चक्र - ब - वर्ष का चौदहवाँ सामान्य रविवार



पहला पाठ : एज़ेकिएल का ग्रन्थ 2:2-5

2) आत्मा ने मुझ में प्रवेश कर मुझे पैरों के पर खड़ा कर दिया और मैंने उसे मुझ से यह कहते सुना।

3) उसने मुझ से कहा, “मानवपुत्र! मैं तुम्हें इस्राएलियों के पास भेज रहा हूँ, उस विद्रेही राष्ट्र के पास, जो मेरे विरुद्ध में उठ खड़ा है। वे और उनके पुरखे आज तक मेरे विरुद्ध विद्रोह करते चले आ रहे हैं।

4) उनके पुत्र हठी हैं और उनका हृदय कठोर है। मैं तुम्हें उनके पास यह कहने भेज रहा हूँः ’प्रभु-ईश्वर यह कहता है’।

5) चाहे वे सुनें या सुनने से इनकार करें, क्योंकि वे विद्रोही प्रजा हैं- किन्तु वे जान जायेंगे कि उनके बीच एक नबी प्रकट हुआ है।

दूसरा पाठ: कुरिन्थियों के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 12:7-10

7) मुझ पर बहुत-सी असाधारण बातों का रहस्य प्रकट किया गया है। मैं इस पर घमण्ड न करूँ, इसलिए मेरे शरीर में एक काँटा चुभा दिया गया है। मुझे शैतान का दूत मिला है, ताकि वह मुझे घूंसे मारता रहे और मैं घमण्ड न करूँ।

8) मैंने तीन बार प्रभु से निवेदन किया कि यह मुझ से दूर हो;

9) किन्तु प्रभु ने कहा-मेरी कृपा तुम्हारे लिए पर्याप्त है, क्योंकि हमारी दुर्बलता में मेरा सामर्थ्य पूर्ण रूप से प्रकट होता है।

10) इसलिए मैं बड़ी खुशी से अपनी दुर्बलताओं पर गौरव करूँगा, जिससे मसीह की सामर्थ्य मुझ पर छाया रहे। मैं मसीह के कारण अपनी दुर्बलताओं पर, अपमानों, कष्टों, अत्याचारों और संकटों पर गर्व करता हूँ; क्योंकि मैं जब दुर्बल हूँ, तभी बलवान् हूँ।

सुसमाचार : सन्त मारकुस का सुसमाचार 6:1-6

1) वहाँ से विदा हो कर ईसा अपने शिष्यों के साथ अपने नगर आये।

2) जब विश्राम-दिवस आया, तो वे सभागृह में शिक्षा देने लगे। बहुत-से लोग सुन रहे थे और अचम्भे में पड़ कर कहते थे, ’’यह सब इसे कहाँ से मिला? यह कौन-सा ज्ञान है, जो इसे दिया गया है? यह जो महान् चमत्कार दिखाता है, वे क्या हैं?

3) क्या यह वही बढ़ई नहीं है- मरियम का बेटा, याकूब, यूसुफ़, यूदस और सिमोन का भाई? क्या इसकी बहनें हमारे ही बीच नहीं रहती?’’ और वे ईसा में विश्वास नहीं कर सके।

4) ईसा ने उन से कहा, ’’अपने नगर, अपने कुटुम्ब और अपने घर में नबी का आदर नहीं होता’।

5) वे वहाँ कोई चमत्कार नहीं कर सके। उन्होंने केवल थोड़े-से रोगियों पर हाथ रख कर उन्हें अच्छा किया।

6) उन लोगों के अविश्वास पर ईसा को बड़ा आश्चर्य हुआ।


मनन-चिंतन

एक सेमिनरी में एक बाइबिल प्रोफेसर फादर अपनी हर बात में बाइबिल से उदाहरण देते थे। एक बार जब फादर ब्रदर लोगों के साथ फुटबाल खेल रहे थे तब वहॉं पर एक गधा आया और मैदान में बीचों बीच आकर खडा हो गया। सब ब्रदरगण ने मिलकर बहुत मुश्किल से उसे मैदान के बाहर निकाला। उसके बाद उन्होंने अपने प्रोफेसर फादर से पूछा कि फादर आपको इसके बारे में क्या कहना है। फादर ने उत्तर दिया, योहन 1:11 यह सुनकर एक ब्रदर तुरन्त दौड के एक बाइबिल ले आया और तथा फादर द्वारा बताया वह भाग पढ़ा, ‘‘वह अपने यहॉं आया और उसके अपने लोगों ने उसे नहीं अपनाया’’।

