वर्ष - 2, अट्ठाईसवँ सप्ताह, मंगलवार

📒 पहला पाठ : गलातियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 5:1-6

1) मसीह ने स्वतन्त्र बने रहने के लिए ही हमें स्वतन्त्र बनाया, इसलिए आप लोग दृढ़ रहें और फिर दासता के जुए में नहीं जुतें।

2) मैं, पौलुस, आप लोगों से यह कहता हूँ- यदि आप ख़तना करायेंगे, तो आप को मसीह से कोई लाभ नहीं होगा।

3) मैं ,खतना कराने वाले हर एक व्यक्ति से फिर कहता हूँ कि उसे समस्त संहिता का पालन करना है।

4) यदि आप अपनी धार्मिकता के लिए संहिता पर निर्भर रहना चाहते हैं, तो आपने मसीह से अपना सम्बन्ध तोड़ लिया और ईश्वर की कृपा को खो दिया है।

5) हम तो उस धार्मिकता की तीव्र अभिलाषा करते हैं; जो विश्वास पर आधारित हैं और आत्मा द्वारा प्राप्त होती है।

6) यदि हम ईसा मसीह से संयुक्त हैं तो न ख़तने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्व विश्वास का है, जो प्रेम से अनुप्रेरित है।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 11:37-41

37) ईसा के उपदेश के बाद किसी फ़रीसी ने उन से यह निवेदन किया कि आप मेरे यहाँ भोजन करें और वह उसके यहाँ जा कर भोजन करने बैठे।

38) फ़रीसी को यह देख कर आश्चर्य हुआ कि उन्होंने भोजन से पहले हाथ नहीं धोये।

39) प्रभु ने उस से कहा, ’’तुम फ़रीसी लोग प्याले और थाली को ऊपर से तो माँजते हो, परन्तु तुम भीतर लालच और दुष्टता से भरे हुए हो।

40) मूर्खों! जिसने बाहर बनाया, क्या उसी ने अन्दर नहीं बनाया?

41) जो अन्दर है, उस में से दान कर दो, और देखो, सब कुछ तुम्हारे लिए शुद्ध हो जायेगा।

📚 मनन-चिंतन

आज के सुसमाचार में हम यीशु को एक फरीसी के घर में पाते हैं, जिसने उन्हें अपने यहाँ भोजन के लिए आमंत्रित किया था। फरीसि लोग, जो अपने अनुष्ठानों पर बहुत ध्यान देते थे, येसु को भोजन से पहले बिना हाथ धोये देखकर आश्चर्यचकित थे। येसु यह मौका का उपयोग करते हुए बाहरी अनुष्ठानों पर जोर देने के बजाय आंतरिक शुद्धता के महत्व के बारे में सिखाने लगते है। येसु किसी भी तरह से बाहरी शुद्धता के महत्व से इनकार नहीं कर रहा था। यह कितनी मूर्खतापूर्ण बात होगी अगर कोई प्लेट के बाहर की सफाई जैसी बातों पर जोर दे, मगर अपने अंदर की गंदगी और जबरन वसूली जैसी मलिन बातों को देखने से इंकार कर दें? येसु इस गन्दगी और दुष्टता, जबरन वसूली, दूसरों के प्रति बुराई एवं अन्यापूर्ण कार्यों को दूर करने का एक मार्ग सुझाता है, वह है, दूसरों को भिक्षा देना, जो आत्मिक शुद्धिकरण का एक प्रभावशाली तरीका है। यही बात संत पौलुस आज का पहला पाठ में बताते है, " यदि हम इसा मसीह से संयुक्त हैं, तो न ख़तने का कोई महत्त्व है और न उसके आभाव का। महत्त्व विश्वास का है, जो प्रेम से अनुप्रेरित है।"

क्या आप बाहर और अन्दर दोनों तरह से शुद्ध हो? यह अच्छा है कि लोग चर्च में आने पर अपना टिप-टॉप दिखने का ध्यान रखते हैं। कितना बेहतर होगा अगर वे अपने भीतर के रूप-रंग पर ध्यान दें - पवित्र वचनों को सुनकर, आवश्कतानुसार पश्चाताप कर के, दूसरों के साथ सामंजस्य स्थापित करके, अपनी दुष्ट और अन्यायपूर्ण तरीकों को छोड़कर, उदारतापूर्वक पड़ोसी की मदद करके। अपने सर्वश्रेष्ठ बाहरी रूप को देखो और अपने भीतर की अवस्था को भी! प्रार्थना कीजिये कि पवित्र वचनों के सहारे अपने आतंरिक स्वस्छता के लिए हमें मदद मिले !

- फादर जोली जोन (इन्दौर धर्मप्रांत)


📚 REFLECTION

In today’s gospel we find Jesus in the house of a Pharisee who invited him to dine at his house. Pharisees, who paid great attention to rituals was surprised that Jesus had not washed the hands before the meals. This was occasion for Jesus to teach about the importance of inner purity rather than just emphasizing on external rituals. Jesus was in no way denying the importance of external signs. How foolish it is to clean the outside of the cup and plate but refuse to see the dirt, like wickedness and extortion, inside? Jesus proposes a way to clean the wickedness and extortion, the evil and unjust actions towards others. That is to give alms, as a way of purification. This is what St. Paul refers to in the first reading, “Whether you are circumcised or not makes no difference – what matters is faith that makes its power felt through love”.

Are you a clean person - both outside and inside? It is good that people take care to look their best when they come to the church. How much better it would be if they were to take care of their inner looks – by listening to the word, repenting where needed, reconciling with others, giving up wicked and unjust ways, helping the neighbour in generosity,… Look at your best self and then look at your inner self! Let the word of God help you to cleanse your inside!

-Fr. Jolly John (Indore Diocese)


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Praise the Lord!