वर्ष - 2, तैंतीसवाँ सप्ताह, सोमवार

📒 पहला पाठ : प्रकाशना 1:1-4, 2:1-5

1:1) यह ईसा मसीह की प्रकाशना है। यह उन्हें ईश्वर की ओर से प्राप्त हुई, जिससे वह अपने सेवकों को निकट भविष्य में होने वाली घटनाएं दिखायें। उसने अपने दूत को भेज कर इस प्रकाश्ना का ज्ञान अपने सेवक योहन को कराया।

2) योहन अनुप्रमाणित करता है कि उसने जो कुछ देखा, वह ईश्वर का वचन और ईसा मसीह का साक्ष्य है।

3) धन्य है वह, जो यह भविष्यवाणी पढ़ कर सुनाता है और धन्य हैं वे, जो इसके शब्द सुनते हैं, और इस में लिखी हुई बातों का ध्यान रखते हैं; क्येांकि वह समय निकट आ गया है;

4) एशिया की कलीसियाओं को योहन का सन्देश। जो है, जो था और जो आने वाला है, उसकी ओर से, उसके सिंहासन के सामने उपस्थित रहने वाले सात आत्माओं

2:1) "एफेसुस की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिखो-"जो अपने दाहिने हाथ में सातों तारों को धारण किये है और सोने के सात दीपाधारों के बीच घूम रहा है, उसका सन्देश इस प्रकार है:

2) मैं तुम्हारे आचरण, तुम्हारे परिश्रम और धैर्य से परिचित हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम दुष्टों को सह नहीं सकते। जो अपने को प्रेरित कहते हैं, किन्तु हैं नहीं, तुमने उनकी परीक्षा ली है और उन्हें झूठा पाया है।

3) तुम्हारे पास धैर्य है। तुमने मेरे नाम के कारण कष्ट सहा है और हार नहीं मानी।

4) किन्तु मुझे तुम से शिकायत यह है कि तुमने अपना पहला धर्मोत्साह छोड़ दिया है।

5) इस पर विचार करो कि तुम कितने ऊँचे स्थान से गिरे हो। पश्चाताप करो और पहले जैसा आचरण करो। नहीं तो मैं तुम्हारे पास आ कर तुम्हारा दीपाधार उसके स्थान पर से हटा दूँगा।

📙 सुसमाचार : लूकस 18:35-43

35) जब ईसा येरीख़ो के निकट आ रहे थे, तो एक अन्धा सड़क के किनारे बैठा भीख माँग रहा था।

36) उसने भीड़ को गुज़रते सुन कर पूछा कि क्या हो रहा है।

37) लोगों ने उसे बताया कि ईसा नाज़री इधर से आ रहे हैं।

38) इस पर वह यह कहते हुए पुकार उठा, "ईसा! दाऊद के पुत्र! मुझ पर दया कीजिए"।

39) आगे चलने वाले उसे चुप करने के लिए डाँटते थे, किन्तु वह और भी ज़ोर से पुकारता रहा, "दाऊद के पुत्र! मुझ पर दया कीजिए"।

40) ईसा ने रुक कर उसे पास ले आने को कहा। जब वह पास आया, तो ईसा ने उस से पूछा,

41) "क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?" उसने उत्तर दिया, "प्रभु! मैं फिर देख सकूँ"।

42) ईसा ने उस से कहा, "जाओ, तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है"।

43) उसी क्षण उसकी दृष्टि लौट आयी और वह ईश्वर की स्तुति करते हुए ईसा के पीछे हो लिया। सारी जनता ने यह देख कर ईश्वर की स्तुति की।

📚 मनन-चिंतन

योहन 14:1 ‘‘तुम्हारा जी घबराये नहीं। ईश्वर में विश्वास करों और मुझ में भी विश्वास करो।’’ विश्वास एक ऐसी शक्ति है जिसके द्वारा इंसान अपने जीवन में उद्धार पा सकता हैं। आज के सुसमाचार में एक अंधे भिखारी ने येसु में विश्वास के द्वारा अपने जीवन में उद्धार पाया।

एक भिखारी वह भी अंधा होना बहुत ही दयनीय स्थिति हैं कई लोग ऐसी स्थिति में तो अपने जीवन से समझौता कर लेते है और उम्मीद ही खो बैठते हैं परंतु आज के सुसमाचार में जो व्यक्ति था उसने हमें सिखाया कि हमें उम्मीद न खोते हुए किस प्रकार से प्रभु से गुहार लगाया जा सकता है और अपने जीवन में प्रभु से उद्धार पाया जा सकता हैं।

