वर्ष - 2, चौंतीसवाँ सप्ताह, गुरुवार

📒 पहला पाठ : प्रकाशना 18:1-2, 21-23, 19:1-3,9अ

18:1) इसके बाद मैंने एक अन्य स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा। वह महान् अधिकार से सम्पन्न था और पृथ्वी उसके तेज से प्रदीप्त हो उठी।

2) उसने उंचे स्वर से पुकार कर कहा, "उसका सर्वनाशा हो गया है! महान् बाबुल का सर्वनाश हो गया है! वह अपदूतों का डेरा, हर प्रकार के अशुद्ध आत्माओं और हर प्रकार के अशुद्ध एवं घृणित पक्षियों का बसेरा बन गया है;

21) तब तक बलवान् स्वर्गदूत ने चक्की के बड़े पाट-जैसा एक पत्थर उठाया और यह कहते हुए समुद्र में फेंका, "महानगर बाबुल इसी वेग से गिरा दिया जायेगा और उसका फिर कभी पता नहीं चलेगा।

22) वीणवादकों और संगीतकारों की, मुरली और तुरही बजाने वालों की आवाज तुझ में फिर कभी सुनाई नहीं पड़ेगी; किसी भी व्यवसाय के कारीगर तुझ में फिर कभी नहीं मिलेंगे। चक्की की आवाज़ तुझ में फिर कभी सुनाई नहीं पड़ेगी;

23) "दीपक का प्रकाश तुझ में फिर कभी दिखाई नहीं देगा;"वर और वधू का स्वर तुझ में फिर कभी सुनाई पड़ेगा; "क्योंकि तेरे व्यापारी पृथ्वी के अधिपति थे और तूने अपने जादू द्वारा सभी राष्ष्ट्रों को बहकाया।

19:1) इसके बाद मैंने स्वर्ग में एक विशाल जनसमुदाय की-सी ऊँची आवाज़ को यह गाते हुए सुना, "अल्लेलूया! हमारे ईश्वर को विजय, महिमा और सामर्थ्य,

2) क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और न्याय-संगत हैं। उसने उस महावेश्या को दण्डित किया है, जो अपने व्यभिचार द्वारा पृथ्वी को दूष्षित करती थी और उसने उसको अपने सेवकों के रक्त का बदला चुकाया है।’

3) तब उन्होंने फिर पुकार कर कहा, "अल्लेलूया! उसके जलने का धुआं युग-युगों तक उठता रहेगा।"

9) स्वर्गदूत ने मुझे से कहा, "यह लिखो- धन्य हैं वे, जो मेमने के विवाह-भोज में निमन्त्रित हैं! "

📙 सुसमाचार : लूकस 21:20-28

20) "जब तुम लोग देखोगे कि येरुसालेम सेनाओं से घिर रहा है, तो जान लो कि उसका सर्वनाश निकट है।

21) उस समय जो लोग यहूदिया में हों, वे पहाड़ों पर भाग जायें; जो येरुसालेम में हों, वे बाहर निकल जायें और जो देहात में हों, वे नगर में न जायें;

22) क्योंकि वे दण्ड के दिन होंगे, जब जो कुछ लिखा है, वह पूरा हो जायेगा।

23) उनके लिए शोक, जो उन दिनों गर्भवती या दूध पिलाती होंगी! क्योंकि देश में घोर संकट और इस प्रजा पर प्रकोप आ पड़ेगा।

24) लोग तलवार की धार से मृत्यु के घाट उतारे जायेंगे। उन को बन्दी बना कर सब राष्ट्रों में ले जाया जायेगा और येरुसालेम ग़ैर-यहूदी राष्ट्रों द्वारा तब तक रौंदा जायेगा, जब तक उन राष्ट्रों का समय पूरा न हो जाये।

25) "सूर्य, चन्द्रमा और तारों में चिन्ह प्रकट होंगे। समुद्र के गर्जन और बाढ़ से व्याकुल हो कर पृथ्वी के राष्ट्र व्यथित हो उठेंगे।

