं अधिक धन्य हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।" येसु मसीह में विश्वास के माध्यम से हमें मुक्ति मिली है। पवित्र सुसमाचार द्वारा हमें विश्वास प्राप्त होता है। इसलिए ईश्वर के साथ हमारा संबन्ध किसी शारीरिक या पारिवारिक रिश्ते पर आधारित नहीं है, बल्कि ख्रीस्त में विश्वास पर आधारित है। इसलिए किसी को भी इस अनुग्रह के बाहर नहीं रखा गया है। वे सभी, जो येसु मसीह में विश्वास करते हैं और पवित्र आत्मा से संचालित हैं, वे सब ईश्वर की संतान हैं।

आप किस बात पर गर्व करते हैं? ईश्वर के साथ आपका सम्बन्ध किस बात पर आधारित है? - विश्वास पर या किसी अन्य चीज़ पर - आपका स्थान या अधिकार पर, या कलीसिया के अधिकारीयों के साथ आपकी निकटता पर? क्या आप विभिन्न चीजों के आधार पर विश्वासियों के साथ भेद-भाव करते हैं? क्या आप नहीं जानते हैं कि येसु मसीह में विश्वास करने वाले सभी लोग बिना किसी भेद-भाव के ईश्वर की संतान हैं? आइए हम सभी विश्वासियों को अपने भाई-बहन जैसे स्वीकार करने और उन्हें प्यार करने का अनुग्रह के लिए प्रार्थना करें।

- फादर जोली जोन (इन्दौर धर्मप्रांत)


📚 REFLECTION

We are all children of God thorough faith. For all those baptized in Christ, there are no more distinctions; all of us are one in Christ Jesus.

This proper relation to God is expressed in today’s gospel. When a woman in the crowd raised her voice and said to Jesus, “Happy the womb that bore you and the breasts that you sucked”, Jesus replied, “Still happier are those who hear the word of God and keep it.” We are saved through faith in Jesus Christ. Faith comes from believing in the gospel. So our relationship with God is not based on any physical or family relationship but rather on faith in Jesus. So no one is excluded. All those who believe in Jesus and are led by the Spirit of God are children of God.

In what do you glory? Is your relationship to God based on faith or on something else, like your position or proximity to those in authority in the Church? Do you make distinctions between believers based on different grounds? Know that all those who believe in Jesus are children of God without any distinctions. Let us pray for the grace to accept and love all our brothers and sisters in faith.

-Fr. Jolly John (Indore Diocese)


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Praise the Lord!