बुधवार - आगमन का तीसरा सप्ताह



📒 पहला पाठ : इसायाह का ग्रन्थ 45:6c-8,21c-25

6) मैं ही प्रभु हूँ, कोई दूसरा नहीं।

7) मैं प्रकाश और अन्धकार, दोनों की सृष्टि करता हूँ। मैं सुख भी देता और दुःख भी भेजता हूँ। मैं, प्रभु, यह सब करता हूँ।

8) आकाश! धार्मिकता बरसाओ- ओस की बूँदों की तरह, बादलों के जल की तरह। धरती खुल कर उसे ग्रहण करे- मुक्ति का अंकुर फूट निकले और धार्मिकता फले-फूले। मैं, प्रभु, ने इसकी सृष्टि की है।

21) मेरे सिवा कोई दूसरा ईश्वर नहीं। मेरे सिवा कोई न्यायी और उद्धारकरर्ता ईश्वर नहीं।

22) पृथ्वी के सीमान्तों से मेरे पास आओ और तुम मुक्ति प्राप्त करोगे, क्योंकि मेरे सिवा कोई ईश्वर नहीं।

23) “मेरे मुख से निकलने वाला शब्द सच्चा और अपरिवर्तनीय है। मैं शपथ खा कर यह कहता हूँ: हर घुटना मेरे सामने झुकेगा, हर कण्ठ मेरे नाम की शपथ लेगा।

24) सब लोग मेरे विषय में कहेंगे- “प्रभु में ही न्याय दिलाने का सामर्थ्य है।“ जो उस से बैर करते थे, वे सब लज्जित हो कर उसके पास आयेंगे।

25) प्रभु इस्राएल की समस्त प्रजा को न्याय दिलायेगा और वह प्रभु का गौरव करेगी।

📙 सुसमाचार : लूकस 7:19-23

19) योहन ने अपने दो शिष्यों को बुला कर ईसा के पास यह पूछने भेजा, "क्या आप वही हैं, जो आने वाले हैं या हम किसी और की प्रतीक्षा करें?"

20) इन दो शिष्यों ने ईसा के पास आ कर कहा, "योहन बपतिस्मा ने हमें आपके पास यह पूछने भेजा है-क्या आप वहीं हैं, जो आने वाले हैं या हम किसी और की प्रतीक्षा करें?"

21) उस समय ईसा बहुतों को बीमारियों, कष्टों और अपदूतों से मुक्त कर रहे थे और बहुत-से अन्धों को दृष्टि प्रदान कर रहे थे।

22) उन्होंने योहन के शिष्यों से कहा, "जाओ, तुमने जो सुना और देखा है, उसे योहन को बता दो-अन्धे देखते हैं, लंगड़े चलते हैं, कोढ़ी शुद्ध किये जाते हैं, बहरे सुनते हैं, मुर्दे जिलाये जाते हैं, दरिद्रों को सुसमाचार सुनाया जाता है

23) और धन्य है वह, जिसका, विश्वास मुझ पर से नहीं उठता!"


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Praise the Lord!