वर्ष - 2, उन्तीसवाँ सप्ताह, शुक्रवार

📒 पहला पाठ : एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 4:1-6

1) ईश्वर ने आप लोगों को बुलाया है। आप अपने इस बुलावे के अनुसार आचरण करें - यह आप लोगों से मेरा अनुरोध है, जो प्रभु के कारण कै़दी हूँ।

2) आप पूर्ण रूप से विनम्र, सौम्य तथा सहनशील बनें, प्रेम से एक दूसरे को सहन करें

3) और शान्ति के सूत्र में बँध कर उस एकता को बनाये रखने का प्रयत्न करते रहें, जिसे पवित्र आत्मा प्रदान करता है।

4) एक ही शरीर है, एक ही आत्मा और एक ही आशा, जिसके लिए आप लोग बुलाये गये हैं।

5) एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास और एक ही बपतिस्मा।

6) एक ही ईश्वर है, जो सबों का पिता, सब के ऊपर, सब के साथ और सब में व्याप्त है।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 12:54-59

54) ईसा ने लोगों से कहा, “यदि तुम पश्चिम से बादल उमड़ते देखते हो, तो तुरन्त कहते हो, ’वर्षा आ रही है‘ और ऐसा ही होता है,

55) जब दक्षिण की हवा चलती है, तो कहते हो, ’लू चलेगी’ और ऐसा ही होता है।

56 ढोंगियों! यदि तुम आकाश और पृथ्वी की सूरत पहचान सकते हो, तो इस समय के लक्षण क्यों नहीं पहचानते?

57) ’’तुम स्वयं क्यों नहीं विचार करते कि उचित क्या है?

58) जब तुम अपने मुद्यई के साथ कचहरी जा रहे हो, तो रास्ते में ही उस से समझौता करने की चेष्टा करो। कहीं ऐसा न हो कि वह तुम्हें न्यायकर्ता के पास खींच ले जाये और न्यायकर्ता तुम्हें प्यादे के हवाले कर दे और प्यादा तुम्हें बन्दीगृह में डाल दे।

59) मैं तुम से कहता हूँ, जब तक कौड़ी-कौड़ी न चुका दोगे, तब तक वहाँ से नहीं निकल पाओगे।’’

📚 मनन-चिंतन

ईश्वर हमसे प्यार करता है। वह हमें विश्वासियों के समुदाय में इस प्रेम का अनुभव करने के लिए कहता है। कलीसिया एक शरीर है जिसका एक ईश्वर, एक विश्वास और एक बपतिस्मा है। संत पौलुस एफेसियों को याद दिलाता है कि वे मसीह के शरीर के सदस्य होने के कारण अपने इस महान बुलावे के अनुसार जीवन जियें। उनके आपसी संबंध प्रेम,निस्वार्थता, सौम्यता और क्षमाशीलता द्वारा निर्देशित किया जाना है। यह बात आज का अनुवाक्य में प्रतिध्वनित होता है, जो साफ-सुथरे हाथों और शुद्ध हृदय वाले लोगों की सराहना करता है, न कि बेकार चीज़ों की लालसा करनेवलों की।

आज का सुसमाचार में येसु समय के संकेतों की पहचान करने के बारे में शिक्षा देता है। लोग प्रकृति के संकेतों को परखना बहुत अच्छी तरह से जानते हैं लेकिन वे येसु के सुसमाचार प्रचार से जुड़े संकेतों को परखने में असफल रहे। नबियों के द्वारा घोषित मुक्तिदाता येसु है; यह समझने के लिए यह पर्याप्त था कि लोग येसु के जीवन और सेवा कार्य और उसे सम्बंधित बातों को देखें और समझें। सुसमाचार सुनकर जीवन सुधर का समय अब है; विलम्ब करने पर देर हो जाएगी। हमें अपने जीवन को सुधारने के लिए दिए गए समय का सदुपयोग करना चाहिए। प्रभु में अपना विश्वास अर्पित कर हम अनंत दंड से बच सकता है।

आपके संबंधों का क्या स्वाभाव है? क्या वे निस्वार्थ प्रेम द्वारा निर्देशित हैं जो सौम्यता और क्षमाशीलता में प्रकट होता है? क्या आप समय के संकेतों और उनके अर्थ को पहचान पा रहे हैं? ईश्वर के द्वारा प्रदत्त चिन्हों को पहचानो और उनकी ओर अपना जीवन फिराओ।

- फादर जोली जोन (इन्दौर धर्मप्रांत)


📚 REFLECTION

God loves us. He calls us to experience this love in the community of believers which is one Body with one Lord, one faith, and one baptism. St. Paul reminds the Ephesians to live a life worthy of their vocation as members of the Body of Christ. Their mutual relations are to be guided by charity, selflessness, gentleness and patience. This is echoed by the Responsorial Psalm, which commends those with clean hands and pure heart, desiring not worthless things.

In the gospel Jesus speaks about interpreting the signs of the times. The people knew very well to read the signs of nature but they failed to read the signs surrounding Jesus’ preaching. The signs around Jesus are enough for the discerning ones to understand that now is the time announced by the prophets, when people must be converted and acknowledge the Saviour. Tomorrow will be too late. We are on our way to God’s judgement; we must make use of the time given to us to reform our lives. We can be saved from judgement by believing in Jesus.

What characterizes your relationships? Are they guided by selfless love which expresses itself in gentleness and patience? Are we able to see the signs of the times and understand their meaning for our lives?

-Fr. Jolly John (Indore Diocese)


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Praise the Lord!