चक्र ’अ’ - वर्ष का तेईसवाँ समान्य इतवार



📒 पहला पाठ : एज़ेकिएल 33:7-9

7) “मानवपुत्र! मैंने तुम को इस्राएल के घराने का पहरेदार नियुक्त किया है। तुम मेरी वाणी सुनोगे और इस्रएलियों को मेरी ओर से चेतावनी दोगे।

8) यदि मैं किसी दुष्ट से कहूँ, ’दुष्ट तू मर जायेगा’ और तुम कुमार्ग छोड़ने के लिए उसे चतावनी नहीं दोगे, तो वह अपने पाप के कारण मर जायेगा, किन्तु तुम उसकी मृत्यु के लिए उत्तरदायी होगे।

9) और यदि तुमने कुमार्ग छोड़ने के लिए उसे चेतावनी दी और उसने नहीं छोड़ा, तो वह अपने पाप के कारण मर जायेगा, किन्तु तुम्हारा जीवन सुरक्षित रह जायेगा।

📕 दूसरा पाठ : रोमियों 13:8-10

8) भातृप्रेम का ऋण छोड़कर और किसी बात में किसी के ऋणी न बनें। जो दूसरों को प्यार करता है, उसने संहिता के सभी नियमों का पालन किया है।

9 ’व्यभिचार मत करो, हत्या मत करो, चोरी मत करो, लालच मत करो’ -इनका तथा अन्य सभी दूसरी आज्ञाओं का सारांश यह है- अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो।

10) प्रेम पड़ोसी के साथ अन्याय नहीं करता। इसलिए जो प्यार करता है, वह संहिता के सभी नियमों का पालन करता है।

📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती 18:15-20

15) ’’यदि तुम्हारा भाई कोई अपराध करता है, तो जा कर उसे अकेले में समझाओ। यदि वह तुम्हारी बात मान जाता है, तो तुमने अपनी भाई को बचा लिया।

16) यदि वह तुम्हारी बात नहीं मानता, तो और दो-एक व्यक्तियों को साथ ले जाओ ताकि दो या तीन गवाहों के सहारे सब कुछ प्रमाणित हो जाये।

17) यदि वह उनकी भी नहीं सुनता, तो कलीसिया को बता दो और यदि वह कलीसिया की भी नहीं सुनता, तो उसे गैर-यहूदी और नाकेदार जैसा समझो।

18) मैं तुम से कहता हूँ- तुम लोग पृथ्वी पर जिसका निषेध करोगे, स्वर्ग में भी उसका निषेध रहेगा और पृथ्वी पर जिसकी अनुमति दोगे, स्वर्ग में भी उसकी अनुमति रहेगी।

19) ’’मैं तुम से यह भी कहता हूँ- यदि पृथ्वी पर तुम लोगों में दो व्यक्ति एकमत हो कर कुछ भी माँगेगे, तो वह उन्हें मेरे स्वर्गिक पिता की और से निश्चय ही मिलेगा;

20) क्योंकि जहाँ दो या तीन मेरे नाम इकट्टे होते हैं, वहाँ में उनके बीच उपस्थित रहता हूँ।’’

📚 मनन-चिंतन

आज के सुसमाचार में प्रभु येसु ने हमें भाई के सुधार के विषय में बताया है। जब आपक किसी का सुधार करते हैं और वह आपकी मानने को तैयार नहीं होता है तो, दो या तीन व्यक्तियों को बुलाके समझाओ, फिर भी ना समझे तो कलीसिया को बता दो। यह सब कहकर येसु अपने शिष्यों से कह रहे थे की किसी को सही मार्ग पर लाने का भरपूर प्रयास करना चाहिए। यह आवश्यक नहीं कि आपके एक बार कहने पर कोई तुरंत सही मार्ग पर आ जाये।

हम चाहे तो बहुतों को स्वर्ग राज्य में ला सकते हैं और इसके विपरीत हम बहुतों को स्वर्ग राज्य से दूर या वंचित भी कर सकते हैं। हम सब से अंत में हिसाब माँगा जायेगा। जैसा की उत्पत्ति 4:9 में प्रभु ने काईन से पूछा "तुम्हारा भाई हाबिल कहाँ है ? इस पर उसने उत्तर दिया क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूँ?" प्रभु हमसे पूछेगा की तुम्हारा भाई, तुम्हारी बहन कहाँ है, वे पाप के किन रास्तों पर भटक रहे हैं? तो हम काईन की तरह यह नहीं कह सकते की क्या मैं उसका रखवाला हूँ? नहीं कदापि नहीं। मैं ज़रूर अपने भाई, अपनी बहन का रखवाला हूँ। मैं अपने भाई और बहन के लिए, उनकी ज़िन्दगी के लिए ज़िम्मेदार हूँ।

पवित्र बाइबल हमें सिखलाती है कि हम खुद के उद्धार के साथ ही साथ दूसरों के उद्धार के लिए भी जिम्मेदार हैं। आज के पहले पाठ में प्रभु कहते हैं कि यदि हमने अपने किसी भाई को बुराई के मार्ग पर चलते देखा और उसे प्रभु के मार्ग की शिक्षा नहीं दी, उसे चेतावनी नहीं दी, उसे अपने मार्ग सुधारने को नहीं कहा तो वह व्यक्ति अपने पाप में मर जाएगा। याने उसे उद्धार नहीं मिलेगा। और प्रभु इसके लिए मुझे दोषी मानेगा। किन्तु यदि मैं किसी को उसके कुकर्मों से मन फिराकर सही मार्ग पर आने की शिक्षा दूँ और वह व्यक्ति मेरी बात ना माने तो वो अपनी बुराई में ही मर जायेगा उसका सर्वनाश होगा परन्तु मेरा जीवन बचा रहेगा।

- फादर प्रीतम वसुनिया (इन्दौर धर्मप्रांत)


📚 REFLECTION

In today's gospel, Lord Jesus tells us about correct our fellow brothers and sisters. If the person does not listen to your admonition, then call two or three persons and try to make the person understand. If still he/she does not understand then bring his/her case to the Church authority. The point Jesus wants make here is that we have to take all the measures possible in order to reprove and bring back one of our lost brother/sisters. It is not necessary that once you correct someone and immediately that person would come to the right path.

If we want, we can bring many people to the kingdom of heaven and on the contrary, we can also take away or deprive many of them from the kingdom of heaven. We will have to give an account of what we have done for our fellow brothers and sisters. As in Genesis 4: 9, the Lord asked Cain "Where is your brother Abel? To this he replied, Am I my brother's keeper?" The Lord will ask us, where is your brother, where is your sister, on which way are they wandering in their sinfulness? So we cannot say like Cain- Am I his guardian? No, not at all. I am definitely my brother’s/sister's keeper. I am responsible for my life as well as for my brothers’ and sisters’.

The Holy Bible teaches us that we are responsible for the salvation of ourselves as well as the salvation of others. In the first reading today, God says that if we’ve seen one of our brothers walking on the path of evil and did not teach him the way of the Lord, did not warn him, did not ask him to improve his path, then that person would die in his sin. God will hold me responsible for this. But if I teach someone to repent from his/her misdeeds and come to the right path and if that person does not listen to me, then he will die in his own evil, he will perish, but my soul will be safe.

-Fr. Preetam Vasuniya (Indore Diocese)


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Praise the Lord!