26) लोग विश्व पर आने वाले संकट की आशंका से आतंकित हो कर निष्प्राण हो जायेंगे, क्योंकि आकाश की शक्तियाँ विचलित हो जायेंगी।

27) तब लोग मानव पुत्र को अपार सामर्थ्य और महिमा के साथ बादल पर आते हुए देखेंगे।

28) "जब ये बातें होने लगेंगी, तो उठ कर खड़े हो जाओ और सिर ऊपर उठाओ, क्योंकि तुम्हारी मुक्ति निकट है।"

📚 मनन-चिंतन

आज के सुसमाचार में दो चीज़ों का सर्वनाश के विषय में बताया गया है। एक तो हैं येरुसालेम शहर का सर्वनाश और दूसरा ये पूरें संसार का सर्वनाश।

येरुसालेम का सर्वनाश के विषय में प्रभु येसु बताते है कि किस प्रकार येरुसालेम शहर गैर-यहुदियों के द्वारा रौंदा जायेगा। यह संकट आने पर क्या करना चाहिए प्रभु येसु बताते है, ‘उस समय जो लोग यहूदिया में हों, वे पहाड़ों पर भाग जायें, जो येरुसालेम में हों, वे बाहर निकल जायें और जो देहात में हों, वे नगर में न जायें।’ यह एक प्रकार से स्वयं को येरुसालेम शहर में सर्वनाश होने से बचाने के लिए प्रभु ने कहा।

इसके पश्चात् प्रभु येसु संसार के सर्वनाश के विषय में बताते है। संसार का अंत होने से पहले प्रकृति में क्या क्या चिन्ह प्रकट होंगे उसके बारे में प्रभु बताते है; और जब संसार का अंत होगा तब प्रभु येसु का दूसरा आगमन होगा। येरुसालेम का सर्वनाश के समय लोगो के पास समय और उपाय था कि वे स्वयं को उस सर्वनाश से बचा सकें, परंतु जब प्रभु येसु का दूसरा आगमन होगा तो किसी के पास कुछ समय नहीं होगा।

येरुसालेम शहर का सर्वनाश रोम साम्राज्य द्वारा सन् 70 में हुआ था और अब प्रभु के दूसरे आगमन का इंतजार हैं। संसार का अंत और प्रभु का दूसरा आगमन का होना यह कब होगा, यह कोई नहीं जानता; परंतु हमें उस समय के लिए तैयार रहने की जरुरत हैं। यह तैयारी प्रभु की शिक्षा अनुसार जीवन बिताने की तैयारी हैं। आईये हम सब हर एक क्षण ऐसा जीवन बिताये जैसा प्रभु अगले ही पल आने वाले हो और आज का समय हमारे लिए आखिरी समय हो। प्रभु हमें उनके वचनों अनुसार जीवन जीने में मदद करें। आमेन!

- फादर डेन्नीस तिग्गा


📚 REFLECTION

In today’s gospel Destruction of two things are being told by Lord Jesus. One is the destruction of Jerusalem city and the other is the destruction of the world.

About the destruction of the Jerusalem city Lord Jesus tells that it will be trampled on by the gentiles and When this will come, Jesus tells what to do, ‘those in Judea must flee to the mountains, and those inside the city must leave it, and those out in the country must not enter it.’ Jesus said this as one kind of instruction in order to save oneself from the destruction in Jerusalem.

After this Jesus tells about the destruction of the world that what all signs will appear in the nature before the end of the world; and when the end of the world will come that is the time of Parousia i.e the second coming of Lord Jesus. During the time of Jerusalem destruction people had time and option to save themselves but when the Lord Jesus will come second time there will be no time for anyone.

The city of Jerusalem was destroyed by Romans in 70 AD and now is the time of waiting for the Second coming of Lord Jesus. When the world will end and when the second coming of Jesus will happen, no one knows. But we need to be prepared for that time. This preparation is the preparation of living according to the word of God. Let’s live each moment of our lives as if Jesus is going to come the very next moment and today’s time is the last time for us. May Lord Jesus help us to live according to his Words. Amen!

-Fr. Dennis Tigga


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Praise the Lord!