05 जनवरी, ख्रीस्त-जयन्ती काल



पहला पाठ : 1 योहन 3:11-21

11) क्योंकि तुमने जो सन्देश प्रारम्भ से सुना है, वह यह है कि हमें एक दूसरे को प्यार करना चाहिए।

12) हम काइन की तरह नहीं बनें। वह दुष्ट की सन्तान था और उसने अपने भाई की हत्या की। उसने उसकी हत्या क्यों की? क्योंकि उसके अपने कर्म बुरे थे और उसके भाई के कर्म अच्छे।

13) भाइयो! यदि संसार तुम से बैर करे, तो इस पर आश्चर्य मत करो।

14) हम जानते हैं कि हमने मृत्यु से निकल कर जीवन में प्रवेश किया है; क्योंकि हम अपने भाइयों को प्यार करते हैं। जो प्यार नहीं करता, वह मृत्यु में निवास करता है।

15) जो अपने भाई से बैर करता है, वह हत्यारा है और तुम जानते हो कि किसी भी हत्यारे में अनन्त जीवन नहीं होता।

16) हम प्रेम का मर्म इस से पहचान गये कि ईसा ने हमारे लिए अपना जीवन अर्पित किया और हमें भी अपने भाइयों के लिए अपना जीवन अर्पित करना चाहिए।

17) किसी के पास दुनिया की धन-दौलत हो और वह अपने भाई को तंगहाली में देखकर उसपर दया न करे, तो उस में ईश्वर का प्रेम कैसे बना रह सकता है?

18) बच्चो! हम वचन से नहीं, कर्म से, मुख से नहीं, हृदय के एक दूसरे को प्प्यार करें।

19) इसी से हम जान जायेंगे कि हम सत्य की सन्तान हैं और जब कभी हमारा अन्तः करण हम पर दोष लगायेगा, तो हम ईश्वर के सामने अपने को आश्वासन दे सकेंगे;

20) क्योंकि ईश्वर हमारे अन्तःकरण से बड़ा हौ और वह सब कुछ जानता है।

21) प्यारे भाइयो! यदि हमारा अन्तः करण हम पर दोष नहीं लगाता है, तो हम ईश्वर पर पूरा भरोसा रख सकते हैं।


सुसमाचार : योहन 1:43-51

43) दूसरे दिन ईसा ने गलीलिया जाने का निश्चय किया। उनकी भेंट फिलिप से हुई और उन्होंने उस से कहा, "मेरे पीछे चले आओ"।

44) फिलिप बेथसाइदा का, अन्द्रेयस और पेत्रुस के नगर का निवासी था।

45) फिलिप नथानाएल से मिला और बोला, "मूसा ने संहिता में और नबियों ने जिनके विषय में लिखा है, वही हमें मिल गये हैं। वह नाज़रेत-निवासी, यूसुफ के पुत्र ईसा हैं।"

46) नथानाएल ने उत्तर दिया, "क्या नाज़रेत से भी कोई अच्छी चीज़ आ सकती है?" फिलिप ने कहा, "आओ और स्वयं देख लो"।

47) ईसा ने नथानाएल को अपने पास आते देखा और उसके विषय में कहा, "देखो, यह एक सच्चा इस्राएली है। इस में कोई कपट नहीं।"

48) नथानाएल ने उन से कहा, "आप मुझे कैसे जानते हैं?" ईसा ने उत्तर दिया, "फिलिप द्वारा तुम्हारे बुलाये जाने से पहले ही मैंने तुम को अंजीर के पेड़ के नीचे देखा"।

49) नथानाएल ने उन से कहा, "गुरुवर! आप ईश्वर के पुत्र हैं, आप इस्राएल के राजा हैं"।

50) ईसा ने उत्तर दिया, "मैंने तुम से कहा, मैंने तुम्हें अंजीर के पेड़ के नीचे देखा, इसीलिए तुम विश्वास करते हो। तुम इस से भी महान् चमत्कार देखोगे।"

51) ईसा ने उस से यह भी कहा, "मैं तुम से यह कहता हूँ- तुम स्वर्ग को खुला हुआ और ईश्वर के दूतों को मानव पुत्र के ऊपर उतरते-चढ़ते हुए देखोगे"।


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