वर्ष - 2, अट्ठाईसवँ सप्ताह, गुरुवार

📒 पहला पाठ :एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:1-10

1) सन्तों और ईसा मसीह के विश्वासियों के नाम पौलुस का पत्र, जो ईश्वर द्वारा ईसा मसीह का प्रेरित नियुक्त हुआ है।

2) हमारा पिता ईश्वर और प्रभु ईसा मसीह आप लोगों को अनुग्रह तथा शान्ति प्रदान करें।

3) धन्य है हमारे प्रभु ईसा मसीह का ईश्वर और पिता! उसने मसीह द्वारा हम लोगों को स्वर्ग के हर प्रकार के आध्यात्मिक वरदान प्रदान किये हैं।

4) उसने संसार की सृष्टि से पहले मसीह में हम को चुना, जिससे हम मसीह से संयुक्त हो कर उसकी दृष्टि में पवित्र तथा निष्कलंक बनें।

5) उसने प्रेम से प्रेरित हो कर आदि में ही निर्धारित किया कि हम ईसा मसीह द्वारा उसके दत्तक पुत्र बनेंगे। इस प्रकार उसने अपनी मंगलमय इच्छा के अनुसार

6) अपने अनुग्रह की महिमा प्रकट की है। वह अनुग्रह हमें उसके प्रिय पुत्र द्वारा मिला है,

7) जो अपने रक्त द्वारा हमें मुक्ति अर्थात् अपराधों की क्षमा दिलाते हैं। यह ईश्वर की अपार कृपा का परिणाम है,

8) जिसके द्वारा वह हमें प्रज्ञा तथा बुद्धि प्रदान करता रहता है।

9 (9-10) उसने अपनी मंगलमय इच्छा के अनुसार निश्चय किया था कि वह समय पूरा हो जाने पर स्वर्ग तथा पृथ्वी में जो कुछ है, वह सब मसीह के अधीन कर एकता में बाँध देगा। उसने अपने संकल्प का यह रहस्य हम पर प्रकट किया है।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस 11:47-54

47) धिक्कार तुम लोगों को! क्योंकि तुम नबियों के लिए मक़बरे बनवाते हो, जब कि तुम्हारे पूर्वजों ने उनकी हत्या की।

48) इस प्रकार तुम अपने पूर्वजों के कर्मों की गवाही देते हो और उन से सहमत भी हो, क्योंकि उन्होंने तो उनकी हत्या की और तुम उनके मक़बरे बनवाते हो।

49) ’’इसलिए ईश्वर की प्रज्ञा ने यह कहा-मैं उनके पास नबियों और प्रेरितों को भेजूँगा; वे उन में कितनों की हत्या करेंगे और कितनो पर अत्याचार करेंगे।

50) इसलिए संसार के आरम्भ से जितने नबियों का रक्त बहाया गया है-हाबिल के रक्त से ले कर ज़करियस के रक्त तक, जो वेदी और मन्दिरगर्भ के बीच मारा गया था-

51) उसका हिसाब इस पीढ़ी को चुकाना पड़ेगा। मैं तुम से कहता हूँ, उसका हिसाब इसी पीढ़ी को चुकाना पड़ेगा।

52) ’’शास्त्रियों, धिक्कार तुम लोगों को! क्योंकि तुमने ज्ञान की कुंजी ले ली। तुमने स्वयं प्रवेश नहीं किया और जो प्रवेश करना चाहते थे, उन्हें रोका।’’

53) जब ईसा उस घर से निकले, तो शास्त्री, और फ़रीसी बुरी तरह उनके पीछे पड़ गये और बहुत-सी बातों के सम्बन्ध में उन को छेड़ने लगे।

54) वे इस ताक में थे कि ईसा के किसी-न-किसी कथन में दोष निकाल लें।

📚 मनन-चिंतन

आज का पहला पाठ जो एफिसियों नाम संत पौलुस का पत्र से लिया गया है, हमारे प्रति ईश्वर की प्रेममय एवं शाश्वत योजना को दर्शाती है। ईश्वर ने मसीह द्वारा हम लोगों को स्वर्ग के हर प्रकार के आध्यात्मिक वरदान प्रदान किये हैं। उसने संसार की सृष्टि से पहले मसीह में हम लोगों को चुना,जिससे हम मसीह से संयुक्त हो कर उसकी दृष्टी में पवित्र तथा निष्कलंक बनें।

