04 जनवरी, ख्रीस्त-जयन्ती काल



📒 पहला पाठ: योहन का पहला पत्र 3:7-10

7) बच्चो! कोई तुम्हें बहकाये नहीं। जो धर्माचरण करता है, वह उनकी तरह निष्पाप है।

8) जो पाप करता है, वह शैतान की सन्तान है; क्योंकि शैतान प्रारम्भ से पाप करता आया है। ईश्वर का पुत्र इसलिए प्रकट हुआ कि वह शैतान के कार्य समाप्त कर दे।

9) जो ईश्वर की सन्तान है, वह पाप नहीं करता; क्योंकि ईश्वर का जीवन-तत्व उस में क्रियाशील है। वह पाप नहीं कर सकता, क्योंकि वह ईश्वर से उत्पन्न हुआ है।

10) ईश्वर की सन्तान और शैतान की सन्तान की पहचान यह है- जो धर्माचरण नहीं करता, वह इ्रश्वर की सन्तान नहीं है और वह भी नहीं, जो अपने भाई को प्यार नहीं करता।

📙 सुसमाचार : सन्त योहन 1:35-42

35) दूसरे दिन योहन फिर अपने दो शिष्यों के साथ वहीं था।

36) उसने ईसा को गुज़रते देखा और कहा, ‘‘देखो- ईश्वर का मेमना!’

37) दोनों शिष्य उसकी यह बात सुन कर ईसा के पीछे हो लिये।

38) ईसा ने मुड़ कर उन्हें अपने पीछे आते देखा और कहा, ‘‘क्या चाहते हो?’’ उन्होंने उत्तर दिया, ‘‘रब्बी! ’’ (अर्थात गुरुवर) आप कहाँ रहते हैं?’’

39) ईसा ने उन से कहा, ‘‘आओ और देखो’’। उन्होंने जा कर देखा कि वे कहाँ रहते हैं और उस दिन वे उनके साथ रहे। उस समय शाम के लगभग चार बजे थे।

40) जो योहन की बात सुन कर ईसा के पीछे हो लिय थे, उन दोनों में एक सिमोन पेत्रुस का भाई अन्द्रेयस था।

41) उसने प्रातः अपने भाई सिमोन से मिल कर कहा, ‘‘हमें मसीह (अर्थात् खीस्त) मिल गये हैं’’

42) और वह उसे ईसा के पास ले गया। ईसा ने उसे देख कर कहा, ‘‘तुम योहन के पुत्र सिमोन हो। तुम केफस (अर्थात् पेत्रुस) कहलाओगे।’’

📚 मनन-चिंतन

कोई किसी और की प्रेरणा या अनुनय के लिए प्रभु येसु का अनुसरण कर सकता है। येसु चाहते हैं कि हर शिष्य उनका पीछा करने के लिए सचेत फैसला करे। संत योहन बपतिस्ता ने अपने शिष्यों को येसु का अनुसरण करने के लिए भेजा, लेकिन येसु चाहते थे कि वे स्वयं के लिए एक उचित प्रश्न का उत्तर ढ़ूँढ़े - "आप क्या ढ़ूँढ रहे हैं?" मैं येसु का अनुसरण करते वक्त क्या खोज रहा हूँ? येसु ने उन्हें अपने लिए एक स्थायी प्रतिबद्धता बनाने से पहले अपनी जीवन-शैली और जीवन-स्थितियों का अनुभव करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने येसु की संगति में जो अनुभव किया, उससे इतने अभिभूत थे, कि वे अपने प्रिय और निकट के लोगों को येसु के पास ले आए। वे अपने पड़ोसियों और दोस्तों के साथ मिले खजाने को साझा करना चाहते थे। बाइबिल कहती है कि वापस आते ही अन्द्रयस ने पेत्रुस को येसु के सामने लाने के पहल किया। श्रीलंका के मेथोडिस्ट सुसमाचार प्रचारक डी. टी. नाइल्स कहते हैं, "ईसाई धर्म यह है कि एक भिखारी दूसरे भिखारी को बताता है कि उसे भोजन कहां मिला"। हमारी दुनिया में बहुत से लोग शांति, न्याय और दया के भूखे हैं। येसु इन सभी आशिषों का स्रोत है। यह अनिवार्य हो जाता है कि हम पूरी मानवजाति के लिए येसु की घोषणा करें। आइए हम कम से कम एक कदम आज सुसमाचार के प्रचार की ओर बढ़ाएं।

-फादर फ्रांसिस स्करिया


📚 REFLECTION

Someone may begin to follow Jesus at the inspiration or persuasion of someone else. But Jesus wants every disciple to make a conscious decision to follow him. John the Baptist sent his disciples to follow Jesus, but Jesus wanted them to answer for themselves a pertinent question – “What do you seek?” What am I searching for in following Jesus? Jesus invited them to come and experience his life-style and life-situations before making a permanent commitment for him. They were so overwhelmed by what they experienced in the company of Jesus, that they brought their dear and near ones to Jesus. They wanted to share with their neighbors and friends the treasure they had found. The Bible says that “the first thing” that Andrew did was to bring Peter to Jesus. D.T. Niles, a Sri Lankan Methodist Evangelist says, “Christianity is one beggar telling another beggar where he found food”. Many in our world are hungry for peace, justice and mercy. Jesus is the source of all these. It becomes imperative that we proclaim Jesus to the whole humanity. Let us make at least one move today towards evangelization of others.

-Fr. Francis Scaria


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Praise the Lord!