आज के सुसमाचार में प्रभु येसु अपने ही परिजनों और पडोसियों द्वारा तिरस्कृत होते मिलते है। बाइबिल की शुरूआत से ही हम इस अस्वीकरण की घटना को देखते है। आदम और हेवा ने अच्छाई और बुराई का ज्ञान प्राप्त करने के लिए शैतान के प्रलोभन में आकर ईश्वर अपने सृष्टिकरता को त्याग दिया। लोट के परिवार को छोडकर सोदोम और गोमेरा के बाकी सब लोगों ने प्रभु को त्याग दिया था। ईश्वर के बडे़ बड़े चमत्कारों को अपने आखों से देखने के बावजूद भी इस्राएलियों ने ईश्वर को अस्वीकार किया। इस प्रकार बाइबिल में समाज या प्रत्येक व्यक्ति द्वारा ईश्वर को त्यागने की घटना मिलती है। ईश्वर को त्यागने के कारण लोगों को सजा भी मिलती रहती है। आदम और हेवा को वाटिका से बाहर कर दिया गया, सोदोम और गोमेरा को अग्नि से भस्म किया गया, इस्रराइलियों को मरूभूमि में चालीस साल तक घूमना-फिरना पडा।

आज के सुसमाचार में हम पढ़ते है कि येसु को उनके परिजनों ने तिरस्कृत किया। कहा जाता है कि ज्यादा पहचान अवमान होती है। प्रभु को बचपन से जो जानते थे वे उनको स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। उन्होंने प्रभु को न केवल तिरस्किृत किया बल्कि उनका अपमान भी किया। इस प्रकार की एक घटना हम पुराने विधान में भी पढ़ते है। जब यूसुफ ने अपने भाईयों को उसके सपने के बारे में बताया तो उनके भाइयों के मन में घृणा की भावना उत्पन्न होती है और वे उन्हें मार डालने के लिए षडयंत्र रचते है। लेकिन ईश्वर ने उन्हें बचाया और मिश्र देश के प्रशासक के पद पर बैठाया।

प्रभु येसु के अस्वीकारतों के बारे में पहले से ही भविष्यवाणी की गयी थी। इस 53:3 ‘‘वह मनुष्यों द्वारा निन्दित और निरस्कृत था’’। स्त्रोत्र 109:3 ‘‘उन्होंने शत्रुतापूर्ण शब्द करते हुए मुझे घेरा और मुझ पर अकारण आक्रमण किया’’। लोगों के तिरस्किृत स्वभाव प्रभु के काम में कोई बाधा नहीं डाल पाया। प्रभु ने दूसरे प्रांत में जाकर अपना काम को जारी रखा।

आज का सुसमाचार हमारे लिए यह सीख देता है कि लोगों द्वारा अस्वीकार किये जाने एवं तिरस्कृत होने के बावजूद भी हमें हिम्मत नहीं हारना चाहिए। प्रभु ने खुद इसके बारे में चेतावनी दी है। ‘‘भाई अपने भाई को मृत्यु के हवाले कर देगा और पिता अपने पुत्र को। संतान अपने माता पिता के विरूद्व उठ खडी होगी और उन्हें मरवा डालेगी। मेरे नाम के कारण सब लोग तुमसे बैर करेंगे किन्तु जो अंत तक धीर बना रहेगा, उसे मुक्ति मिलेगी’’। (मत्ती 10:21-22) योहन 15:20 में उन्होंने कहा ‘‘मैं ने तुमसे जो बात कही उसे याद रखो सेवक अपने स्वामी से बडा नहीं होगा। यदि उन्होंने मुझे सताया तो तुम्हें भी सतायेंगे।’’ संत योहन अपने पत्र में लिखते है ‘‘भाईयों! यदि संसार तुमसे बैर करे तो इस पर आश्चर्य मत करो (1 योहन 3:13)।

दूसरे लोगों के अस्वीकरता को हमने कईं बार अपने जीवन में महसूस किया है। हमारी बातों को, मेहनत को, सोच विचारों को दूसरे लोगों ने तिरस्कृत किया होगा। हमें इस पर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है हमारे प्रभु ने अपने जीवन काल में यह सब सहन किया है और हमें चेतावनी भी दी है। संत पेत्रुस इन परिस्थितियों में हमें याद दिलाते हैं कि ‘‘यदि मसीह के नाम के कारण आप लोगों का अपमान किया जाये तो अपने का धन्य समझें, क्योंकि यह इसका प्रमाण है कि ईश्वर का महिमामय आत्मा आप पर छाया रहता है’’ (1 पेत्रु 4:14)

आज हम उन लोगों को याद करे जिन्होंने हमें ठुकराया है निन्दा की है और उनके लिए प्रार्थना करें। हम ईश्वर को धन्यवाद दे कि उन्होंने इस प्रकार की घटनायों द्वारा अपना आत्मा हम पर प्रकट किया है।

फादर मेलविन चुल्लिकल

Copyright © www.jayesu.com
Praise the Lord!