वह अंधा भिखारी हमें सिखाता है- येसु में विश्वास करना कि उसके द्वारा ही उद्धार हो सकता है और येसु ही सबकुछ कर सकते हैं। उस अंधे व्यक्ति के सामने सें कई लोग गुजरे होंगे और वह उन से सिर्फ भीख ही मॉंगा करता था। परंतु जब उसे पता चलता हैं कि येसु वहॉं से गुजर रहें हैं तो वह येसु से भीख नहीं, धन नहीं परंतु वह मॉंगता है जिसके लिए वह इंतजार में था, उसे मालूम था कि बाकि लोग उस धन या सामान दे सकते हैं परंतु वह नहीं दे सकते जो येसु दे सकता हैं, इसलिए उसने येसु से वह मॉंगा जिसके लिए वह तड़प रहा था, जिसका उसे बहुत इंतजार था।

वह अंधा हमें या भी सिखाता है कि लोगो की परवाह किये बगैर हमंे येसु को पुकारना चाहिए। उसे जब मालूम पड़ा कि येसु वहॉं से गुजर रहें है और उसके पास यह आखिरी मौका है वह यह मौका नहीं गवाना चाहता था, उसे पूरा विश्वास था कि केवल येसु ही उसे चंगा कर सकते हैं और कोई नहीं इसलिए वह ज़़ोर से येसु को पुकारता है, आगे चलने वाले लोग उसे चुप रहने को कहते हैं परंतु वह और भी ज़ोर से पुकारता हैं। कुछ विश्वासी लोगों के सामने प्रार्थना करने से डरते हैं उनका डर प्रार्थना नहीं परंतु लोग रहते हैं। वे लोगो के बारे में सोच कर अपने जीवन में कृपा पाने से वंचित रह जाते है। मत्ती 10ः32, ‘‘जो मुझे मनुष्यों के सामने स्वीकार करेगा, उसे मैं भी अपने स्वर्गिक पिता के सामने स्वीकार करूॅंगा’’।

जिस प्रकार प्रेरित चरित 4:12 में लिखा हैं, ‘‘किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा मुक्ति नहीं मिल सकती, क्योकि समस्त संसार में ईसा नाम के सिवा मनुष्यों को कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है जिसके द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है।’’ आईये हम उस अंधे के समान येसु में विश्वास को बढ़ाये कि केवल येसु ही हमारा उद्धार कर सकता हैं। और उसी विश्वास के साथ अपने दैनिक जीवन में प्रार्थना करें। आमेन!

- फादर डेन्नीस तिग्गा


📚 REFLECTION

Jn 14:1, “Let your hearts not be troubled, believe in God and believe also in me.” Faith is that power through which we can receive the salvation. In today’s gospel a blind beggar receives blessing by believing in Jesus.

To be a beggar and that too a blind is very pitiable situation. Many compromise with this life situation and lose hope but the man in today’s gospel taught us that without losing hope how we can put our petition before Jesus and can receive the grace.

The blind beggar teaches us to have faith in Jesus that in Jesus alone there is salvation and only Jesus can do everything. Many came across his life and he used to beg in front of them. But when he came to know that Jesus is passing from there then he did not beg for money, food or anything rather he asked for which he was long awaiting, he knew that others can give money or things but they cannot give what Jesus can give, that is why he asked Jesus for which he was waiting for so long.

The beggar also teaches us that we have to cry to Jesus without the heed to people. When he came to know that Jesus is passing and that is the only chance for him and he did not want to lose that chance. He knew only Jesus can heal him that is why he cried to Jesus with loud voice, people walking in front sternly ordered him to be quiet but he cried even more loudly. Some believers have fear to pray in front of people, their fear is not prayer but people. Thinking about the people they deprive themselves of the blessings. Mt 10:32, “Everyone who acknowledges me before others, I also will acknowledge them before my Father in heaven.”

As it is written in Acts 4:12, “There is salvation in no one else, for there is no other name under heaven given among mortals by which we must be saved.” Let’s grow in our faith like that of the beggar that only is Jesus there is salvation and with that faith let’s pray in our daily lives. Amen!

-Fr. Dennis Tigga


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Praise the Lord!