उनके प्रेम में बने रहने के लिए ईश्वर ने नबियों और अन्य दूतों को समय समय पर भेजा कि हम उनकी योजना को जानें और उनके प्रेम में बने रहें। परंतु लोगों ने उनकी बातों को सुनने से इनकार कर दिया, उन्हें मार डाला। फरिसि और शास्त्री लोग, ईश्वर की योजना और प्रेम की जानकारी रखते हुए, न स्वयं उनके अनुसार जीते थे न दूसरों जीने देते थे। इस बात के लिए येसु फरीसियों और शास्त्रियों की निंदा करता था।

परमेश्वर अपने दूतों और संतों के माध्यम से अपनी कलीसिया को शिक्षा देना और मार्गदर्शन करना जारी रखता है। आज कालिया एक ऐसे महान संत का, अविला की संत तेरेसा, का त्यौहार मानती है। संत तेरेसा कुंवारी और कलीसिया की एक धर्माचार्या के रूप में जानी जाती है। ईश्वर ने संत तेरेसा को चुना और उसे आध्यात्मिक अनुभवों से संपन्न किया।उन्हें ईश्वर ने अपने जीवन, लेखन और शिक्षा द्वारा कलीसिया का नवनीकरण का एक सशक्त साधन बनाया।

आज के दिन हम संत तेरेसा एक के एक उद्धरण को याद करें जिसके द्वारा उनका आध्यात्मिक अनुभव और शिक्षा को हम समझ सकें: “मसीह के पास अब कोई शरीर नहीं है, लेकिन तुम्हारा है। न हाथ, न धरती पर पैर, बल्कि तुम्हारा। आपकी आंखें हैं जिनके माध्यम से मसीह दुनिया में दया की भावना रखते हैं। आपके पैर ऐसे हैं जिनके साथ मसीह अच्छाई करने के लिए चलता है। तुम्हारा वह हाथ है जिसके साथ मसीह दुनिया को आशीर्वाद देता है।“

हम भी संत तेरेसा के समान ईश्वर के सामने पवित्र और निष्कलंक बने रहने केलिए बुलाये गए हैं। यह बुलाहट कुछ लोगों के लिए सीमित नहीं है; हम सभी पवित्रता के लिए बुलाये गए हैं। आइए हम प्रार्थना करें कि हम उस महान बुलाहट को पहचान सकें, जिसे ईश्वर ने हमें अपने प्रेम में बुलाया है और दूसरों को भी ईश्वर के प्रेम का अनुभव करने में मदद कर सकें।

- फादर जोली जोन (इन्दौर धर्मप्रांत)


📚 REFLECTION

The first reading from the letter to the Ephesians shows God’s eternal plan of love for us. God has blessed us in Christ with every spiritual blessing in the heavenly places. Before the foundation of the world, God chose us in Christ, to be holy and spotless, to live through love in his presence.

God sent us his prophets and apostles from time to time to reveal this love of God and his plan and to help us to remain in his love. People refused to listen to them and persecuted and killed them. The Pharisees and the lawyers, entrusted with the knowledge, neither entered themselves nor allowed others to enter. This is the condemnation that Jesus has for Pharisees and lawyers.

God continues to teach and guide the church through his messenger and holy souls. Today the church celebrates the feast of one such great saint, St. Teresa of Jesus (Avila), virgin and Doctor of the Church. God chose her and endowed her with intimate spiritual experiences. God made her an instrument of renewal within the Church by her life, writings and teachings.

Today let us remember a quote from St. Teresa which helps us to understand her spiritual experience and teaching: “Christ has no body now, but yours. No hands, no feet on earth, but yours. Yours are the eyes through which Christ looks compassion into the world. Yours are the feet with which Christ walks to do good. Yours are the hands with which Christ blesses the world.”

Like St. Teresa, we too are called to be holy and blameless in God’s presence. The call to holiness is not limited to some people; all are called to be holy. Let us pray that we may recognize the great vocation to which God has called us in his love and help others also to experience God’s love.

-Fr. Jolly John (Indore Diocese)


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Praise the Lord!