शनिवार - आगमन का दूसरा सप्ताह



पहला पाठ: प्रवक्ता-ग्रन्थ 48:1-4.9-11

1) तब एलियाह अग्नि की तरह प्रकट हुए। उनकी वाणी धधकती मशाल के सदृश थी।

2) उन्होंने उनके देश में अकाल भेजा और अपने धर्मोत्साह में उनकी संख्या घटायी।

3) उन्होंने प्रभु के वचन से आकाश के द्वार बन्द किये और तीन बार आकाश से अग्नि गिरायी।

4) एलियाह! आप अपने चमत्कारों के कारण कितने महान् है! आपके सदृश होने का दावा कौन कर सकता है!

9) आप अग्नि की आँधी में अग्निमय अश्वों के रथ में आरोहित कर लिये गये।

10) आपके विषय में लिखा है, कि आप निर्धारित समय पर चेतावनी देने आयेंगे, जिससे ईश्वरीय प्रकोप भड़कने से पहले ही आप उसे शान्त करें, पिता और पुत्र का मेल करायें और इस्राएल के वंशों का पुनरुद्धार करें।

11) धन्य हैं वे, जिन्होंने आपके दर्शन किये, जो आपके प्रेम से सम्मानित हुए!

सुसमाचार : सन्त मत्ती 17:9a.10-13

9) पहाड़ से उतरते समय उनके शिष्यों ने उन से पूछा, ’’शास्त्री यह क्यों कहते हैं कि पहले एलियस को आना है?’’

11) ईसा ने उत्तर दिया, ’’एलियस अवश्य सब कुछ ठीक करने आयेगा।

12) परन्तु मैं तुम लोगों से कहता हूँ- एलियस आ चुका है। उन्होंने उसे नहीं पहचाना और उसके साथ मनमाना व्यवहार किया। उसी तरह मानव पुत्र भी उनके हाथों दुःख उठायेगा।’’

13) तब वे समझ गये कि ईसा योहन बपतिस्ता के विषय में कह रहे हैं।


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Praise the Lord!